लखनऊ: राजधानी में वेंटिलेटर की बदहाल व्यवस्था ने दूसरे दिन भी एक मरीज की जान ले ली. मंगलवार को एक लकवाग्रस्त मरीज को समय पर इलाज न मिलने पर मरीज की मौत हो गई. परिजन वेंटिलेटर की आस में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ते रहे. इस दौरान प्राइवेट अस्पताल ले जाते समय मरीज की सांसें थम गईं. इससे पहले सोमवार को सड़क दुर्घटना में घायल युवक ने भी वेंटिलेटर के अभाव में दम तोड़ दिया था.
बता दें कि चिनहट निवासी कमलेश श्रीवास्तव को लकवा का अटैक पड़ा था. परिजन मरीज को गंभीर अवस्था में लेकर लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने मरीज को देखा और वेंटिलेटर पर रखने की बात कही. लेकिन इमरजेंसी के सभी छह वेंटिलेटर भरे थे. लिहाजा, डॉक्टरों ने मरीज को केजीएमयू ले जाने की सलाह दी. परिजन एम्बुलेंस से मरीज को लेकर केजीएमयू पहुंचे. यहां भी वेंटिलेटर खाली नहीं मिला. परिजन वेंटिलेटर की तलाश में घंटों भटकते रहे, लेकिन वेंटिलेटर नहीं मिल सका.
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परिजन मरीज को लेकर फैजाबाद रोड स्थित एक निजी अस्पताल पहुंचे. यहां डॉक्टरों के कहने पर परिजनों ने अस्पताल में 30 हजार रुपये जमा किए. लेकिन इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई. मरीज के बेटे अमर श्रीवास्तव के मुताबिक अगर लोहिया या केजीएमयू में समय पर भर्ती कर लिया जाता तो शायद पिता की जान बच जाती. वहीं इससे पहले सड़क दुर्घटना में घायल युवक को लेकर लखनऊ पुलिस ने भी कई अस्पतालों के चक्कर लगाये, लेकिन हर जगह वेंटिलेटर उपलब्ध न होने की बात कही गई. इसके चलते उसने भी लोहिया संस्थान के बाहर दम तोड़ दिया.
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