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लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी में बेड फुल, मरीजों को नहीं किया जा रहा भर्ती

लखनऊ के लोहिया संस्थान के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है. तीमारदारों ने बताया कि इमरजेंसी में आ रहे मरीज को अगर भर्ती करने की जरूरत नहीं है और तुरंत दिखाना है तो उन्हें कोई समस्या नहीं हो रही है, लेकिन इमरजेंसी में जगह नहीं हैं.

लोहिया अस्पताल में बेड फुल
लोहिया अस्पताल में बेड फुल
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Published : Oct 25, 2021, 9:38 AM IST

लखनऊ: लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में मरीजों को भर्ती नहीं किए जाने की शिकायत आए दिन सामने आती रही है. परेशान तीमरदार इलाज ना मिलने से मजबूर होकर मरीजों को वापस ले जा रहे हैं. रविवार को ईटीवी भारत ने लोहिया अस्पताल पहुंचकर मौजूदा हालात जाने की कोशिश की.

अस्पताल के होल्डिंग एरिया में दो दिन से मरीज पड़े हैं. इमरजेंसी में बिना कोविड जांच रिपोर्ट के मरीज को नहीं देखा रहा है. साथ ही अस्पताल में डॉक्टर बाहर की महंगी दवा मरीजों को लिख रहे हैं. इमरजेंसी वार्ड फुल कहकर मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा. वहीं अधिकारियों का कहना है कि जितने भी मरीज इमरजेंसी में इलाज के लिए आ रहे हैं सभी को इलाज दिया जा रहा है साथ ही भर्ती करने वाले मरीजों को तुरंत भर्ती भी कर लिया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

लोहिया अस्पताल में बेड फुल
गोंडा से आए मरीज को दिखाने आए सत्यराम सोनकर ने बताया कि अस्पताल में मरीज को भर्ती नहीं किया जा रहा है. बीते 2 दिन से वह अपनी पत्नी को लेकर लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी में आए डॉक्टर को दिखाने के लिए इमरजेंसी में लाइन लगाया, लेकिन डॉक्टर का कहना है कि इमरजेंसी वार्ड फुल है जिसकी वजह से मरीज को भर्ती नहीं किया जा सकता है. बीते 2 दिन से तीमारदार अपनी पत्नी को लेकर होल्डिंग एरिया में किस बात का इंतजार कर रहे हैं.कुछ मरीज के तीमारदारों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि 10 दिन की 15 हजार की दवा लेना उनके लिए काफी कठिन है. खेत बेंचकर पत्नी का इलाज करवा रहे हैं. बाहर की दवाइयां काफी महंगी होती हैं जो एक गरीब वर्गीय परिवार का सदस्य नहीं खरीद सकता. 24 घंटे इमरजेंसी के बाहर कुछ तीमारदारों ने बताया कि इमरजेंसी में आ रहे मरीज को अगर भर्ती करने की जरूरत नहीं है और तुरंत दिखाना है तो उन्हें कोई समस्या नहीं हो रही है, लेकिन इमरजेंसी में जगह नहीं हैं. इसकी वजह से किसी को भर्ती नहीं किया जा रहा है. इमरजेंसी होने पर मरीज को डॉक्टर देख रहे हैं.तीमारदारों ने कहा कि अस्पताल में कोविड निगेटिव रिपोर्ट लेकर जाना अनिवार्य है. बिना कोविड-19 रिपोर्ट के डॉक्टर मरीज को नहीं देखा जा रहा है. ऐसे में एक बड़ी चुनौती मरीजों के सामने खड़ी हो जाती है. तीमारदारों का कहना है कि पहली प्राथमिकता मरीज को देनी चाहिए. कभी-कभी ऐसी स्थिति में मरीज की जान संकट में पड़ जाती है.वहीं लोहिया अस्पताल के प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह ने कहा कि ऐसा कोई भी मरीज नहीं होगा जिन्हें भर्ती नहीं किया गया हो सकता है. उनके साथ कोई और समस्या रही हो क्योंकि अस्पताल की इमरजेंसी में बहुत सारे मरीज आ रहे हैं. जिन्हें तुरंत इलाज दिया जा रहे हैं साथ ही भर्ती करने वाली स्थिति में मरीज को भर्ती किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें-उत्तर प्रदेश में कोरोना के मिले 6 नए संक्रमित मरीज, 504 ऑक्सीजन प्लांट शुरू

