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यात्रियों ने रेलवे से की रूटीन ट्रेनें चलाने की मांग

कोरोना काल में रेलवे द्वारा विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं. रूटीन ट्रेनों का संचालन अभी नहीं हो रहा है, जिससे नियमित कम दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों को अधिक किराया देकर बसों से सफर करना पड़ रहा है. नार्दन रेलवे लखनऊ डिवीडन में रूटीन ट्रेन नहीं चल रही हैं, जबकि आम यात्री लगातार छोटे रूटों पर रूटीन ट्रेन का संचालन शुरू करने की मांग कर रहे हैं.

लखनऊ जंक्शन.
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Published : Dec 15, 2020, 10:29 PM IST

लखनऊ: कोरोना के दौर में ट्रेनों के बंद रहने से जो घाटा हुआ, उसकी भरपाई रेलवे प्रशासन स्पेशल ट्रेनें चलाकर कर रहा है, लेकिन आम यात्रियों की परेशानियों की तरफ रेलवे का ध्यान नहीं जा रहा है. इसके चलते रेलवे की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं.

आम यात्री लगातार छोटे रूटों पर रूटीन ट्रेन का संचालन शुरू करने की मांग कर रहे हैं. चाहे वह लखनऊ से हरदोई का रूट हो या फिर लखनऊ से कानपुर के बीच चलने वाली ट्रेन का रूट. उधर बाराबंकी रूट पर भी ट्रेनें नहीं चलने से यात्री खासे परेशान हैं. इतना ही नहीं जनता एक्सप्रेस को भी चलाने की मांग तेजी से उठ रही है. हालांकि रेलवे का अभी इस तरफ ध्यान ही नहीं है, जो यात्रियों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है.

दैनिक यात्री संघ ने रेलवे प्रशासन से किए सवाल
प्रदेश के फैजाबाद, रुदौली और बाराबंकी से लखनऊ और कानपुर जाने वाले दैनिक यात्रियों को रूटीन ट्रेनें संचालित न होना काफी महंगा पड़ रहा है. इन यात्रियों की संख्या तकरीबन 20 हजार से भी ज्यादा है. बहुत दिनों से यात्री मेमू ट्रेन चलने का इंतजार कर रहे हैं. नार्दन रेलवे लखनऊ डिवीडन में रूटीन ट्रेन नहीं चल रही हैं, जबकि देश के तमाम हिस्सों में कोविड नियमों को ध्यान में रखकर कम दूरी की ट्रेनों का संचालन शुरू किया जा चुका है.

यात्रियों की ये भी शिकायत है कि पहले भी कोई न कोई बहाना बनाकर लखनऊ-बाराबंकी सेक्शन की पैसेंजर ट्रेन रद्द की जाती रही हैं. दैनिक यात्री संघ फैजाबाद-लखनऊ रेलखंड के पदाधिकारी राजीव सिन्हा ने रेलवे प्रशासन से कई प्रमुख सवाल किए हैं. उन्होंने पूछा कि इस रूट पर ट्रेनों का संचालन कब शुरू होगा? एमएसटी कब से लागू होगी? पुरानी एमएसटी में जो समय बाकी था उसका समायोजन कैसे करेंगे, टाइम टेबल क्या होगा? अब जब स्थिति लगभग सामान्य है तो विशोष श्रेणी की ट्रेनें क्यों चलाई जा रही हैं, क्या विशेष श्रेणी में कोरोना का खतरा कम हो जाता है?

ट्रेनों से दो से ढाई गुना अधिक है बसों का किराया
बता दें कि रेलवे की विशेष ट्रेनों का लगातार संचालन हो रहा है और इनमें सामान्य यात्रियों को बिना रिजर्वेशन के एंट्री नहीं मिलती है. अगर रिजर्वेशन कंफर्म नहीं है तो वेटिंग टिकट लेकर यात्रा करना इन ट्रेनों में मान्य नहीं किया गया है. ऐसे में कम दूरी के लोग ट्रेनों से सफर ही नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उन्हें काफी नुकसान भी हो रहा है. बसों का किराया ट्रेन की तुलना में लगभग दो से ढाई गुना है. यात्रियों की तरफ से लगातार ट्रेन चलाने की मांग हो रही है.

