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डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में नुक्कड़ नाटक का आयोजन

डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर बुधवार को नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. नाटक का आयोजन बीएएसएलपी पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों ने किया. इस दौरान एमेनिटीज BLOCK-1 में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से श्रवण बाधितार्थ के सामने आने वाली दिक्कतों के समाधान देने का प्रयास किया गया.

नुक्कड़ नाटक
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Published : Mar 3, 2021, 8:18 PM IST

लखनऊः राजधानी के मोहान रोड से डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर बुधवार को नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. नाटक का आयोजन बीएएसएलपी पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों ने किया. इस दौरान एमेनिटीज block-1 में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से श्रवण बाधितार्थ के सामने आने वाली दिक्कतों, उससे होने वाली परेशानियों एवं उससे बचाव के उपाय की जानकारी देने का प्रयास किया गया.

पहचान के लिए उठाया जाना चाहिए ठोस कदम
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. राणा कृष्णपाल सिंह ने रोजाना ऊंची आवाज में संगीत सुनने से होने वाले नुकसान, बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवाओं के प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभाव और परिवार की वृद्ध महिलाओं द्वारा नवजात शिशुओं के सुनने की क्षमता के परीक्षण की प्रासंगिकता पर बल दिया. उन्होंने बताया कि तकनीक का लाभ श्रवण बाधितों की पहचान और उसके रोकथाम के उपायों को लागू करने में भी उठाया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ेंः-आयुष के ऑर्डर पर साले ने चला दी गोली, 5 घंटे में पर्दाफाश

विद्यार्थी ने प्रस्तुत की कविता
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से विश्वविद्यालय के अन्य संकायों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को भी अपनी जानकारी बढ़ाने में मदद मिलती है. समाज को भी जागरूक करने के लिए इस तरीके के कार्यक्रमों के आयोजन किए जाने चाहिए. इस अवसर पर बीएएसएलपी प्रथम, द्वितीय और तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने विभिन्न विषयों पर पोस्टर, बैनर, प्रतियोगिताओं व नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया. इसके अलावा ऑडियोलॉजिस्ट की भूमिका विषय पर बीएएसएलपी चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थी प्रिंस श्रीवास्तव ने स्वरचित कविता प्रस्तुत की.

लखनऊः राजधानी के मोहान रोड से डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर बुधवार को नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. नाटक का आयोजन बीएएसएलपी पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों ने किया. इस दौरान एमेनिटीज block-1 में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से श्रवण बाधितार्थ के सामने आने वाली दिक्कतों, उससे होने वाली परेशानियों एवं उससे बचाव के उपाय की जानकारी देने का प्रयास किया गया.

पहचान के लिए उठाया जाना चाहिए ठोस कदम
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. राणा कृष्णपाल सिंह ने रोजाना ऊंची आवाज में संगीत सुनने से होने वाले नुकसान, बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवाओं के प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभाव और परिवार की वृद्ध महिलाओं द्वारा नवजात शिशुओं के सुनने की क्षमता के परीक्षण की प्रासंगिकता पर बल दिया. उन्होंने बताया कि तकनीक का लाभ श्रवण बाधितों की पहचान और उसके रोकथाम के उपायों को लागू करने में भी उठाया जाना चाहिए.

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विद्यार्थी ने प्रस्तुत की कविता
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से विश्वविद्यालय के अन्य संकायों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को भी अपनी जानकारी बढ़ाने में मदद मिलती है. समाज को भी जागरूक करने के लिए इस तरीके के कार्यक्रमों के आयोजन किए जाने चाहिए. इस अवसर पर बीएएसएलपी प्रथम, द्वितीय और तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने विभिन्न विषयों पर पोस्टर, बैनर, प्रतियोगिताओं व नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया. इसके अलावा ऑडियोलॉजिस्ट की भूमिका विषय पर बीएएसएलपी चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थी प्रिंस श्रीवास्तव ने स्वरचित कविता प्रस्तुत की.

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