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विधानसभा में संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी में CM योगी ने कहा-चौथे स्तंभ के बिना त्रिशंकु है लोकतंत्र - विधानसभा में संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी

उत्तर प्रदेश विधानसभा में संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में सीएम योगी ने कहा कि चौथे स्तंभ के बिना त्रिशंकु है लोकतंत्र लगता है. सीएम ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अलावा अगर कोई चौथा स्तंभ के रूप में जुड़ता है तो वह पत्रकारिता है.

संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी में बोलते सीएम योगी.
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Published : Feb 4, 2019, 9:40 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा में संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी का आयोजन किया गया. आयोजन में आए सीएम योगी ने कहा कि भारत में श्रमण परंपरा वर्षों से विद्यमान है. हजारों वर्षों तक उस रूप को सुरक्षित रखना भारत में केवल संभव हो सका है. देश की इस सकारात्मक पहल ने लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है, लेकिन पाश्चात्य जगत में किसी भी लेखनी का अंत दुखद होता है. चढ़ते-चढ़ते ऐसे गिरेंगे कि वहां से व्यक्ति हताश हो जाता है, लेकिन भारत की लेखनी का अंत स्वर्णिम और अच्छा होता है.

सीएम योगी ने कहा कि भारतीय साहित्य में लोगों के जीवन की आस दिखी है. अपने जीवन में उजाला लाने के लिए भारतीय साहित्य से बढ़कर कहीं कुछ नहीं है. सीएम योगी ने कहा कि एक नई सकारात्मक ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका लेखनी की है. सीएम योगी ने कहा कि मैं वही भूमिका जो हजारों भूमिका वर्षों से चली आ रही है, उसे देख कर खुश हूं. यह एक सकारात्मक दृष्टिकोण से लोगों को आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करती है.

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चौथे स्तंभ के बिना त्रिशंकु है लोकतंत्र

सीएम योगी ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अलावा अगर कोई चौथा स्तंभ के रूप में जुड़ता है तो वह पत्रकारिता है. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को अगर हम नजरअंदाज कर दें तो लोकतंत्र की त्रिशंकु वाली स्थिति हो जाती है. त्रिशंकु कभी अपने लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाता है. हमें लोकतंत्र को त्रिशंकु नहीं बनने देना है. अगर आपकी लेखनी लाखों-करोड़ों लोगों में सकारात्मक सोच लाने की भूमिका अदा करती है, तो मां सरस्वती कहती होंगी कि उन्होंने सही हाथों में लेखनी थमाई है, लेकिन अगर आपकी लेखनी से नकारात्मक चीजें बढ़ेंगी तो मां सरस्वती भी सोचती होंगी कि मैंने कैसे हाथों में लेखनी पकड़ा दी है ?

संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी में बोलते सीएम योगी.
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सीएम ने दिया एक विद्यालय का उदाहरण

सीएम योगी ने कहा कि मैं एक उदाहरण बता रहा हूं. वर्ष 2017 में प्रदेश में हमारी सरकार आई. बस्ती जिले के एक स्कूल की चर्चा हो रही थी कि वह बंद होने की कगार पर है. उस विद्यालय में मुश्किल से 15 से 20 बच्चे रहे होंगे. तब मैने सभी से विद्यालय गोद लेने की अपील की. इसके बाद डीएम से गोद लेकर उसे चलाने के लिए कहा. शर्त यह रखी कि सरकार कोई पैसा नहीं देगी. एक नौजवान प्रधानाध्यापक के रूप में वहां गया. उसके बाद पता चला कि उस विद्यालय में 100 से अधिक छात्र हो गए. इसको लेकर एक न्यूज चैनल ने डॉक्युमेंट्री चलाई. आज उस विद्यालय में 350 बच्चे हैं. सीएम योगी ने कहा कि एक चैनल ने कैसे एक स्टोरी चलाकर लोगों में परिवर्तन लाने का काम किया. सीएम योगी ने कहा कि सकारात्मक स्टोरी की वजह से सृजनात्मक चीजें हो सकती हैं.

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यूपी के प्रति बदल रहे हैं लोगों की धारणा

सीएम योगी ने कहा कि कुम्भ के बारे में किसी की धारणा कुछ हो सकती है, लेकिन मेरे मन मे था कि यूपी के बारे में लोगों की धारणा बदलनी है. इसके लिए हम कार्य करेंगे. सीएम योगी ने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन भी मैंने इसीलिए किया था. पीएम मोदी से भी इसको लेकर चर्चा की थी कि हम यूपी के बारे में लोगों की धारणा बदलने के लिए प्रवासी भारतीय दिवस करना चाहते हैं. संगोष्ठी में बोलते हुए विधानसभा अध्यक्ष ह्नदय नारायण दीक्षित ने कहा कि पत्रकार हमारे विस्तार रूप हैं.

