लखनऊ: राजधानी के मेदांता अस्पताल ने कोरोना काल के बीच किडनी ट्रांसप्लांट प्रोग्राम की शुरुआत कर दी है. इसके पहले किडनी ट्रांसप्लांट से डॉक्टरों ने बीते 25 जून को एक युवक की जान बचाई थी. जिसके बाद ट्रांसप्लांट का कार्यक्रम शुरू किया गया.
एक साल से पीड़ित मरीज
मेदांता अस्पताल की ओर से जारी किए गए आधिकारिक वक्तव्य में बताया गया कि एक 30 वर्षीय मरीज को 2019 में पता चला कि वह क्रॉनिक किडनी बिमारी से पीड़ित हैं. किडनी के रोग की मुख्य वजह हाई ब्लड प्रेशर बताई जा रही थी. डॉक्टरों के अनुसार उसकी दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया था और सप्ताह में दो बार मरीज को डायलिसिस करवाना जरूरी हो गया था.
इस परेशानी को देखते हुए मरीज के पिता ने अपनी एक किडनी डोनेट करने का फैसला किया. मरीज की भी हालत बेहतर स्थिति में न होने की वजह से मेदांता अस्पताल ने इस ट्रांसप्लांट को अंजाम देने की ओर कदम बढ़ाया. यहां पर पिता और पुत्र की तमाम जांच की गई और उसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट करने की तैयारी की गई.
सफल रहा किडनी ट्रांसप्लांट
अस्पताल की यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी टीम की देखरेख में 25 जून को सफल तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था. इसके बाद मरीज को 1 सप्ताह बाद अस्पताल से स्वस्थ अवस्था में डिस्चार्ज किया गया. बाद में मरीज की फिर से जांच की गई और पाया गया कि वह पूरी तरीके से स्वस्थ है.
मेदांता अस्पताल में किए गए इस किडनी ट्रांसप्लांट प्रोग्राम की नेफ्रोलॉजी टीम में डॉ. आरके शर्मा, डॉ. अभिजीत कुमार, डॉ. फारुख, डॉ. सलमान और डॉ. चंद्रशेखर यादव शामिल रहे. वहीं यूरोलॉजी की टीम में डॉ. राकेश कपूर, डॉ. मयंक मोहन अग्रवाल, डॉ. वेद भास्कर और डॉ. शैलेंद्र गुप्ता उपस्थित रहे. एनेस्थीसिया की टीम में डॉ. चंद्रकांत पांडे ने अपनी भूमिका निभाई.