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कत्थक के इतिहास में पहली बार युवा ऑनलाइन सीख रहे विधाएं

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित संगीत नाटक एकेडमी में कत्थक की ऑनलाइन क्लासेज चलाई जा रही हैं. इसके तहत करीब 300 बच्चों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.

youth learning kathak
युवा ऑनलाइन सीख रहे कत्थक
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Published : Jun 1, 2020, 5:15 PM IST

लखनऊ: लॉकडाउन के चलते जहां एक ओर स्कूल कॉलेज और हर तरह के शिक्षण संस्थान बंद हैं तो वहीं दूसरी ओर गर्मी की छुट्टियों में चलने वाली कत्थक की कक्षाएं भी संस्थानों में नहीं चल रही हैं. ऐसे में इन संस्थानों ने बच्चों को नृत्य की इस विधा को सिखाने का ऑनलाइन जरिया खोज निकाला है. खास बात यह है कि ऑनलाइन क्लासेज के लिए पिछले वर्षों के अपेक्षा अधिक रजिस्ट्रेशन हुए हैं.

युवा ऑनलाइन सीख रहे कत्थक
1972 में केंद्र का हुआ था संचालन
गर्मी की छुट्टियों में चलने वाली कत्थक क्लासेज के लिए राजधानी के कत्थक संस्थानों ने ऑनलाइन माध्यम का सहारा लिया है. संगीत एकेडमी के सचिव तरुण राज का कहना है कि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकैडमी में 1972 से ही कत्थक केंद्र का संचालन किया जा रहा है. कत्थक के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि वे फिजिकल क्लासेस नहीं ले पा रहे हैं. हर बार गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के लिए कत्थक क्लासेस का आयोजन किया जाता था. इस वर्ष कोविड-19 के चलते हर तरह की कक्षाओं को बंद कर दिया गया है. ऐसे में उन्होंने ऑनलाइन क्लासेज के बारे में सोचा और इसकी रूपरेखा तैयार की.

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा
गर्मी की छुट्टियों में कत्थक सीखने वाले बच्चों के लिए 30 मई तक रजिस्ट्रेशन लिए गए थे. खास बात यह रही कि इस रजिस्ट्रेशन के बारे में किसी तरह का ऐड या प्रचार नहीं किया गया. इसके बावजूद अंतिम तारीख तक 350 से भी अधिक युवाओं ने संगीत नाटक एकेडमी की कत्थक क्लासेस के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया.

30 जून तक चलेंगी ऑनलाइन क्लासेज
तरुण ने बताया कि उनकी क्लासेस 1 जून से 30 जून तक चलाई जाएंगी. इन क्लासेस में कत्थक की प्रारंभिक विधाओं को और लखनऊ घराने से जुड़ी कुछ तालीम दी जाती है. जब उनके पास रजिस्ट्रेशन काफी संख्या में आना शुरू हुए तो उन्होंने इसकी एक अलग रूपरेखा तैयार की. सुबह 8 बजे से उनकी यह क्लासेस शुरू होंगी जो तकरीबन 6 घंटे चलेंगी. प्रत्येक घंटे की क्लास में 50 से 55 विद्यार्थी ही जोड़े जाएंगे. तरुण बताते हैं कि इन ऑनलाइन क्लासेस के लिए उन्होंने अलग रूपरेखा तैयार की है. इसके तहत वे कैमरा और प्रोजेक्टर के जरिए उन विद्यार्थियों से रूबरू होंगे ताकि अगर किसी भी विद्यार्थी को सीखने में कहीं भी कोई परेशानी न आए. ऐसे में जब विद्यार्थी उनसे संपर्क करने की कोशिश करें तो वे उसे सही ढंग से देख सकें और जानकारी दे सकें.

कत्थक के साथ गायन और वादन की कक्षाएं भी शामिल
इसी तरह राष्ट्रीय कत्थक संस्थान लखनऊ के सचिव भगवान बख्श कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद से ही कत्थक संस्थान में चलने वाली नियमित कक्षाओं पर असर पड़ रहा था. इसके कारण उन्होंने अपनी नियमित कक्षाओं के लिए ऑनलाइन मीटिंग एप्स का सहारा लिया और ऑनलाइन माध्यम से ही वे राष्ट्रीय कत्थक संस्थान में चल रही नियमित कक्षाओं का संचालन कर रहे हैं. इन कक्षाओं में कत्थक के साथ गायन और वादन की कक्षाएं भी शामिल होती हैं.

ऑनलाइन क्लासेज में कई बच्चों ने कराया रजिस्ट्रेशन
तरुण का यह भी कहना है कि पिछले वर्षों तक उनके पास लगभग 100 विद्यार्थी ही कत्थक सीखने के लिए और सर्टिफिकेट कोर्स के लिए आते थे, लेकिन ऑनलाइन क्लासेस में इतनी बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन आएंगे इसका उन्हें अंदाजा नहीं था. वह कहते हैं कि अगर ऑनलाइन क्लासेस सफल रही तो वे अगले वर्षों में यह सुनिश्चित करेंगे कि फिजिकल क्लासेज के साथ ऑनलाइन क्लासेज भी वे संचालित कर सकें. इससे ज्यादा से ज्यादा युवाओं में कत्थक के प्रति रुचि बढ़ेगी और वह सीख सकेंगे. यह कत्थक के भविष्य के लिए बेहद सकारात्मक बात है.

