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लखनऊ में कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन सेवाएं हुईं दुरुस्त - ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग

राजधानी लखनऊ में इन दिनों ऑक्सीजन सिलेंडरों की मांग बढ़ने लगी है. उत्तर प्रदेश अब ऑक्सीजन सिलेंडरों की सप्लाई करने के मामले में आत्मनिर्भर बन चुका है.

कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन सेवाएं हुईं चाक चौबंध
कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन सेवाएं हुईं चाक चौबंध
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Published : Nov 24, 2020, 8:03 AM IST

लखनऊ: कोरोना के शुरुआती दौर में उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया था, लेकिन अब ऑक्सीजन के मामले में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने खुद को आत्मनिर्भर बना लिया है.

प्रदेश में जैसे-जैसे कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, वैसे ही शहर में ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग भी बढ़ने लगी है. स्वास्थ्य विभाग ने आपदा को अवसर के रूप में लिया और खुद को आत्मनिर्भर बनाया है.

कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन सेवाएं हुईं चाक चौबंध

औद्योगिक ऑक्सीजन कंपनी को खुला निमंत्रण


कोरोना काल की शुरुआती स्थिति में ऑक्सीजन की कमी शहरों में होने लगी थी. इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग चिंतित था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग में ऑक्सीजन की सप्लाई को बढ़ाने के लिए तमाम तरह के प्रयास किए. लेकिन हर तरफ नाकामी ही हाथ लग रही थी.


इस बारे में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि जब कोरोना की शुरुआत हुई तो हमारे पास कुल क्रियाशील 24 ऑपरेशन इकाई थी,जिसमें दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन निर्माण इकाई और बाकी रिफिलर थी, लेकिन जब शॉर्टेज हुई तो हमने इंडस्ट्रीज वॉल्यूम को प्रोत्साहित किया और वे लोग ऑक्सीजन सप्लाई करने लगे. इसको लेकर के उत्तर प्रदेश सरकार ने भी यह आदेश दिया था कि अगर कोई औद्योगिक ऑक्सीजन कंपनी मेडिकल ऑक्सीजन के क्षेत्र में आना चाहे तो उसे पूरा सहयोग किया जाएगा, जिसके बाद अब उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के पास ऑक्सीजन की 36 यूनिट है.

हर दिन 35 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत

उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की मात्रा पहले से काफी बेहतर हो गई है. इसके बाद अब ऑक्सीजन की कमी उत्तर प्रदेश में नहीं है. उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि हमारे पास ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, जब कोरोना काल की शुरुआत हुई थी तब कोविड-19 अस्पतालों में हर दिन करीब 35 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमांड थी, लेकिन अभी कोरोना के मामले कम आ रहे हैं. रोज 20 मीट्रिक टन के आसपास डिमांड है. फिलहाल तो कोरोना मरीज कम हैं.

ऑक्सीजन जनरेटर की ली जा रही मदद

उत्तर प्रदेश में पहले लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के दो ही प्लांट थे, जिसकी वजह से ऑक्सीजन की समस्या हर समय प्रदेश भर में बनी रहती थी, लेकिन अब जब जरूरत हुई तो विभाग द्वारा गाजियाबाद में तीसरा प्लांट में शुरू किया गया है. इसकी क्षमता हर दिन 150 मीट्रिक टन है. इसके अलावा हॉस्पिटल में ऑक्सीजन जनरेटर लगवाए जा रहे हैं, जो हवा से ऑक्सीजन को अलग करता है.

लखनऊ: कोरोना के शुरुआती दौर में उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया था, लेकिन अब ऑक्सीजन के मामले में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने खुद को आत्मनिर्भर बना लिया है.

प्रदेश में जैसे-जैसे कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, वैसे ही शहर में ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग भी बढ़ने लगी है. स्वास्थ्य विभाग ने आपदा को अवसर के रूप में लिया और खुद को आत्मनिर्भर बनाया है.

कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन सेवाएं हुईं चाक चौबंध

औद्योगिक ऑक्सीजन कंपनी को खुला निमंत्रण


कोरोना काल की शुरुआती स्थिति में ऑक्सीजन की कमी शहरों में होने लगी थी. इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग चिंतित था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग में ऑक्सीजन की सप्लाई को बढ़ाने के लिए तमाम तरह के प्रयास किए. लेकिन हर तरफ नाकामी ही हाथ लग रही थी.


इस बारे में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि जब कोरोना की शुरुआत हुई तो हमारे पास कुल क्रियाशील 24 ऑपरेशन इकाई थी,जिसमें दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन निर्माण इकाई और बाकी रिफिलर थी, लेकिन जब शॉर्टेज हुई तो हमने इंडस्ट्रीज वॉल्यूम को प्रोत्साहित किया और वे लोग ऑक्सीजन सप्लाई करने लगे. इसको लेकर के उत्तर प्रदेश सरकार ने भी यह आदेश दिया था कि अगर कोई औद्योगिक ऑक्सीजन कंपनी मेडिकल ऑक्सीजन के क्षेत्र में आना चाहे तो उसे पूरा सहयोग किया जाएगा, जिसके बाद अब उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के पास ऑक्सीजन की 36 यूनिट है.

हर दिन 35 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत

उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की मात्रा पहले से काफी बेहतर हो गई है. इसके बाद अब ऑक्सीजन की कमी उत्तर प्रदेश में नहीं है. उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि हमारे पास ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, जब कोरोना काल की शुरुआत हुई थी तब कोविड-19 अस्पतालों में हर दिन करीब 35 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमांड थी, लेकिन अभी कोरोना के मामले कम आ रहे हैं. रोज 20 मीट्रिक टन के आसपास डिमांड है. फिलहाल तो कोरोना मरीज कम हैं.

ऑक्सीजन जनरेटर की ली जा रही मदद

उत्तर प्रदेश में पहले लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के दो ही प्लांट थे, जिसकी वजह से ऑक्सीजन की समस्या हर समय प्रदेश भर में बनी रहती थी, लेकिन अब जब जरूरत हुई तो विभाग द्वारा गाजियाबाद में तीसरा प्लांट में शुरू किया गया है. इसकी क्षमता हर दिन 150 मीट्रिक टन है. इसके अलावा हॉस्पिटल में ऑक्सीजन जनरेटर लगवाए जा रहे हैं, जो हवा से ऑक्सीजन को अलग करता है.

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