लखनऊ : फायर स्टेशन में आग लगने की सूचना मिलते न सिर्फ फायर टेंडर (fire tender) को तत्काल रवाना किया जाएगा बल्कि ठीक उसी समय दमकल वाहन के जाने वाले रूट में तैनात ट्रैफिक कर्मियों को भी सूचना दे दी जाएगी. जिससे दमकल कम समय में मौके पर पहुंचें और आग बुझाने का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जा सके. फायर विभाग ने ये फैसला तब किया है जब हाल ही में लखनऊ के तीन अलग अलग इलाकों में हुए अग्निकांड में 6 लोगों की मौत हुई है और आरोप यह लगे कि फायर टेंडर को पहुंचने में देर हुई थी.
उत्तर प्रदेश की राजधानी के विकासनगर में 28 नवंबर को एक घर में आग लगने से वहां मौजूद एक बुजुर्ग महिला की जल कर मौत हो गई थीय शासन ने डीजी फायर से पूछ लिया कि आखिर रिस्पांस टाइम में क्यों देरी हुई. 10 दिन बाद एक बार फिर राजधानी के चारबाग में आग लग गई. फायर टेंडर 15 मिनट में पहुंची, लेकिन रेस्क्यू में देरी हुई और एक व्यक्ति जलकर मर गया. फायर टेंडर के देरी से पहुंचने के पीछे के कारणों पर जब लखनऊ के मुख्य अग्निशमन अधिकारी मंगेश कुमार ने जांच की तो सामने आया कि चारबाग में आग बुझाने के लिए जिस अमीनाबाद फायर स्टेशन से महज 9 सेकेंड में फायर टेंडर ((fire tender)) निकला था उसे अधिकतम 10 मिनट में पहुंच जाना था, लेकिन ट्रैफिक जाम के कारण उसे पहुंचने में 15 मिनट लग गए. ऐसे में उन्होंने लोगों से फायर टेंडर को रास्ता देने की अपील के साथ विभागीय तौर पर भी एक योजना बनाई है.
मुख्य अग्निशमन अधिकारी लखनऊ मंगेश कुमार (Chief Fire Officer Lucknow Mangesh Kumar) के मुताबिक जैसे ही हमें किसी इलाके में आग लगने की सूचना मिलती है. वैसे ही उस इलाके के फायर स्टेशन में अलार्म बज जाता है. इसके बाद 9 सेकेंड से भी कम समय में फायर टेंडर मौके के लिए रवाना होता है. दमकल घटनास्थल पर कम समय में पहुंच जाए इसको लेकर अब हम फायर स्टेशन में अलार्म बजते ही उस रूट के ट्रैफिक पुलिसकर्मी जिसमें संबंधित एसीपी ट्रैफिक या ट्रैफिक इंस्पेक्टर (ACP Traffic or Traffic Inspector) से जानकारी साझा कर देंगे. जिससे जैसे जैसे हमारा फायर टेंडर बढ़ता जाएगा उसे आगे के चौराहे व रूट खाली मिलता रहेगा और जल्द से जल्द हम रेस्क्यू कर सकेंगे. इसके लिए हमने कार्य योजना बना ली है और ट्रैफिक विभाग से वार्ता भी हो चुकी है.
वहीं फायर टेंडर (fire tender) को जाम मुक्त रूट देने के लिए ट्रैफिक विभाग ने भी कमर कस ली है. एडीसीपी अजय कुमार (ADCP Ajay Kumar) ने बताया कि पीक ऑवर में सड़कों पर वाहनों का लोड अधिक होता है. ऐसे में यदि फायर टेंडर गुजरता है तो कभी जाम में उसकी रफ्तार धीमी हो जाती है. क्योंकि हर एक सेकेंड आग लगने की स्थिति में लोगों की जान खतरे में डालता है. ऐसे में जैसे ही फायर विभाग हमें रूट की सूचना देगा उसी वक्त हम उसके लिए बेस्ट रूट बना कर देंगे. दरअसल, फायर सर्विस स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के लिए रिस्पोंस टाइम तय है. इसके अनुसार ग्रामीण इलाकों में अधिकतम 15 मिनट और शहरी क्षेत्र में अधिकतम 7 मिनट का रिस्पांस टाइम सुनिश्चित करना है.
