लखनऊ: यूपी समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति के लिए इस बार छात्रों को आय प्रमाण पत्र लगाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा. समाज कल्याण विभाग की ओर से छात्रवृत्ति के लिए लगने वाले आय प्रमाण पत्र को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की गई है. इस गाइडलाइन के तहत विभाग ने सभी विश्वविद्यालय डिग्री कॉलेज हो प्राविधिक शिक्षण संस्थानों सहित उच्च शिक्षण संस्थानों को जुलाई में हुए बैठक में किस आय प्रमाण पत्र को प्रमाणित करना है, इसको लेकर दिशा निर्देश दिए हैं. समाज कल्याण विभाग में सभी विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया है कि कोई भी छात्र जो अपना आय प्रमाण पत्र छात्रवृत्ति के लिए लगाएगा, उसके आवेदन को निरस्त कर दें.
केवल अभिभावक का आय प्रमाण पत्र ही मान्य होगा: लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रवृत्ति विभाग से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि समाज कल्याण विभाग में जुलाई में हुई बैठक में सभी शिक्षण संस्थानों को इस संबंध में जारी ने दिशा निर्देश से अवगत कराया है. विभाग की ओर से सभी उच्च शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए निर्देश में कहा है कि छात्रवृत्ति के लिए परिवार की आय का प्रमाण पत्र (Parents income certificate required for scholarship in UP)) केवल माता-पिता के ही मान्य होंगे. सत्र 2023 24 में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन प्रक्रिया करते समय छात्रों को इस चीज का ध्यान रखना होगा.
अगर कोई छात्र अपने नाम का आय प्रमाण पत्र लगाता है तो उसके आवेदन को निरस्त कर दिया जाएगा. लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनोद कुमार सिंह ने बताया कि इस बार की छात्रवृत्ति में परिवार की आय से आशय बच्चों के माता-पिता के कुल आय से है. ऐसे में छात्रवृत्ति के लिए केवल माता-पिता के आय प्रमाण पत्र ही मान्य होंगे. अगर कोई छात्र अपने नाम से आय प्रमाण पत्र बनवा कर जमा करता है तो उसके आवेदन को निरस्त कर दिया जाएगा.
विश्वविद्यालय सभी आवेदनों को प्रमाणित करेगा: वहीं समाज कल्याण विभाग के सूत्रों का कहना है कि इस बार विभाग ने उच्च शिक्षा संस्थानों में मिलने वाले छात्रवृत्ति के लिए नियम में संशोधन किया है. बीते साल सामने आए छात्रवृत्ति घोटाले को देखते हुए अब किसी भी उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रवृत्ति के आवेदनों को उस संस्थान के नोडल सेंटर द्वारा ही प्रमाणित किया जाएगा.
अभी तक विश्वविद्यालय अपने सभी संबद्ध संस्थाओं के छात्रवृत्ति आवेदनों को की फीस टैली करके विभाग को भेज देता था. इसके बाद जिला समाज कल्याण अधिकारी उसे आवेदन को वेरीफाई कर प्रमाणित करता था. पर अब यह काम विश्वविद्यालय स्तर पर ही होगा. समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया से छात्रवृत्ति के नाम पर हो रहे खेल वह फर्जी वाले को रोकने में मदद मिलेगी. साथ ही जिन संस्थानों में बच्चों ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया है, उनकी जिम्मेदारी ही तय होगी.