लखनऊः राजधानी में स्थित सेना कोर्ट ने मैनपुरी निवासी राधादेवी के सैनिक पति की ब्लड कैंसर से मृत्यु के करीब 28 वर्ष बाद स्पेशल फैमिली पेंशन दिए जाने का आदेश दिया है. पति के असामयिक निधन के बाद पत्नी शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से टूट चुकी थी, क्योंकि उसे हर स्तर पर निराशा ही हाथ लगी. इसके बाद उसके अधिकार की इस लड़ाई को अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने आगे बढ़ाया, जिसमें करीब पांच वर्ष बाद सफलता मिली.
ड्यूटी के दौरान ब्लड कैंसर से हुई थी मौत
अधिवक्ता विजय कुमार पांडेय ने बताया कि राधादेवी के पति सिपाही ज्ञान सिंह 1965 में सेना में भर्ती हुए और 18 साल की नौकरी के बाद वर्ष 1983 में सेवानिवृत्त हुए. तीन वर्ष बाद वर्ष 1986 में सेना सुरक्षा कॉर्प्स (डीएससी) में 10 साल के लिए दोबारा भर्ती हुए. इसी दौरान 16 अक्टूबर 1993 को ब्लड कैंसर से पुणे के मिलिट्री हास्पिटल में ज्ञान सिंह की मौत हो गई. भारत सरकार, रक्षा-मंत्रालय ने पीड़ित विधवा को साधारण पारिवारिक पेंशन देकर अपने उत्तरदायित्व की इतिश्री कर ली. इसके खिलाफ याची ने विषम-परिस्थितियों में रहते हुए लंबा संघर्ष किया लेकिन उसकी सुनवाई कहीं नहीं हुई. इसके बाद राधादेवी बनाम भारत सरकार सेना कोर्ट लखनऊ में मुकदमा दायर किया.
सरकार का फैसला कोर्ट ने पलटा
याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने दलील दी कि सरकार का यह कहना कि याची के पति को हुई ब्लड-कैंसर की बीमारी का नौकरी से कोई संबंध नहीं है. इसलिए पेंशन रेगुलेशन के पैरा-213 और पीसीडीए(पेंशन) के सर्कुलर 626 का लाभ याची को नहीं दिया जा सकता. अधिवक्ता ने दलील दी कि भर्ती के समय याची के पति को कोई बीमारी नहीं थी और न ही विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा किसी प्रकार का नोट ही लिखा गया था. ऐसी स्थिति में इसे नौकरी से जोड़कर ही देखा जाना चाहिए, जिसे रिकार्ड ऑफिस ने स्वीकार भी किया है. इसके बाद कोर्ट ने भारत सरकार द्वारा पूर्व में पारित सभी आदेशों को निरस्त कर दिया.
इन मामलों का दिया उदाहरण
अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने दलील देते हुए कहा कि याची सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित किए गए निर्णयों धर्मवीर सिंह बनाम भारत सरकार, सुखविंदर सिंह बनाम भारत सरकार, भारत सरकार बनाम राजबीर सिंह, वीरपाल सिंह बनाम रक्षा-मंत्रालय, भारत सरकार बनाम राम अवतार, शिव दास बनाम भारत सरकार और मनीषा यादव बनाम भारत सरकार आदि का लाभ पाने की हकदार है.
यह भी पढ़ें-सेना कोर्ट का आदेश: आश्रितों के इलाज से इनकार नहीं कर सकती सेना
तय अवधि में नहीं दी पेंशन तो आठ फीसद ब्याज
कोर्ट ने याची को स्पेशल फैमिली पेंशन का हकदार मानते हुए भारत सरकार द्वारा पूर्व में पारित सभी आदेशों को निरस्त करते हुए निर्देशित किया कि चार महीने के अंदर याची को स्पेशल फेमिली पेंशन प्रदान करे. भारत सरकार निर्धारित अवधि में आदेश का पालन करना सुनिश्चित करने में असफल रहती है तो याची आठ प्रतिशत ब्याज भी पाने की हकदार होगी.