हमारी बातों को आगे ले जाने का काम करते हैं पत्रकार

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हम सदन में बोलते हैं और पत्रकार इस बात को आगे ले जाने का काम करते हैं. विधानसभा में सदन के सदस्य नहीं होने के बावजूद पत्रकार सदस्य की तरह काम करते हैं. उन्होंने कहा कि सदन में कभी कोई बोलता है तो अमावस की रात लगती है. कभी किसी के बोलने पर पूर्णिमा लगती है. अमावस के साथ पूर्णिमा की बात भी होनी चाहिए. वहीं संगोष्ठी में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, सूचना राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व सांसद राजनाथ सिंह सूर्य के अलावा बड़ी संख्या में पत्रकार मजूद रहे.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा में संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी का आयोजन किया गया. आयोजन में आए सीएम योगी ने कहा कि भारत में श्रमण परंपरा वर्षों से विद्यमान है. हजारों वर्षों तक उस रूप को सुरक्षित रखना भारत में केवल संभव हो सका है. देश की इस सकारात्मक पहल ने लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है, लेकिन पाश्चात्य जगत में किसी भी लेखनी का अंत दुखद होता है. चढ़ते-चढ़ते ऐसे गिरेंगे कि वहां से व्यक्ति हताश हो जाता है, लेकिन भारत की लेखनी का अंत स्वर्णिम और अच्छा होता है.

सीएम योगी ने कहा कि भारतीय साहित्य में लोगों के जीवन की आस दिखी है. अपने जीवन में उजाला लाने के लिए भारतीय साहित्य से बढ़कर कहीं कुछ नहीं है. सीएम योगी ने कहा कि एक नई सकारात्मक ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका लेखनी की है. सीएम योगी ने कहा कि मैं वही भूमिका जो हजारों भूमिका वर्षों से चली आ रही है, उसे देख कर खुश हूं. यह एक सकारात्मक दृष्टिकोण से लोगों को आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करती है.

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चौथे स्तंभ के बिना त्रिशंकु है लोकतंत्र

सीएम योगी ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अलावा अगर कोई चौथा स्तंभ के रूप में जुड़ता है तो वह पत्रकारिता है. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को अगर हम नजरअंदाज कर दें तो लोकतंत्र की त्रिशंकु वाली स्थिति हो जाती है. त्रिशंकु कभी अपने लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाता है. हमें लोकतंत्र को त्रिशंकु नहीं बनने देना है. अगर आपकी लेखनी लाखों-करोड़ों लोगों में सकारात्मक सोच लाने की भूमिका अदा करती है, तो मां सरस्वती कहती होंगी कि उन्होंने सही हाथों में लेखनी थमाई है, लेकिन अगर आपकी लेखनी से नकारात्मक चीजें बढ़ेंगी तो मां सरस्वती भी सोचती होंगी कि मैंने कैसे हाथों में लेखनी पकड़ा दी है ?

संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी में बोलते सीएम योगी.
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सीएम ने दिया एक विद्यालय का उदाहरण

सीएम योगी ने कहा कि मैं एक उदाहरण बता रहा हूं. वर्ष 2017 में प्रदेश में हमारी सरकार आई. बस्ती जिले के एक स्कूल की चर्चा हो रही थी कि वह बंद होने की कगार पर है. उस विद्यालय में मुश्किल से 15 से 20 बच्चे रहे होंगे. तब मैने सभी से विद्यालय गोद लेने की अपील की. इसके बाद डीएम से गोद लेकर उसे चलाने के लिए कहा. शर्त यह रखी कि सरकार कोई पैसा नहीं देगी. एक नौजवान प्रधानाध्यापक के रूप में वहां गया. उसके बाद पता चला कि उस विद्यालय में 100 से अधिक छात्र हो गए. इसको लेकर एक न्यूज चैनल ने डॉक्युमेंट्री चलाई. आज उस विद्यालय में 350 बच्चे हैं. सीएम योगी ने कहा कि एक चैनल ने कैसे एक स्टोरी चलाकर लोगों में परिवर्तन लाने का काम किया. सीएम योगी ने कहा कि सकारात्मक स्टोरी की वजह से सृजनात्मक चीजें हो सकती हैं.

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यूपी के प्रति बदल रहे हैं लोगों की धारणा

सीएम योगी ने कहा कि कुम्भ के बारे में किसी की धारणा कुछ हो सकती है, लेकिन मेरे मन मे था कि यूपी के बारे में लोगों की धारणा बदलनी है. इसके लिए हम कार्य करेंगे. सीएम योगी ने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन भी मैंने इसीलिए किया था. पीएम मोदी से भी इसको लेकर चर्चा की थी कि हम यूपी के बारे में लोगों की धारणा बदलने के लिए प्रवासी भारतीय दिवस करना चाहते हैं. संगोष्ठी में बोलते हुए विधानसभा अध्यक्ष ह्नदय नारायण दीक्षित ने कहा कि पत्रकार हमारे विस्तार रूप हैं.

