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लखनऊ: राजधानी के सरकारी अस्पतालों में बढ़े चिकिन पॉक्स के मरीज

राजधानी में चिकन पॉक्स के मरीज बढ़ने लगे हैं. चिकित्सकों का कहना है कि यह बीमारी बच्चों की अपेक्षा बड़ों के लिए ज्यादा खतरनाक होती है. इससे बचाव के लिए पूरी सावधानी बरतनी चाहिए. संक्रमण रोकने के लिए साफ-सफाई के उपाय करने चाहिए.

मौसम में उतार-चढ़ाव होने पर चिकन पॉक्स होने का खतरा रहता है.
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Published : May 3, 2019, 3:47 AM IST

लखनऊ : मौसम में उतार-चढ़ाव होने पर चिकन पॉक्स होने का खतरा रहता है. राजधानी के सरकारी अस्पतालों में चिकन पॉक्स के मरीजों के आने का सिलसिला शुरू भी हो गया है. बलरामपुर एवं केजीएमयू में दो-दो मरीज भर्ती कराए गए हैं.

राजधानी लखनऊ में बढ़े चिकिन पॉक्स के मरीज
चिकन पॉक्स के शुरुआती लक्षण
  • संक्रमित होने के बाद व्यक्ति को बेचैनी महसूस होने लगती है.
  • मांसपेशियों में दर्द रहता है और शरीर पर छोटे-छोटे लाल चकत्ते या छाले पड़ जाते हैं.
  • छालों में असहनीय खुजली होती है और 2 दिन बाद इनमें पानी भर जाता है.
  • बुखार के साथ शरीर में ऐठन और सांस लेने में तकलीफ होती है.
  • भूख नहीं लगती है और जी मचलता है.


बीमारी को आस्था से ना जोड़ें इलाज कराएं

  • वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस वीजेडवी के कारण चिकन पॉक्स होता है.
  • इसे लेकर ग्रामीण इलाकों में लोग भ्रमित रहते हैं
  • इसे आस्था से भी जोड़कर देखा जाता है.
  • झाड़-फूंक की बजाय बीमारी का तत्काल इलाज शुरु कराएं
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
  • बच्चों से ज्यादा बड़ों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है .

रोकथाम के उपाय

  • मरीज को अलग कमरे में रखे साथ ही उसके बिस्तर और बर्तन की भी अलग व्यवस्था रखें
  • शरीर पर पड़े छालों में खुजली होगी लेकिन उन्हें फोड़ना नहीं चाहिए.
  • छालों का सूखना बीमारी के खत्म होने का संकेत है.
  • चिकन पॉक्स से ग्रसित व्यक्ति को स्नान करते समय नीम युक्त पानी का इस्तेमाल करना चाहिए.
  • संक्रमित व्यक्ति को भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने से बचना चाहिए.
  • 1 वर्ष से कम उम्र के शिशु और गर्भवती महिलाओं को इसका टीका नहीं लगवाना चाहिए.

इस बीमारी के होने पर तत्काल इलाज शुरू कराना चाहिए. झाड़-फूंक के चक्कर में देरी नहीं करनी चाहिए. बच्चों में एंटीबॉडीज अधिक बनती है इसलिए उनकी रिक्वरी तेजी से हो जाती है. वहीं दूसरी ओर व्यसकों में एंटीबॉडीज कम बनते हैं इसलिए बच्चों से ज्यादा बड़े इस बीमारी से प्रभावित होते हैं. अगर संक्रमण से प्रभावित व्यक्ति किसी वस्तु का स्पर्श करता है तो वहां चिकन पॉक्स के वायरस रह जाते हैं. ऐसे में दूसरा व्यक्ति वहां पहुंचने पर संपर्क में आ जाता है यही वजह है कि संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाता है. इस बीमारी का असर 15 दिन तक रहता है.
- डॉ. डी हिमांशु, प्रभारी-संक्रमण रोग नियंत्रण, केजीएमयू

लखनऊ : मौसम में उतार-चढ़ाव होने पर चिकन पॉक्स होने का खतरा रहता है. राजधानी के सरकारी अस्पतालों में चिकन पॉक्स के मरीजों के आने का सिलसिला शुरू भी हो गया है. बलरामपुर एवं केजीएमयू में दो-दो मरीज भर्ती कराए गए हैं.

