लखनऊ: आज कल एक आम धारणा हो गई है कि खेती घाटे का सौदा है. परंपरागत खेती करने वाले किसानों के लिए यह जुमला सही भी हो सकता है. हालांकि ऐसे लोग जो प्रयोग करने से नहीं डरते, उन्हें सफलता भी मिलती है. ऐसे ही एक प्रगतिशील किसान हैं- पंकज वर्मा (Progressive farmer Pankaj Verma). पंकज आधुनिक खेती के साथ कृषि क्षेत्र में प्रयोग कर लाभ भी कमाते रहे हैं. वह कई ऐसी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश खासतौर पर अवध क्षेत्र में न के बराबर होती हैं.
पंकज वर्मा कहते हैं कि परंपरागत खेती में लाभ बहुत कम होता है. वह इसका कारण भी बताते हैं. उर्वरकों की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है. डीजल के मूल्य भी काफी ज्यादा हो गए हैं. ऐसे में फसलों की बोआई, सिंचाई, कटाई और मड़ाई आदि की कीमतें काफी बढ़ जाती हैं. वहीं इसके अनुपात में फसलों की कीमतों में मामूली वृद्धि होती है. यही कारण है कि पारंपरिक खेती लाभकारी नहीं रही.
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उनका कहना है कि ऐसी खेती से उन्हें नियमित रूप से आय होती रहती है, जिससे एक किसान के रूप में उनके पास पैसा हमेशा बना रहता है और काम भी नहीं रुकते. इस काम में फायदे को देखते हुए उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. उन्हें इससे काफी लाभ हो रहा है. आगामी वर्षों में वह इसका क्षेत्रफल बढ़ाकर और लाभ कमाने का प्रयास करेंगे. यही नहीं उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती भी आरंभ की है. पंकज कहते हैं कि आने वाले दो-तीन माह में ड्रैगन फ्रूट की पहली फसल टूटेगी. लाभ हुआ तो इसकी पैदावार बढ़ाने पर भी विचार करेंगे.
पंकज बताते हैं कि किसानों के सामने प्राकृतिक आपदा की आशंका हमेशा बनी रहती है. ऐसे में किसानों को अलग-अलग दो-तीन फसलों पर एक साथ काम करना चाहिए. यदि बारिश एक फसल के लिए नुकसानदायक होती है, तो दूसरी के लिए लाभकारी हो सकती है. इसलिए नुकसान का खतरा कम हो जाता है. वह कहते हैं कि खेती मेहनत का काम है, लेकिन अगर प्रयोग किए जाएं तो लाभ भी हो सकता है.
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