हमारी बातों को आगे ले जाने का काम करते हैं पत्रकार

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हम सदन में बोलते हैं और पत्रकार इस बात को आगे ले जाने का काम करते हैं. विधानसभा में सदन के सदस्य नहीं होने के बावजूद पत्रकार सदस्य की तरह काम करते हैं. उन्होंने कहा कि सदन में कभी कोई बोलता है तो अमावस की रात लगती है. कभी किसी के बोलने पर पूर्णिमा लगती है. अमावस के साथ पूर्णिमा की बात भी होनी चाहिए. वहीं संगोष्ठी में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, सूचना राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व सांसद राजनाथ सिंह सूर्य के अलावा बड़ी संख्या में पत्रकार मजूद रहे.

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Intro:लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत में श्रमण परंपरा बरसों से विद्यमान है। हजारों वर्षों तक उस रूप को सुरक्षित रखना भारत में केवल संभव हो सका। भारत को वे लोग नहीं समझ सकते जिनकी संस्कृति कुछ वर्षों की है। भारत की इस सकारात्मक पहल ने कोटि-कोटि मानवों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। लेकिन पाश्चात्य जगत में किसी भी लेखनी का अंत दुखांत होता है। चढ़ते चढ़ते ऐसे गिरेंगे कि वहां से व्यक्ति हताश होता है। लेकिन भारत की लेखनी का अंत स्वर्णिम और अच्छा होता है।


Body:सीएम योगी ने कहा कि भारतीय साहित्य ने लोगों के जीवन की आस दिखी। अपने जीवन में उजाला लाने के लिए भारतीय साहित्य से बढ़कर कहीं कुछ नहीं। योगी ने कहा कि एक नई सकारात्मक ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका लेखनी का है। मैं वही भूमिका जो हजारों भूमिका वर्षों से चली आ रही है, उसे देख कर खुश होते हैं। एक सकारात्मक दृष्टिकोण एक सकारात्मक दृष्टिकोण लोगों को आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करती है।

विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अलावा अगर कोई चौथा स्तंभ के रूप में जुड़ता है तो वह पत्रकारिता है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को अगर हम नजरअंदाज कर दे तो लोकतंत्र की त्रिशंकु वाली स्थिति हो जाती है। त्रिशंकु कभी अपने लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाता। हमें लोकतंत्र को त्रिशंकु नहीं बनने देना है।

अगर आपकी लेखनी से लाखों-करोड़ों लोगों को सकारात्मक सोच लाने में भूमिका अदा करती है। तो मां सरस्वती कहती होंगी कि उन्होंने सही हाथों में लेखनी थमाई है। लेकिन अगर आपकी लेखनी से नकारात्मक चीजें बढ़ेंगी तो मां सरस्वती भी सोचती होंगी कि मैंने कैसे हाथों में लेखनी पकड़ा दी।

एक उदाहरण बता दूं। वर्ष 2017 में हमारी सरकार आई। बस्ती के एक स्कूल की चर्चा हो रही थी कि वह विद्यालय बंद होने की कगार पर है। उस विद्यालय में मुश्किल से 15 से 20 बच्चे रहे होंगे। तब मैने सभी से विद्यालय गोद लेने की अपील की। इसके बाद डीएम से गोद लेकर चलाने के लिये कहा। शर्त यह रखी कि सरकार कोई पैसा नहीं देगी। एक नौजवान प्रधानाध्यापक के रूप में वहां गया। उसने पहल की और पता चला कि उस विद्यालय में 100 से अधिक छात्र हो गए। एक चैनल ने डॉक्युमेंट्री चलाई। आज 350 बच्चे उस विद्यालय में बच्चे हैं। एक चैनल कैसे एक स्टोरी चलाकर लोगों में परिवर्तन लाने का काम किया।

सकारात्मक स्टोरी की वजह से सृजनात्मक चीजें हो सकती हैं। कुम्भ के बारे में किसी की धारणा कुछ हो सकती है। लेकिन मेरे मन मे था कि यूपी के बारे में लोगों की धारणा बदलने है। इसके लिए हम कार्य करेंगे। प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन भी मैने इसीलिये किया। पीएम से भी इसे लेकर चर्चा की थी कि हम यूपी के बारे में लोगों की धारणा बदलने के लिए प्रवासी भारतीय दिवस करना चाहते हैं।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पत्रकार हमारे विस्तार रूप हैं। हम सदन में बोलते हैं। पत्रकार इस बात को आगे ले जाने का काम करते हैं। विधानसभा में सदन के सदस्य नहीं होने के बावजूद आप सदस्य की तरह काम करते हैं।

उन्होंने कहा कि सदन में कभी कोई बोलता है तो अमावस की रात लगती है। कभी किसी के बोलने पर पूर्णिमा लगती है। अमावस के साथ पूर्णिमा की बात भी होनी चाहिए।


Conclusion:इस संगोष्ठी में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, सूचना राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व सांसद राजनाथ सिंह सूर्य के अलावा बड़ी संख्या में पत्रकार मजूद रहे।

रिपोर्ट- दिलीप शुक्ला, 9450663213
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