राजधानी लखनऊ में बढ़े चिकिन पॉक्स के मरीज
चिकन पॉक्स के शुरुआती लक्षण
  • संक्रमित होने के बाद व्यक्ति को बेचैनी महसूस होने लगती है.
  • मांसपेशियों में दर्द रहता है और शरीर पर छोटे-छोटे लाल चकत्ते या छाले पड़ जाते हैं.
  • छालों में असहनीय खुजली होती है और 2 दिन बाद इनमें पानी भर जाता है.
  • बुखार के साथ शरीर में ऐठन और सांस लेने में तकलीफ होती है.
  • भूख नहीं लगती है और जी मचलता है.


बीमारी को आस्था से ना जोड़ें इलाज कराएं

  • वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस वीजेडवी के कारण चिकन पॉक्स होता है.
  • इसे लेकर ग्रामीण इलाकों में लोग भ्रमित रहते हैं
  • इसे आस्था से भी जोड़कर देखा जाता है.
  • झाड़-फूंक की बजाय बीमारी का तत्काल इलाज शुरु कराएं
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
  • बच्चों से ज्यादा बड़ों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है .

रोकथाम के उपाय

  • मरीज को अलग कमरे में रखे साथ ही उसके बिस्तर और बर्तन की भी अलग व्यवस्था रखें
  • शरीर पर पड़े छालों में खुजली होगी लेकिन उन्हें फोड़ना नहीं चाहिए.
  • छालों का सूखना बीमारी के खत्म होने का संकेत है.
  • चिकन पॉक्स से ग्रसित व्यक्ति को स्नान करते समय नीम युक्त पानी का इस्तेमाल करना चाहिए.
  • संक्रमित व्यक्ति को भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने से बचना चाहिए.
  • 1 वर्ष से कम उम्र के शिशु और गर्भवती महिलाओं को इसका टीका नहीं लगवाना चाहिए.

इस बीमारी के होने पर तत्काल इलाज शुरू कराना चाहिए. झाड़-फूंक के चक्कर में देरी नहीं करनी चाहिए. बच्चों में एंटीबॉडीज अधिक बनती है इसलिए उनकी रिक्वरी तेजी से हो जाती है. वहीं दूसरी ओर व्यसकों में एंटीबॉडीज कम बनते हैं इसलिए बच्चों से ज्यादा बड़े इस बीमारी से प्रभावित होते हैं. अगर संक्रमण से प्रभावित व्यक्ति किसी वस्तु का स्पर्श करता है तो वहां चिकन पॉक्स के वायरस रह जाते हैं. ऐसे में दूसरा व्यक्ति वहां पहुंचने पर संपर्क में आ जाता है यही वजह है कि संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाता है. इस बीमारी का असर 15 दिन तक रहता है.
- डॉ. डी हिमांशु, प्रभारी-संक्रमण रोग नियंत्रण, केजीएमयू

Intro:एंकर- राजधानी में चिकन पॉक्स के मरीज बढ़ने लगे हैं। बलरामपुर एवं केजीएमयू में मरीज भर्ती कराए गए हैं। चिकित्सकों का कहना है कि यह बीमारी बच्चों की अपेक्षा बड़ों के लिए ज्यादा खतरनाक होती है। घर में एक सदस्य को होने पर पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।