लखनऊ: कोरोना के दौर में ट्रेनों के बंद रहने से जो घाटा हुआ, उसकी भरपाई रेलवे प्रशासन स्पेशल ट्रेनें चलाकर कर रहा है, लेकिन आम यात्रियों की परेशानियों की तरफ रेलवे का ध्यान नहीं जा रहा है. इसके चलते रेलवे की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं.

आम यात्री लगातार छोटे रूटों पर रूटीन ट्रेन का संचालन शुरू करने की मांग कर रहे हैं. चाहे वह लखनऊ से हरदोई का रूट हो या फिर लखनऊ से कानपुर के बीच चलने वाली ट्रेन का रूट. उधर बाराबंकी रूट पर भी ट्रेनें नहीं चलने से यात्री खासे परेशान हैं. इतना ही नहीं जनता एक्सप्रेस को भी चलाने की मांग तेजी से उठ रही है. हालांकि रेलवे का अभी इस तरफ ध्यान ही नहीं है, जो यात्रियों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है.

दैनिक यात्री संघ ने रेलवे प्रशासन से किए सवाल
प्रदेश के फैजाबाद, रुदौली और बाराबंकी से लखनऊ और कानपुर जाने वाले दैनिक यात्रियों को रूटीन ट्रेनें संचालित न होना काफी महंगा पड़ रहा है. इन यात्रियों की संख्या तकरीबन 20 हजार से भी ज्यादा है. बहुत दिनों से यात्री मेमू ट्रेन चलने का इंतजार कर रहे हैं. नार्दन रेलवे लखनऊ डिवीडन में रूटीन ट्रेन नहीं चल रही हैं, जबकि देश के तमाम हिस्सों में कोविड नियमों को ध्यान में रखकर कम दूरी की ट्रेनों का संचालन शुरू किया जा चुका है.

यात्रियों की ये भी शिकायत है कि पहले भी कोई न कोई बहाना बनाकर लखनऊ-बाराबंकी सेक्शन की पैसेंजर ट्रेन रद्द की जाती रही हैं. दैनिक यात्री संघ फैजाबाद-लखनऊ रेलखंड के पदाधिकारी राजीव सिन्हा ने रेलवे प्रशासन से कई प्रमुख सवाल किए हैं. उन्होंने पूछा कि इस रूट पर ट्रेनों का संचालन कब शुरू होगा? एमएसटी कब से लागू होगी? पुरानी एमएसटी में जो समय बाकी था उसका समायोजन कैसे करेंगे, टाइम टेबल क्या होगा? अब जब स्थिति लगभग सामान्य है तो विशोष श्रेणी की ट्रेनें क्यों चलाई जा रही हैं, क्या विशेष श्रेणी में कोरोना का खतरा कम हो जाता है?

ट्रेनों से दो से ढाई गुना अधिक है बसों का किराया
बता दें कि रेलवे की विशेष ट्रेनों का लगातार संचालन हो रहा है और इनमें सामान्य यात्रियों को बिना रिजर्वेशन के एंट्री नहीं मिलती है. अगर रिजर्वेशन कंफर्म नहीं है तो वेटिंग टिकट लेकर यात्रा करना इन ट्रेनों में मान्य नहीं किया गया है. ऐसे में कम दूरी के लोग ट्रेनों से सफर ही नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उन्हें काफी नुकसान भी हो रहा है. बसों का किराया ट्रेन की तुलना में लगभग दो से ढाई गुना है. यात्रियों की तरफ से लगातार ट्रेन चलाने की मांग हो रही है.

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