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पुलिस विभाग में बढ़ती आत्महत्याओं पर जानिए पूर्व डीजीपी और मनोचिकित्सक की राय

प्रदेश में पुलिसकर्मी मानसिक तनाव बर्दाश्त न कर पाने के कारण आत्महत्या कर मौत को गले लगा रहे हैं. पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद्र द्विवेदी ने पुलिस विभाग में बदलाव की बात कही है.

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Published : Sep 7, 2019, 3:00 PM IST

तनाव के चलते पुलिसकर्मी कर रहे आत्महत्या.

लखनऊ: मानसिक तनाव के कारण पुलिसकर्मी लगातार आत्महत्या करने को मजबूर हैं. पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद्र द्विवेदी ने पुलिस विभाग में बदलाव की बात कही है. मनोचिकित्सक का कहना है कि अत्याधिक काम के दबाव के चलते पुलिसकर्मी ऐसा करने को मजबूर हो रहे हैं. उन्हें तनाव से मुक्त रखने के लिए प्रशासन द्वारा समय-समय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए.

लगातार बढ़ रही पुलिसकर्मियों के आत्महत्या करने की संख्या.
पुलिस-प्रशासन में बड़े बदलाव की आवश्यकतापुलिस की कार्यक्षमता और काम करने के प्रेशर का दबाव किसी से छुपा नही हैं. देश और प्रदेश की कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए वह अपने परिवार से दूर बिना रुके 24 घंटे काम कर रहे हैं. इस तरह उनको अवसाद, कई तरह के विभागीय उत्पीड़न और मानसिक दबाव से गुजरना पड़ता है. इसे भी पढे़ं- रायबरेली: शराबी पति बना हैवान, लाठियों से पीटकर पत्नी को उतारा मौत के घाटपुलिसकर्मियों के तनाव को दूर करने के लिए पुलिस-प्रशासन और सरकार द्वारा कोई सुविधा नहीं दी गई है. ऐसे में पुलिस वाले खुद को तन्हा और अकेला महसूस करते हैं और आत्महत्या कर अपने जीवन को खत्म कर रहे हैं. ऐसे में पुलिस प्रशासन में काफी बड़े बदलाव की आवश्यकता है.जानें पूर्व डीजीपी महेश चन्द द्विवेदी ने क्या बताया अवसादग्रस्त व्यक्ति आत्महत्या करता है. उसको लगता है कि अब समाज को उसकी जरूरत नहीं है या फिर उसने अपना सम्मान खो दिया है. पुलिसकर्मी अपने घर परिवार से दूर रह कर पुलिस की नौकरी करता है. ऐसे में खुद को अकेला महसूस करता है. उन्होंने पुलिस कर्मियों की आत्महत्या के मामले पर राजनीतिक पार्टियों को भी जिम्मेदार बताया है. पुलिसकर्मी कई घंटों तक लगातार काम करते हैं. इससे उनका शारीरिक और मानसिक तनाव होता है. पुलिस वालों को खुद को साबित न कर पाने का डर भी रहता है, जो एक बड़ी वजह है. इसके समाधान के लिए पूर्व डीजीपी ने कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को आवास देने के हाथ ही उनकी समस्याओं को सुनी जाएं. उन समस्याओं को समाप्त किया जाए.इसे भी पढे़ं- अमरोहा: सात साल के मासूम की सूजे से गोदकर हत्या, पड़ोसी के घर से शव बरामद

सहारनपुर में MLA द्वारा SSP से अमर्यादित भाषा में बात करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूर्व डीजीपी ने कहा कि इस मामले पर सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है और न ही किसी राजनीतिक दल इसका विरोध करते हैं. इससे पुलिस वालों के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचती है और आत्महत्या जैसे कदम उठाए जाते हैं.