Body:वी ओ- राजधानी में चिकन पॉक्स के मरीज बढ़ने लगे हैं। बलरामपुर एवं केजीएमयू में दो दो मरीज भर्ती कराए गए हैं। चिकित्सकों का कहना है कि यह बीमारी बच्चों की अपेक्षा बड़ों के लिए ज्यादा खतरनाक होती है। घर में एक सदस्य को होने पर पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। साफ सफाई से लेकर संक्रमण रोकने के उपाय करने चाहिए। ताकि या दूसरों में ना फैले।
मौसम में उतार-चढ़ाव होने पर चिकन पॉक्स होने का खतरा रहता है या संक्रमण बीमारी है स्वास्थ्य विभाग की ओर से संक्रमण बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए नगर निगम पशु पालन सहित अन्य विभागों के साथ संयुक्त अभियान चलाया जाता है लेकिन राजधानी में यह अभियान व्यसर है यही वजह है कि केजीएमयू और बलरामपुर अस्पताल में चिकन पॉक्स के मरीजों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है कि ईएमयू में भर्ती कराए गए मरीजों के खसरा निवासी हैं तो दूसरा मडगांव का जबकि बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराए गए दोनों मरीज वजीरगंज के जवाहर नगर निवासी हैं मोहल्ले के निवासी शमशाद ने बताया कि उनके मोहल्ले में सफाई व्यवस्था ध्वस्त है नालियों चौक है इससे संक्रामक बीमारी फैलने की आशंका बनी हुई है।

चिकन पॉक्स के शुरुआती लक्षण।
1. संक्रमित होने के बाद व्यक्ति को बेचैनी महसूस होने लगती है
2. बताओ मांसपेशियों में दर्द रहता है शरीर पर छोटे-छोटे लाल चकत्ते पड़ जाते हैं।
3. शब्दों में असहनीय खुजली होती है 2 दिन बाद उसमें पानी भर जाता है।
4. बुखार के साथ शरीर में ऐठन और सांस लेने में तकलीफ होती है।
5. भूख नहीं लगती है और जी मचलाता है।
6. छोटे छोटे लाल धब्बे और उसमें खुजली होने लगती है।

बीमारी को आस्था से ना जोड़ें इलाज कराएं।

वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस वीजेडवी के कारण संक्रमण बीमारी चिकन पॉक्स होता है। इसे लेकर ग्रामीण इलाके में लोगों में भ्रम रहता है कुछ लोगों से आस्था से जोड़कर देखते हैं केजीएमयू के संक्रमण रोग नियंत्रण प्रभारी डॉ हिमांशु का कहना है कि इस बीमारी के होने पर तत्काल इलाज शुरू करना आना चाहिए। झाड़-फूंक के चक्कर में देरी नहीं करनी चाहिए बस इतना करें की साफ सफाई का ध्यान रखें बच्चों में एंटीबॉडीज अधिक बनती है इसलिए उनकी रिक्वेरी तेजी से हो जाती है वैक्स में एंटीबॉडी कम बनते हैं ऐसे में इन बीमारी की चपेट में आने वाले भजन या औरत की एक वरी होने में देर लगती है जब भी कोई प्रभावित व्यक्ति साथ छोड़ता है। किसी वस्तु का स्पर्श करता है तो वहां चिकन पॉक्स के वायरस रह जाते हैं ऐसे में दूसरा व्यक्ति वहां पहुंचने पर संपर्क में आ जाता है यही वजह है कि संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाता है और उसके खानपान की चीजों से लेकर विस्तार तक अलग कर दिया जाता है इस बीमारी का असर सप्ताह भर से लेकर 15 दिन तक रहता है।

क्या करें।

मरीज को अलग कमरे में रखे उसके बिस्तर वह बर्तन को अलग रखें। शरीर पर पड़े छालों में खुजली होगी। लेकिन उसे फोड़े नहीं। बल्कि किसी तरह बर्दाश्त करें। छालों का सूखना बीमारी के खत्म होने का संकेत है। चिकन पॉक्स से ग्रसित व्यक्ति को स्नान करते समय नीम युक्त पानी का इस्तेमाल करना चाहिए।

रोकथाम के उपाय।

अभी सरकारी अस्पतालों में इस के टीके निशुल्क नहीं है। संक्रमित व्यक्ति को भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने से बचना चाहिए। बीमारी होने पर घर से कम से कम निकले इसका टीका 1 वर्ष से कम उम्र के शिशु और गर्भवती महिलाओं को नहीं लगवाना चाहिए। इसके इलाज के लिए कुछ एंटीहिस्टामाइन एंटी वायरल दवाई दी जाती है। छालो या फफेलो को सूखने की दवाई दी जाती हैं।


बाइट- डॉ. डी हिमांशु,प्रभारी,संक्रमण रोग नियंत्रण,केजीएमयू


Conclusion:एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
7054605976
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