लखनऊ: बिजली विभाग में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों ने सरकार से 50 लाख रुपये तक की बीमा और दुर्घटना की स्थिति में इलाज का खर्च दिए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि विभाग की तरफ से उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
संक्रमण के डर के बावजूद कर रहे हैं ड्यूटी
आउटसोर्स कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र कुमार पांडे ने कहा कि कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप एवं अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा बिजली घरों पर जाने से परहेज करने के बावजूद आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा लोगों के घरों से लेकर अस्पतालों तक निर्बाध बिजली की आपूर्ति की जा रही है. लेकिन सुरक्षा के नाम पर इन कर्मचारियों को कुछ भी नहीं दिया गया है. यहां तक कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए विभाग की तरफ से उन्हें सैनिटाइजर, मास्क व ग्लब्स जैसी बुनियादी चीजें भी नहीं दी गई है.
बिजली उप केंद्रों का नहीं हो रहा है सैनिटाइजेशन
देवेंद्र पांडे ने कहा कि अधिकारियों के ऑफिस न आने के कारण उपकेंद्रों का सैनिटाइजेशन भी नहीं हो रहा है. इससे ग्राउंड लेवल पर कार्य करने वाले बिजली के आउटसोर्स कर्मचारियों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है. इतना ही नहीं यदि कोई आउटसोर्स कर्मचारी कार्य के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है तो विभाग की तरफ से कोई मदद नहीं दी जाती है.
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उतरेठिया बिजली घर पर कार्यरत मुकेश कुमार यादव बीते 20 अप्रैल को कार्य के दौरान एमसीबी ब्लास्ट हो जाने के कारण बुरी तरह से जख्मी हो गए थे, लेकिन विभाग की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिली. मजबूर होकर उन्हें अपने पैसों से इलाज कराना पड़ा. देवेंद्र पांडे ने कहा कि घायल संविदा कर्मचारी, मुकेश कुमार यादव ने अधिकारियों के डर से उन्हें घटना की सूचना भी नहीं दी. उपखण्ड अधिकारी द्वारा कर्मचारियों में खौफ पैदा कर दिया गया है, जबकि उपखण्ड अधिकारी वर्तमान समय में खुद क्ववारंटाइन हैं.