पुलिसकर्मियों पर कई तरह के कामों का दबाव रहता है, लेकिन विभाग में अनुपात के हिसाब से उनकी संख्या कम है, जिसकी वजह से उनको शारीरिक और मानसिक आराम नहीं मिल पाता है. इसके लिए सरकार और प्रशासन को समय -समय पर कार्यशाला का आयोजन कराना चाहिए. कार्यशाला के जरिए वो खुद को तनाव मुक्त महसूस करेंगे.
-डा. सृष्टि श्रीवास्तव, मनोचिकित्सक

लखनऊ: मानसिक तनाव के कारण पुलिसकर्मी लगातार आत्महत्या करने को मजबूर हैं. पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद्र द्विवेदी ने पुलिस विभाग में बदलाव की बात कही है. मनोचिकित्सक का कहना है कि अत्याधिक काम के दबाव के चलते पुलिसकर्मी ऐसा करने को मजबूर हो रहे हैं. उन्हें तनाव से मुक्त रखने के लिए प्रशासन द्वारा समय-समय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए.

लगातार बढ़ रही पुलिसकर्मियों के आत्महत्या करने की संख्या.
पुलिस-प्रशासन में बड़े बदलाव की आवश्यकतापुलिस की कार्यक्षमता और काम करने के प्रेशर का दबाव किसी से छुपा नही हैं. देश और प्रदेश की कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए वह अपने परिवार से दूर बिना रुके 24 घंटे काम कर रहे हैं. इस तरह उनको अवसाद, कई तरह के विभागीय उत्पीड़न और मानसिक दबाव से गुजरना पड़ता है. इसे भी पढे़ं- रायबरेली: शराबी पति बना हैवान, लाठियों से पीटकर पत्नी को उतारा मौत के घाटपुलिसकर्मियों के तनाव को दूर करने के लिए पुलिस-प्रशासन और सरकार द्वारा कोई सुविधा नहीं दी गई है. ऐसे में पुलिस वाले खुद को तन्हा और अकेला महसूस करते हैं और आत्महत्या कर अपने जीवन को खत्म कर रहे हैं. ऐसे में पुलिस प्रशासन में काफी बड़े बदलाव की आवश्यकता है.जानें पूर्व डीजीपी महेश चन्द द्विवेदी ने क्या बताया अवसादग्रस्त व्यक्ति आत्महत्या करता है. उसको लगता है कि अब समाज को उसकी जरूरत नहीं है या फिर उसने अपना सम्मान खो दिया है. पुलिसकर्मी अपने घर परिवार से दूर रह कर पुलिस की नौकरी करता है. ऐसे में खुद को अकेला महसूस करता है. उन्होंने पुलिस कर्मियों की आत्महत्या के मामले पर राजनीतिक पार्टियों को भी जिम्मेदार बताया है. पुलिसकर्मी कई घंटों तक लगातार काम करते हैं. इससे उनका शारीरिक और मानसिक तनाव होता है. पुलिस वालों को खुद को साबित न कर पाने का डर भी रहता है, जो एक बड़ी वजह है. इसके समाधान के लिए पूर्व डीजीपी ने कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को आवास देने के हाथ ही उनकी समस्याओं को सुनी जाएं. उन समस्याओं को समाप्त किया जाए.इसे भी पढे़ं- अमरोहा: सात साल के मासूम की सूजे से गोदकर हत्या, पड़ोसी के घर से शव बरामद

सहारनपुर में MLA द्वारा SSP से अमर्यादित भाषा में बात करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूर्व डीजीपी ने कहा कि इस मामले पर सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है और न ही किसी राजनीतिक दल इसका विरोध करते हैं. इससे पुलिस वालों के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचती है और आत्महत्या जैसे कदम उठाए जाते हैं.

