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लखनऊ: मास्क लगाने से टीबी मरीजों में आई गिरावट - decrease tb patients by applying mask

एक ओर जहां मास्क का उपयोग कर लोग कोरोना से बचाव कर रहे हैं तो वहीं मास्क के उपयोग से टीबी के मरीजों में भी कमी आई है. यह कहना है राजधानी स्थित केजीएमयू के रेस्पिरेटरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी का, जिन्होंने इस विषय पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

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डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी.
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Published : Oct 28, 2020, 6:40 PM IST

लखनऊ: कोरोना से बचाव को लेकर सरकार की तरफ से गाइडलाइंस जारी की गई हैं. इन गाइडलाइंस में सबसे महत्वपूर्ण हमेशा मास्क को लगाए रखना बताया गया है. वहीं कोरोना से बचाव को लेकर लोगों ने भी मास्क का उपयोग बढ़ा दिया. वहीं महामारी के साथ-साथ मास्क का फायदा ऐसा दिखा कि लोग कोरोना के साथ-साथ टीबी को भी मात देते दिख रहे हैं.

मास्क लगाने से टीबी के संक्रमण से बच रहे लोग.

मास्क के उपयोग से टीबी के संक्रमित मरीजों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. मास्क लगाने वाले लोग कोरोना से खुद को सुरक्षित कर रहे हैं. वहीं लोग इस संयम और समझदारी से कोविड-19 के साथ टीबी और अन्य बीमारी को भी मात दे रहे हैं, इस बात की जानकारी कुछ सरकारी आंकड़े बयां कर रहे हैं. दरअसल लॉकडाउन और मास्क के उपयोग से टीबी और अन्य बीमारियों के मरीजों की संख्या में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. मास्क लगाने की वजह से टीवी के मरीजों की संख्या में भी लगातार गिरावट हो रही है, जिसको लेकर विशेषज्ञों ने अपनी राय साझा की है.

टीबी के मरीजों में आई जबरदस्त गिरावट
मास्क लगाने वाले लोग कोरोना वायरस से खुद को सुरक्षित कर रहे हैं. वहीं क्षय रोगी इस संयम और समझदारी से कोविड-19 संग टीबी को भी मात दे रहे हैं. सरकारी आंकड़े बता रहे कि जनवरी से अब तक छह रोग के मामले में मरीज देश भर में करीब 26 फीसदी कम हुए हैं. केजीएमयू के रेस्पिरेटरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया कि मास्क के उपयोग को टीबी के मरीजों की संख्या में गिरावट बड़ी वजह है. विशेषज्ञों के अनुसार मास्क लगाने वाला व्यक्ति कोरोना और टीबी से खुद को सुरक्षित कर रहा है. अगर वह संक्रमित है तो उसके जरिए होने वाले संभावित संक्रमण से दूसरे लोग भी सुरक्षित रहते हैं. कोरोना क्षय रोग खांसने, छींकने और थूकने से फैलता हैं. दोनों वायरस जनित रोग हैं. सांस फूलना, बुखार आना कोरोना वायरस का प्रमुख लक्षण है. दोनों बीमारियां संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में फैलती है. गत महीनों से ज्यादातर लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क लगा रहे हैं. यही मास्क लोगों को क्षय रोग से भी बचा रहा है.

कोरोना और टीबी करते हैं फेफड़ों को खोखला
कोरोना और क्षय रोग दोनों ही बीमारी फेफड़े पर सीधा आक्रमण करती हैं. इससे फेफड़ों में सूजन, सिकुड़न और पानी भर जाने की दिक्कत होने लगती है. कभी-कभी यह सीवियर निमोनिया में तब्दील हो जाता है. ऐसे मे मरीज जरा सी मेहनत करने पर हांफने लगता है, क्योंकि उनके फेफड़ों में पर्याप्त ऑक्सीजन की मात्रा नहीं पहुंच पाती. इससे मरीज की जान भी चली जाती है. वहीं मास्क के उपयोग से लोग कोरोना से तो खुद को बचा रहे हैं तो इसके साथ ही साथ टीबी के संक्रमण से भी खुद को बचा रहे हैं.

मास्क लगाने से क्षय रोग की संभावना शून्य
यूपी क्षय रोग टास्क फोर्स केजीएमयू के रेस्पिरेट्री विभाग के विभागाध्यक्ष बताते हैं कि मास्क लगाने पर संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में कोरोना के साथ टीबी के संक्रमण की संभावना शून्य हो जाती है. मास्क के एयर ड्रॉपलेट्स जनरेशन को पूरी तरह से कम कर देता है. यही वजह है कि जनवरी से अब तक टीबी के मरीजों की संख्या में जबरदस्त गिरावट आई है. साल भर के अंदर टीबी संक्रमित मरीजों की संख्या जो चार और साढ़े चार लाख के आसपास पहुंच जाती थी, वह सिर्फ आधी ही रह गई है. वहीं अब किसी एक का संक्रमण होने पर दोनों ही बीमारियों की जांच की जा रही है. साथ ही इसी बहाने से दोनों वायरस की रोकथाम भी की जा सकेगी.

