लखनऊ : राजधानी में अभी तक 783 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आ चुकी है लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों ने सारी व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर रखा है. हर अस्पताल में लोग ऑक्सीजन और बेड की कमी से जूझ रहे हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लंबी-लंबी कतारें लगनी जारी हैं. किसी को सफलता मिल रही है तो कोई खाली हाथ मायूस होकर लौट रहा है. चिनहट के केटी प्लांट हादसे के बाद भी लोग सबक नहीं ले रहे हैं. हालात ये है कि अब लखनऊ में ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ-साथ ऑक्सीजन रेगुलेटर की भी भारी कमी हो गई है.
दो दिन से प्लांट पर ऑक्सीजन के इंतजार में खड़े हैं सोनू
दरअसल, चिनहट के केटी प्लांट में ऑक्सीजन सिलेंडर फटने की दिल दहलाने वाली घटना ने लखनऊ शहर के ऑक्सीजन प्लांट, निजी व सरकारी अस्पताल और होम आइसोलेशन में ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग कर रहे लोगों को डरा दिया है. लोगों में दहशत है. बावजूद इसके लोग अपनों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए जूझ रहे हैं.
ऐसे ही कृष्णानगर के कांशीराम कॉलोनी स्थित ऑक्सीजन प्लांट के बाहर सोनू यादव नाम का एक शख्स बीते 2 दिनों से ऑक्सीजन पाने के लिए इंतजार कर रहा है. थक हार कर सोनू सिलिंडर के ऊपर ही लेट गया. बाराबंकी से आये सोनू के पिता निजी अस्पताल में भर्ती हैं. उनको ऑक्सीजन की जरूरत है लेकिन उन्हें सिलेंडर नहीं मिला.
चिनहट प्लांट बंद होने से ऑक्सीजन नहीं मिली तो वह सिलेंडर भराने के लिए यहां आ गया. लेकिन कृष्णानगर स्थित प्लांट में 2 दिनों से वो यूं ही इंतजार कर रहा है. वो कभी बक्शी तालाब के आर.के ऑक्सीजन प्लांट पर पहुंचता है तो कभी अवध ऑक्सीजन प्लांट पर. लेकिन कहीं भी उसे ऑक्सीजन नहीं मिल पाई है. उसे उम्मीद है कि लंबे इंतजार के बाद उसका नंबर जरूर आ जाएगा.
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अनुराग भी कर रहे ऑक्सीजन का इंतजार
कुछ ऐसा ही इंतजार लखनऊ के मोहनलालगंज से आये अनुराग यादव को करना पड़ रहा है. अनुराग की दादी बीमार पड़ीं हैं. वह निजी अस्पताल में एडमिट हैं. उनको डॉक्टर ने ऑक्सीजन देने को कहा है लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर के इंतजार में अनुराग नादरगंज तो कभी कृष्णानगर मुरारी प्लांट या फिर राजाजीपुरम के चक्कर लगा रहा है. रात में कृष्णा नगर के मुरारी प्लांट पर जमीन पर बोरा बिछा के सो गया. सुबह फिर इंतजार में लग गया. लेकिन, 24 घंटे बाद भी कृष्णा नगर स्थित स्टार गैसेस प्लांट में ऑक्सीजन नहीं मिल पायी.
लखनऊ से गायब ऑक्सीजन रेगुलेटर
लखनऊ के लाल बाग स्थित कई सर्जिकल उपकरणों की दुकानों पर लोग सुबह से शाम तक रेगुलेटर के लिए धक्के खाते हैं. लखनऊ के इंद्रानगर के मनीष कुमार अपनी सास और पत्नी के लिए ऑक्सीजन रेगुलेटर सुबह से ढूंढते दिखाई दिए. जानकीपुरम के जीवन भी अपने पिता के लिए ऑक्सीजन रेगुलेटर ढूंढते दिखे. सर्जिकल दुकानदारों की मानें तो रेगुलेटर चेन्नई से आया करता था. कोरोना काल में आपूर्ति प्रभावित चल रही है.