पुलिसकर्मियों पर कई तरह के कामों का दबाव रहता है, लेकिन विभाग में अनुपात के हिसाब से उनकी संख्या कम है, जिसकी वजह से उनको शारीरिक और मानसिक आराम नहीं मिल पाता है. इसके लिए सरकार और प्रशासन को समय -समय पर कार्यशाला का आयोजन कराना चाहिए. कार्यशाला के जरिए वो खुद को तनाव मुक्त महसूस करेंगे.
-डा. सृष्टि श्रीवास्तव, मनोचिकित्सक

Intro:पुलिसकर्मी लगातार आत्महत्या करने को मजबूर हैं। मानसिक तनाव बर्दाश्त न कर पाने के कारण वह आत्महत्या कर मौत को गले लगा रहे हैं। पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद्र द्विवेदी ने पुलिस विभाग में बदलाव की बात कही है, तो वही मनोचिकित्सक का कहना है कि अत्याधिक काम के दबाव के चलते पुलिसकर्मी ऐसा करने को मजबूर हो रहे हैं। उन्हें तनाव से मुक्त रखने के लिए प्रशासन द्वारा समय-समय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए।


Body:पुलिस की कार्यक्षमता और काम करने के प्रेशर का दबाव किसी से छुपा नही हैं। देश और प्रदेश की कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए वह अपने परिवार से दूर बिना रुके 24 घंटे काम कर रहे हैं। इस तरह उनको अवसाद, कई तरह के विभागीय उत्पीड़न और मानसिक दबाव से गुजरना पड़ता है। पुलिसकर्मियों के इस तनाव को दूर करने के लिए पुलिस प्रशासन और सरकार द्वारा कोई सुविधाएं नहीं दी गई है, ऐसे में पुलिस वाले खुद को तन्हा और अकेला महसूस करते हैं और आत्महत्या कर अपने जीवन को खत्म कर रहे हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन में काफी बड़े बदलाव की आवश्यकता है। बाईट_ महेश चन्द द्विवेदी पूर्व पुलिस महानिदेशक पूर्व डीजीपी ने बताया कि अवसादग्रस्त व्यकि आत्महत्या करता है। उसको लगता है कि अब समाज को उसकी जरूरत नही है या फिर उसने अपना सम्मान खो दिया है। ईटीवी से बात करते हुए कहा कि पुलिस कर्मी अपने घर परिवार से दूर रहा कर पुलिस की नौकरी करता है। ऐसे में खुद को अकेला महसूस करता है। पुलिस कर्मियों की आत्महत्या के मामले पर राजनीतिक पार्टियों को भी जिम्मेदार बताया है सहारनपुर में MLA द्वारा SSP से अमर्यादित भाषा पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस मामले पर सरकार द्वारा कोई कार्यवाही न नही की गई है और न ही किसी राजनीतिक दल इसका विरोध करते है। इससे पुलिस वालो के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचती है और ऐसे कदम उठाए जाते है। पूर्व पुलिस महानिदेशक ने बताया कि पुलिसकर्मियों के कई घंटों तक लगातार काम करते हैं, इससे उनके शारीरिक और मानसिक तनाव होता है। कहा कि पुलिस वालों को खुद को साबित न कर पाने का डर भी रहता है जो एक बड़ी वजह है। इसके समाधान के लिए इन्होंने कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को आवास देने के हाथ ही उनकी समस्याओं को सुना जाए। उन समस्याओं को समाप्त किया जाए। बाईट_02 डा० सृष्टि श्रीवास्तव, मनोचिकित्सक (प्रिंसिपल, नवयुग कन्या महाविद्यालय) साइकोलॉजिस्ट सृष्टि श्रीवास्तव ने पुलिसकर्मियों पर कई तरह के कामों का अभाव रहता है लेकिन विभाग में अनुपात के हिसाब से उनकी संख्या कम है। जिसकी वजह से उनके शारीरिक और मानसिक आराम नहीं मिल पाता है। इसके लिए सरकार और प्रशासन को उस समय समय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए। कार्यशाला के जरिए वो खुद को तनाव मुक्त महसूस करेंगे।


Conclusion:पुलिस विभाग में जिस तरह से अफसर और कर्मचारी लगातार आत्महत्या कर रहे हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि जनता की समस्याओं के समाधान के लिए उनके साथ खड़े रहने वाले आज खुद भी तन्हा और अकेले हैं। ऐसे में उनको उनका अकेलापन और काम के बढ़ते दबाव को कम करना होगा। ऐसे में सरकार और पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वह इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए उनकी समस्याओं को समझे और उनका निवारण करें। रितेश यादव UP10003 09326455624
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