लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि सतत प्रयास एवं कुशल प्रबंधन की वजह से खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत आवंटित लक्ष्य के सापेक्ष डेढ़ गुना लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने में सफलता प्राप्त की है. वर्ष 2017 से लेकर अब तक पांच वर्षों के भीतर 1,49,939 लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा गया है. मौजूदा वित्तीय वर्ष 2021-22 में कोविड प्रभाव के बावजूद भी 100 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य प्राप्त किया गया. प्रदेश में 4491 नई इकाइयों की स्थापना कराते हुए 38,782 लोगों को रोजगार के अवसर सुलभ कराए गए जो एक उपलब्धि है.
अपर मुख्य सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) का संचालन उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा किया जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में वर्ष 2017 से ही खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड बड़ी संख्या में सुदूर ग्रामीणवासियों को रोजगार से जोड़ने में तेजी से अग्रसर रहा है. उन्होंने बताया कि पीएमईजीपी के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1974 इकाइयों की स्थापना, 39.47 करोड़ मार्जिन मनी एवं 15,792 लोगों को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित था. बोर्ड द्वारा इसी वित्तीय वर्ष में 50.87 करोड़ की मार्जिन मनी का वितरण कर 16,770 लोगों को रोजगार से जोड़ने में सफलता प्राप्त की गई.
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2018-19 में निर्धारित 57.51 करोड़ मार्जिन मनी एवं 18408 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के सापेक्ष 63.80 करोड़ रुपये मार्जिन मनी का वितरण किया गया और 23312 लोगों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी 77.32 करोड़ मार्जिन मनी वितरण एवं 20624 रोजगार सृजन का प्राप्त हुआ था जिसके सापेक्ष 81.75 करोड़ की मार्जिनमनी एवं 27,957 लोगों को रोजगार से जोड़ा गया है. इसी तरह वर्ष 2020-21 में 77.16 करोड़ रुपये मार्जिन मनी तथा 20,576 रोजगार के लक्ष्य के सापेक्ष 136.36 करोड़ की मार्जिन मनी वितरित की गई और 43,118 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया.
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डॉ. सहगल ने बताया कि पीएमईजीपी योजना भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक महत्वपूर्ण स्वरोजगार की योजना है. इसके अंतर्गत सेवा उद्यम की स्थापना हेतु 10 लाख तथा उत्पादन इकाई के लिए 25 लाख का ऋण बैंकों के माध्यम से दिलाया जाता है. विगत पांच वर्षों के अंदर इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रा में चावल मिल, दाल मिल, तेल मसाला, दलिया निर्माण, फल प्रशोधन, लौह कला, साबुन, आयुर्वेदिक औषधि निर्माण आदि की इकाइयों की स्थापना हुई है. इससे ग्रामीण औद्योगीकरण में मदद मिली तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि भी हुई है.
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