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'कहीं मेरा बेटा भी न कर दे....' लखनऊ पबजी हत्याकांड के बाद बोलीं महिलाएं

लखनऊ पबजी हत्याकांड के बाद से ही राजधानी की पीजीआई इलाके की यमुनापुरम कालोनी की महिलाओं में डर और खौफ का माहौल बन गया है. गौरतलब है कि ये डर और किसी से नहीं बल्कि अपने बच्चों से ही होने लगा है. दरअसल, ये वहीं कालोनी है जहां बीते मंगलवार को 16 साल के बेटे ने रोक-टोक के चलते अपनी मां को गोली मारकर मौत के घाट उतारा था. आइये जानते हैं घटना के बाद इलाके की महिलाओं का अपने बच्चों के बारे में क्या कहना है.

महिलाएं.
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Published : Jun 10, 2022, 12:41 PM IST

Updated : Jun 10, 2022, 12:59 PM IST

लखनऊ: अब तो खुद के बच्चों से डर लगने लगा है. मैं तो बच्चों को अब नही मारूंगी. मुझे तो अपने बच्चों पर भरोसा नहीं रहा. ये बातें हो रही हैं लखनऊ में पीजीआई इलाके की यमुनापुरम कालोनी में. ये वहीं कालोनी है जहां बीते मंगलवार को 16 साल के बेटे ने रोक-टोक के चलते अपनी मां को ही गोली मार दी और उसकी लाश को 3 दिन तक घर पर ही छुपाए रखा.

ईटीवी भारत की टीम घटना के 2 दिन बाद जब यमुनापुरम मोहल्ले पहुंचे तो जिस घर में 3 दिन तक मां की लाश के साथ 16 साल का हत्या करने वाला बेटा और 10 साल की मासूम रह रही थीं. उसी घर के सामने कुछ महिलाएं बाते करते हुए दिखाई दीं. इस दौरान सभी महिलाएं चिंतित थी और डरी हुई भी. चिंता इस बात की थी कि अब बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए वो कौन सी तरकीब निकाले और डर इस बात का कि कहीं उनके बच्चे भी 'साधना सिंह' जैसा हाल उनका भी न कर दें.

ईटीवी भारत ने उन्हीं महिलाओं में से एक रानी सिंह से बात की जो मृतका साधना सिंह के घर से महज 200 मीटर दूर रहती है और वो उस घर को देखने आए थी. जहां कभी एक हंसता खेलता परिवार रहता था. रानी सिंह ने कहा कि जब उन्होंने 8 जून को सुबह खबर पढ़ी कि उन्हीं के मोहल्ले में ऐसी घटना हो गई. तब से ही वो डरी हुई हैं. साधना की ही तरह उनका भी एक बेटा और एक बेटी है. अब तो डर इस बात से है कि वो बेटे को न समझाए और रोक टोक न करें तो वो गलत संगत में चला जाएगा और अगर कहीं डांटा तो उनका हाल भी साधना की तरह ही न हो जाए.

'शक की नजरों से देखने को मजबूर'
रानी सिंह की बात में सहमति जताते हुए वहीं खड़ी सुशीला सिंह ने कहा कि उन्हें तो बेटों से भरोसा ही उठ गया है. आज कल के बच्चे कब क्या कर दे किसी को पता नहीं. अब वो अपने बच्चे को भी शक की नजरों से देखने को मजबूर हो गई हैं.

'बच्चों से लगने लगा डर'
शशि नाम की महिला भी इसी डर और चिंता में हैं कि अब वो क्या करें. एक मां का फर्ज निभाये तो साधना जैसा हाल हो और अगर बच्चों को छूट दें तो समाज के लिए बच्चे परेशानी बन जाएंगे. शशि कहती हैं कि बच्चे मासूम होते है, लेकिन इस मासूमियत के पीछे इस कदर का गुस्सा और डर भरा होता है उन्हें आज पता चला हैं. शशि कहती हैं कि जिस दिन से उन्होंने और उनके बच्चों ने ये खबर देखी है तो बच्चे उन्हें चिढाते है कि मम्मी मोबाइल मत छीनना. ये बात मुझे अब परेशान करने लगी हैं.

4 साल पहले आरोपी नाबालिग का बढ़ा था एग्रेशन
यमुनापुरम में ही कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने उनसे बातचीत की तो उनमें से दो बच्चों ने बताया कि उन्होंने आरोपी बच्चे के साथ खेलना ही बंद कर दिया था. वो हर बात पर चिल्लाने लगा था. वहीं आरोपी के 5 साल पुराने दोस्त से मुलाकात हुई तो उसने बताया कि 5 साल पहले वो दोनों दोस्त थे. उन दोनों के स्कूल तो अलग-अलग थे, लेकिन एक ही क्लास होने के चलते दोस्ती हुई थी. लेकिन अचानक 4 साल पहले आरोपी बच्चे ने कुछ बड़े लड़कों से दोस्ती कर ली थी. यही नहीं अचानक उसका एग्रेशन भी बढ़ गया था. छोटी-छोटी बातों पर वह लड़ने लगता. चिल्लाना उसकी आदत में शामिल हो गया था.