लखनऊ: लॉकडाउन के चलते जहां एक ओर स्कूल कॉलेज और हर तरह के शिक्षण संस्थान बंद हैं तो वहीं दूसरी ओर गर्मी की छुट्टियों में चलने वाली कत्थक की कक्षाएं भी संस्थानों में नहीं चल रही हैं. ऐसे में इन संस्थानों ने बच्चों को नृत्य की इस विधा को सिखाने का ऑनलाइन जरिया खोज निकाला है. खास बात यह है कि ऑनलाइन क्लासेज के लिए पिछले वर्षों के अपेक्षा अधिक रजिस्ट्रेशन हुए हैं.

युवा ऑनलाइन सीख रहे कत्थक
1972 में केंद्र का हुआ था संचालन
गर्मी की छुट्टियों में चलने वाली कत्थक क्लासेज के लिए राजधानी के कत्थक संस्थानों ने ऑनलाइन माध्यम का सहारा लिया है. संगीत एकेडमी के सचिव तरुण राज का कहना है कि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकैडमी में 1972 से ही कत्थक केंद्र का संचालन किया जा रहा है. कत्थक के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि वे फिजिकल क्लासेस नहीं ले पा रहे हैं. हर बार गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के लिए कत्थक क्लासेस का आयोजन किया जाता था. इस वर्ष कोविड-19 के चलते हर तरह की कक्षाओं को बंद कर दिया गया है. ऐसे में उन्होंने ऑनलाइन क्लासेज के बारे में सोचा और इसकी रूपरेखा तैयार की.

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा
गर्मी की छुट्टियों में कत्थक सीखने वाले बच्चों के लिए 30 मई तक रजिस्ट्रेशन लिए गए थे. खास बात यह रही कि इस रजिस्ट्रेशन के बारे में किसी तरह का ऐड या प्रचार नहीं किया गया. इसके बावजूद अंतिम तारीख तक 350 से भी अधिक युवाओं ने संगीत नाटक एकेडमी की कत्थक क्लासेस के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया.

30 जून तक चलेंगी ऑनलाइन क्लासेज
तरुण ने बताया कि उनकी क्लासेस 1 जून से 30 जून तक चलाई जाएंगी. इन क्लासेस में कत्थक की प्रारंभिक विधाओं को और लखनऊ घराने से जुड़ी कुछ तालीम दी जाती है. जब उनके पास रजिस्ट्रेशन काफी संख्या में आना शुरू हुए तो उन्होंने इसकी एक अलग रूपरेखा तैयार की. सुबह 8 बजे से उनकी यह क्लासेस शुरू होंगी जो तकरीबन 6 घंटे चलेंगी. प्रत्येक घंटे की क्लास में 50 से 55 विद्यार्थी ही जोड़े जाएंगे. तरुण बताते हैं कि इन ऑनलाइन क्लासेस के लिए उन्होंने अलग रूपरेखा तैयार की है. इसके तहत वे कैमरा और प्रोजेक्टर के जरिए उन विद्यार्थियों से रूबरू होंगे ताकि अगर किसी भी विद्यार्थी को सीखने में कहीं भी कोई परेशानी न आए. ऐसे में जब विद्यार्थी उनसे संपर्क करने की कोशिश करें तो वे उसे सही ढंग से देख सकें और जानकारी दे सकें.

कत्थक के साथ गायन और वादन की कक्षाएं भी शामिल
इसी तरह राष्ट्रीय कत्थक संस्थान लखनऊ के सचिव भगवान बख्श कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद से ही कत्थक संस्थान में चलने वाली नियमित कक्षाओं पर असर पड़ रहा था. इसके कारण उन्होंने अपनी नियमित कक्षाओं के लिए ऑनलाइन मीटिंग एप्स का सहारा लिया और ऑनलाइन माध्यम से ही वे राष्ट्रीय कत्थक संस्थान में चल रही नियमित कक्षाओं का संचालन कर रहे हैं. इन कक्षाओं में कत्थक के साथ गायन और वादन की कक्षाएं भी शामिल होती हैं.

ऑनलाइन क्लासेज में कई बच्चों ने कराया रजिस्ट्रेशन
तरुण का यह भी कहना है कि पिछले वर्षों तक उनके पास लगभग 100 विद्यार्थी ही कत्थक सीखने के लिए और सर्टिफिकेट कोर्स के लिए आते थे, लेकिन ऑनलाइन क्लासेस में इतनी बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन आएंगे इसका उन्हें अंदाजा नहीं था. वह कहते हैं कि अगर ऑनलाइन क्लासेस सफल रही तो वे अगले वर्षों में यह सुनिश्चित करेंगे कि फिजिकल क्लासेज के साथ ऑनलाइन क्लासेज भी वे संचालित कर सकें. इससे ज्यादा से ज्यादा युवाओं में कत्थक के प्रति रुचि बढ़ेगी और वह सीख सकेंगे. यह कत्थक के भविष्य के लिए बेहद सकारात्मक बात है.
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