लखनऊ: कोरोना से बचाव को लेकर सरकार की तरफ से गाइडलाइंस जारी की गई हैं. इन गाइडलाइंस में सबसे महत्वपूर्ण हमेशा मास्क को लगाए रखना बताया गया है. वहीं कोरोना से बचाव को लेकर लोगों ने भी मास्क का उपयोग बढ़ा दिया. वहीं महामारी के साथ-साथ मास्क का फायदा ऐसा दिखा कि लोग कोरोना के साथ-साथ टीबी को भी मात देते दिख रहे हैं.

मास्क लगाने से टीबी के संक्रमण से बच रहे लोग.

मास्क के उपयोग से टीबी के संक्रमित मरीजों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. मास्क लगाने वाले लोग कोरोना से खुद को सुरक्षित कर रहे हैं. वहीं लोग इस संयम और समझदारी से कोविड-19 के साथ टीबी और अन्य बीमारी को भी मात दे रहे हैं, इस बात की जानकारी कुछ सरकारी आंकड़े बयां कर रहे हैं. दरअसल लॉकडाउन और मास्क के उपयोग से टीबी और अन्य बीमारियों के मरीजों की संख्या में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. मास्क लगाने की वजह से टीवी के मरीजों की संख्या में भी लगातार गिरावट हो रही है, जिसको लेकर विशेषज्ञों ने अपनी राय साझा की है.

टीबी के मरीजों में आई जबरदस्त गिरावट
मास्क लगाने वाले लोग कोरोना वायरस से खुद को सुरक्षित कर रहे हैं. वहीं क्षय रोगी इस संयम और समझदारी से कोविड-19 संग टीबी को भी मात दे रहे हैं. सरकारी आंकड़े बता रहे कि जनवरी से अब तक छह रोग के मामले में मरीज देश भर में करीब 26 फीसदी कम हुए हैं. केजीएमयू के रेस्पिरेटरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया कि मास्क के उपयोग को टीबी के मरीजों की संख्या में गिरावट बड़ी वजह है. विशेषज्ञों के अनुसार मास्क लगाने वाला व्यक्ति कोरोना और टीबी से खुद को सुरक्षित कर रहा है. अगर वह संक्रमित है तो उसके जरिए होने वाले संभावित संक्रमण से दूसरे लोग भी सुरक्षित रहते हैं. कोरोना क्षय रोग खांसने, छींकने और थूकने से फैलता हैं. दोनों वायरस जनित रोग हैं. सांस फूलना, बुखार आना कोरोना वायरस का प्रमुख लक्षण है. दोनों बीमारियां संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में फैलती है. गत महीनों से ज्यादातर लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क लगा रहे हैं. यही मास्क लोगों को क्षय रोग से भी बचा रहा है.

कोरोना और टीबी करते हैं फेफड़ों को खोखला
कोरोना और क्षय रोग दोनों ही बीमारी फेफड़े पर सीधा आक्रमण करती हैं. इससे फेफड़ों में सूजन, सिकुड़न और पानी भर जाने की दिक्कत होने लगती है. कभी-कभी यह सीवियर निमोनिया में तब्दील हो जाता है. ऐसे मे मरीज जरा सी मेहनत करने पर हांफने लगता है, क्योंकि उनके फेफड़ों में पर्याप्त ऑक्सीजन की मात्रा नहीं पहुंच पाती. इससे मरीज की जान भी चली जाती है. वहीं मास्क के उपयोग से लोग कोरोना से तो खुद को बचा रहे हैं तो इसके साथ ही साथ टीबी के संक्रमण से भी खुद को बचा रहे हैं.

मास्क लगाने से क्षय रोग की संभावना शून्य
यूपी क्षय रोग टास्क फोर्स केजीएमयू के रेस्पिरेट्री विभाग के विभागाध्यक्ष बताते हैं कि मास्क लगाने पर संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में कोरोना के साथ टीबी के संक्रमण की संभावना शून्य हो जाती है. मास्क के एयर ड्रॉपलेट्स जनरेशन को पूरी तरह से कम कर देता है. यही वजह है कि जनवरी से अब तक टीबी के मरीजों की संख्या में जबरदस्त गिरावट आई है. साल भर के अंदर टीबी संक्रमित मरीजों की संख्या जो चार और साढ़े चार लाख के आसपास पहुंच जाती थी, वह सिर्फ आधी ही रह गई है. वहीं अब किसी एक का संक्रमण होने पर दोनों ही बीमारियों की जांच की जा रही है. साथ ही इसी बहाने से दोनों वायरस की रोकथाम भी की जा सकेगी.

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