लखनऊ. अपने रसीले स्वाद और रंग रूप के लिए पूरे विश्व में मशहूर मलिहाबादी दशहरी आम के बाद अब यहां पाकिस्तानी नीबू (Pakistani Lemon) की पैदावार की जा रही है. अपने अलग स्वाद और रंग रूप के कारण यह नीबू ग्राहकों और व्यापारियों को भी खूब लुभा रहा है. पाकिस्तानी नीबू वैसे तो अन्य प्रदेशों से बाजार में आता है, लेकिन बाजार में मांग बढ़ने के बाद मलिहाबाद के नर्सरी संचालकों ने इसकी कलम यहां तैयार कर ली है. पाकिस्तान के इस नीबू को यहां कुंभकाट (Pakistani lemon is named Kumbhakat) नाम दिया गया है.
मलिहाबाद इन दिनों पाकिस्तानी नीबू उगाने को लेकर चर्चा में है. पाकिस्तान का नाम जुड़ा होने के कारण लोगों में इस नीबू को लेकर काफी दिलचस्पी है. लिहाजा नर्सरी में तैयार हो रही पाकिस्तान के इस नीबू की किस्म के पौधों की मांग भी बढ़ है. बाजार में इस नीबू के पौधे की डिमांड बढ़ने से इसकी खेती भी शुरू हो चुकी है. इस नींबू का आकार बाजार में मिलने वाले नीबू से औसतन छोटा होता है, लेकिन इसमें रस भरपूर होता है. इसका स्वाद भी अन्य नीबू से हटकर है.
मलिहाबाद के नर्सरी संचालक जुबैर अहमद (Nursery Director Zubair Ahmed) ने बताया की यह नीबू पाकिस्तान की वैरायटी है. सबसे पहले पंजाब आई थी, जिसको हम लोग वहां से लखनऊ ले आए. पाकिस्तानी नीबू की खेती तीन साल पहले शुरू की थी. इस नीबू खासियत यह है यह नींबू पेड़ में 12 महीने लगेगा. आमतौर पर ज्यादातर नीबू गर्मियों में तैयार होते हैं और एक बार ही नींबू देते है, लेकिन यह नीबू सभी सीजन में मिलेंगे. इस नीबू का साइज छोटा है, लेकिन रस से भरपूर है. इसको आप आगर थोड़ा कच्चा भी तोड़कर निचोड़ेंगे तब भी रस निकलेगा.
इस नीबू के पौधे को गमले में भी उगाया जा सकता है. अमूमन तीन महीने के बाद नीबू आने लगते हैं. इनमें तीन तरह से नीबू आते हैं. इसमें एक फूल निकलता है दूसरी ओर उसका साइज बड़ा होता है तीसरी ओर इसमें नीबू पके हुए लगे होते हैं. ऐसे में पके नीबू खत्म होते ही छोटे नीबू तैयार हो जाते हैं. जुबैर अहमद ने बताया की भारत में रहकर बार-बार पाकिस्तान का नाम लेना अच्छा नहीं लगता. इस कारण पाकिस्तानी नीबू का नाम बदलकर कुंभकाट रखा गया है. फिर भी अभी लोग इसको पाकिस्तानी नीबू के नाम से ही जानते हैं.
जुबैर अहमद ने बताया कि पाकिस्तानी नीबू के पौधों की एडवांस बुकिंग चल रही है. लोगों को समय से पौधे नहीं मिल पा रहे हैं. शहर से कई लोग पौधे लेने आते हैं. फिलहाल पौधों की मांग ज्यादा होने के कारण मायूस होकर लौट रहे हैं. हालांकि अगले माह से पर्याप्त मात्रा में पौधे मिलने लगेंगे. शहर से मलिहाबाद में पाकिस्तानी नीबू के पौधे लेने पहुंचे व्यापारी अजीम बताते हैं कि वह नर्सरी पर पौधे लेने आए थे. वह अपनी नर्सरी पर रखकर इन पौधों को बेचते हैं, लेकिन यहां उनको पौधे नहीं मिले. उनकी दुकान से शहर के लोग पौधे खरीदने के लिए भारी संख्या में आते हैं.
लखनऊ से आए एक ग्राहक राम सिंह (Customer Ram Singh) ने बताया कि उन्होंने अपने घर में एक साल पहले यहां आकर पाकिस्तानी नीबू का पौधा लेकर गए थे. जिसको घर के गमलों में लगाया था. इसके पांच महीने के बाद उसमें फल आना तैयार हो गए थे. अब पौधे में हमेशा नीबू लगे रहते हैं. बाहर बाजारों में नीबू महंगा हो यह सस्ता, हमारे घर के गमलों में हर समय नीबू लगे रहते हैं.