इसे भी पढे़ं- Lucknow PUBG Case: आरोपी बेटे ने 10 घंटे मां को तड़पते देखा, हर घंटे चेक कर रहा था सांस

लखनऊ: अब तो खुद के बच्चों से डर लगने लगा है. मैं तो बच्चों को अब नही मारूंगी. मुझे तो अपने बच्चों पर भरोसा नहीं रहा. ये बातें हो रही हैं लखनऊ में पीजीआई इलाके की यमुनापुरम कालोनी में. ये वहीं कालोनी है जहां बीते मंगलवार को 16 साल के बेटे ने रोक-टोक के चलते अपनी मां को ही गोली मार दी और उसकी लाश को 3 दिन तक घर पर ही छुपाए रखा.

ईटीवी भारत की टीम घटना के 2 दिन बाद जब यमुनापुरम मोहल्ले पहुंचे तो जिस घर में 3 दिन तक मां की लाश के साथ 16 साल का हत्या करने वाला बेटा और 10 साल की मासूम रह रही थीं. उसी घर के सामने कुछ महिलाएं बाते करते हुए दिखाई दीं. इस दौरान सभी महिलाएं चिंतित थी और डरी हुई भी. चिंता इस बात की थी कि अब बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए वो कौन सी तरकीब निकाले और डर इस बात का कि कहीं उनके बच्चे भी 'साधना सिंह' जैसा हाल उनका भी न कर दें.

ईटीवी भारत ने उन्हीं महिलाओं में से एक रानी सिंह से बात की जो मृतका साधना सिंह के घर से महज 200 मीटर दूर रहती है और वो उस घर को देखने आए थी. जहां कभी एक हंसता खेलता परिवार रहता था. रानी सिंह ने कहा कि जब उन्होंने 8 जून को सुबह खबर पढ़ी कि उन्हीं के मोहल्ले में ऐसी घटना हो गई. तब से ही वो डरी हुई हैं. साधना की ही तरह उनका भी एक बेटा और एक बेटी है. अब तो डर इस बात से है कि वो बेटे को न समझाए और रोक टोक न करें तो वो गलत संगत में चला जाएगा और अगर कहीं डांटा तो उनका हाल भी साधना की तरह ही न हो जाए.

'शक की नजरों से देखने को मजबूर'
रानी सिंह की बात में सहमति जताते हुए वहीं खड़ी सुशीला सिंह ने कहा कि उन्हें तो बेटों से भरोसा ही उठ गया है. आज कल के बच्चे कब क्या कर दे किसी को पता नहीं. अब वो अपने बच्चे को भी शक की नजरों से देखने को मजबूर हो गई हैं.

'बच्चों से लगने लगा डर'
शशि नाम की महिला भी इसी डर और चिंता में हैं कि अब वो क्या करें. एक मां का फर्ज निभाये तो साधना जैसा हाल हो और अगर बच्चों को छूट दें तो समाज के लिए बच्चे परेशानी बन जाएंगे. शशि कहती हैं कि बच्चे मासूम होते है, लेकिन इस मासूमियत के पीछे इस कदर का गुस्सा और डर भरा होता है उन्हें आज पता चला हैं. शशि कहती हैं कि जिस दिन से उन्होंने और उनके बच्चों ने ये खबर देखी है तो बच्चे उन्हें चिढाते है कि मम्मी मोबाइल मत छीनना. ये बात मुझे अब परेशान करने लगी हैं.

4 साल पहले आरोपी नाबालिग का बढ़ा था एग्रेशन
यमुनापुरम में ही कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने उनसे बातचीत की तो उनमें से दो बच्चों ने बताया कि उन्होंने आरोपी बच्चे के साथ खेलना ही बंद कर दिया था. वो हर बात पर चिल्लाने लगा था. वहीं आरोपी के 5 साल पुराने दोस्त से मुलाकात हुई तो उसने बताया कि 5 साल पहले वो दोनों दोस्त थे. उन दोनों के स्कूल तो अलग-अलग थे, लेकिन एक ही क्लास होने के चलते दोस्ती हुई थी. लेकिन अचानक 4 साल पहले आरोपी बच्चे ने कुछ बड़े लड़कों से दोस्ती कर ली थी. यही नहीं अचानक उसका एग्रेशन भी बढ़ गया था. छोटी-छोटी बातों पर वह लड़ने लगता. चिल्लाना उसकी आदत में शामिल हो गया था.

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Last Updated : Jun 10, 2022, 12:59 PM IST
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