लखनऊ: लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में मरीजों को भर्ती नहीं किए जाने की शिकायत आए दिन सामने आती रही है. परेशान तीमरदार इलाज ना मिलने से मजबूर होकर मरीजों को वापस ले जा रहे हैं. रविवार को ईटीवी भारत ने लोहिया अस्पताल पहुंचकर मौजूदा हालात जाने की कोशिश की.

अस्पताल के होल्डिंग एरिया में दो दिन से मरीज पड़े हैं. इमरजेंसी में बिना कोविड जांच रिपोर्ट के मरीज को नहीं देखा रहा है. साथ ही अस्पताल में डॉक्टर बाहर की महंगी दवा मरीजों को लिख रहे हैं. इमरजेंसी वार्ड फुल कहकर मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा. वहीं अधिकारियों का कहना है कि जितने भी मरीज इमरजेंसी में इलाज के लिए आ रहे हैं सभी को इलाज दिया जा रहा है साथ ही भर्ती करने वाले मरीजों को तुरंत भर्ती भी कर लिया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

लोहिया अस्पताल में बेड फुल
गोंडा से आए मरीज को दिखाने आए सत्यराम सोनकर ने बताया कि अस्पताल में मरीज को भर्ती नहीं किया जा रहा है. बीते 2 दिन से वह अपनी पत्नी को लेकर लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी में आए डॉक्टर को दिखाने के लिए इमरजेंसी में लाइन लगाया, लेकिन डॉक्टर का कहना है कि इमरजेंसी वार्ड फुल है जिसकी वजह से मरीज को भर्ती नहीं किया जा सकता है. बीते 2 दिन से तीमारदार अपनी पत्नी को लेकर होल्डिंग एरिया में किस बात का इंतजार कर रहे हैं.कुछ मरीज के तीमारदारों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि 10 दिन की 15 हजार की दवा लेना उनके लिए काफी कठिन है. खेत बेंचकर पत्नी का इलाज करवा रहे हैं. बाहर की दवाइयां काफी महंगी होती हैं जो एक गरीब वर्गीय परिवार का सदस्य नहीं खरीद सकता. 24 घंटे इमरजेंसी के बाहर कुछ तीमारदारों ने बताया कि इमरजेंसी में आ रहे मरीज को अगर भर्ती करने की जरूरत नहीं है और तुरंत दिखाना है तो उन्हें कोई समस्या नहीं हो रही है, लेकिन इमरजेंसी में जगह नहीं हैं. इसकी वजह से किसी को भर्ती नहीं किया जा रहा है. इमरजेंसी होने पर मरीज को डॉक्टर देख रहे हैं.तीमारदारों ने कहा कि अस्पताल में कोविड निगेटिव रिपोर्ट लेकर जाना अनिवार्य है. बिना कोविड-19 रिपोर्ट के डॉक्टर मरीज को नहीं देखा जा रहा है. ऐसे में एक बड़ी चुनौती मरीजों के सामने खड़ी हो जाती है. तीमारदारों का कहना है कि पहली प्राथमिकता मरीज को देनी चाहिए. कभी-कभी ऐसी स्थिति में मरीज की जान संकट में पड़ जाती है.वहीं लोहिया अस्पताल के प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह ने कहा कि ऐसा कोई भी मरीज नहीं होगा जिन्हें भर्ती नहीं किया गया हो सकता है. उनके साथ कोई और समस्या रही हो क्योंकि अस्पताल की इमरजेंसी में बहुत सारे मरीज आ रहे हैं. जिन्हें तुरंत इलाज दिया जा रहे हैं साथ ही भर्ती करने वाली स्थिति में मरीज को भर्ती किया जा रहा है.

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