हाल ही में देरी से पहुंची फायर सर्विस : 28 नवंबर 2022 को राज्धानी के विकासनगर सेक्टर 4 में रिटायर्ड शिक्षिका के घर में आग लग गई. जिस इलाके में आग लगी थी वहां से आधे घंटे की दूरी पर इन्दिरानगर फायर स्टेशन था. बावजूद इसके फायर टेंडर मौके पर एक घंटा देरी से पहुंचे. जिसको लेकर गृह विभाग ने डीजी फायर सर्विस को तलब किया था. इस अग्निकांड में समय पर रेस्क्यू न हो पाने पर बुजुर्ग शिक्षिका शशि की मौत हो गई थी. इसी तरह 8 दिसंबर 2022 को चारबाग एक रेस्टोंरेंट में आग लग गई थी. इस अग्निकांड में एक युवक की जान चली गई थी. यहां लगी आग बुझाने के लिए पहले अमीनाबाद फायर स्टेशन से एक गाड़ी मौके के लिए रवाना की गई. इसके बाद हजरतगंज से भी फायर टेंडर को भेजा गया. हालांकि घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने कहा कि दमकल वाहनों को पहुंचने में देरी हुई. जिस कारण जल्द से जल्द आग को बुझाया नहीं जा सका.यह भी पढ़ें : नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर रोक बढ़ी, अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी
अब देरी से नहीं पहुंचेंगी फायर सर्विस की गाड़ियां, फायर विभाग और ट्रैफिक पुलिस ने बनाई योजना
फायर स्टेशन में आग लगने की सूचना मिलते न सिर्फ फायर टेंडर को तत्काल रवाना किया जाएगा बल्कि ठीक उसी समय दमकल वाहन के जाने वाले रूट में तैनात ट्रैफिक कर्मियों को भी सूचना दे दी जाएगी. जिससे दमकल कम समय में मौके पर पहुंचें और आग बुझाने का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जा सके.
लखनऊ : फायर स्टेशन में आग लगने की सूचना मिलते न सिर्फ फायर टेंडर (fire tender) को तत्काल रवाना किया जाएगा बल्कि ठीक उसी समय दमकल वाहन के जाने वाले रूट में तैनात ट्रैफिक कर्मियों को भी सूचना दे दी जाएगी. जिससे दमकल कम समय में मौके पर पहुंचें और आग बुझाने का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जा सके. फायर विभाग ने ये फैसला तब किया है जब हाल ही में लखनऊ के तीन अलग अलग इलाकों में हुए अग्निकांड में 6 लोगों की मौत हुई है और आरोप यह लगे कि फायर टेंडर को पहुंचने में देर हुई थी.
उत्तर प्रदेश की राजधानी के विकासनगर में 28 नवंबर को एक घर में आग लगने से वहां मौजूद एक बुजुर्ग महिला की जल कर मौत हो गई थीय शासन ने डीजी फायर से पूछ लिया कि आखिर रिस्पांस टाइम में क्यों देरी हुई. 10 दिन बाद एक बार फिर राजधानी के चारबाग में आग लग गई. फायर टेंडर 15 मिनट में पहुंची, लेकिन रेस्क्यू में देरी हुई और एक व्यक्ति जलकर मर गया. फायर टेंडर के देरी से पहुंचने के पीछे के कारणों पर जब लखनऊ के मुख्य अग्निशमन अधिकारी मंगेश कुमार ने जांच की तो सामने आया कि चारबाग में आग बुझाने के लिए जिस अमीनाबाद फायर स्टेशन से महज 9 सेकेंड में फायर टेंडर ((fire tender)) निकला था उसे अधिकतम 10 मिनट में पहुंच जाना था, लेकिन ट्रैफिक जाम के कारण उसे पहुंचने में 15 मिनट लग गए. ऐसे में उन्होंने लोगों से फायर टेंडर को रास्ता देने की अपील के साथ विभागीय तौर पर भी एक योजना बनाई है.
मुख्य अग्निशमन अधिकारी लखनऊ मंगेश कुमार (Chief Fire Officer Lucknow Mangesh Kumar) के मुताबिक जैसे ही हमें किसी इलाके में आग लगने की सूचना मिलती है. वैसे ही उस इलाके के फायर स्टेशन में अलार्म बज जाता है. इसके बाद 9 सेकेंड से भी कम समय में फायर टेंडर मौके के लिए रवाना होता है. दमकल घटनास्थल पर कम समय में पहुंच जाए इसको लेकर अब हम फायर स्टेशन में अलार्म बजते ही उस रूट के ट्रैफिक पुलिसकर्मी जिसमें संबंधित एसीपी ट्रैफिक या ट्रैफिक इंस्पेक्टर (ACP Traffic or Traffic Inspector) से जानकारी साझा कर देंगे. जिससे जैसे जैसे हमारा फायर टेंडर बढ़ता जाएगा उसे आगे के चौराहे व रूट खाली मिलता रहेगा और जल्द से जल्द हम रेस्क्यू कर सकेंगे. इसके लिए हमने कार्य योजना बना ली है और ट्रैफिक विभाग से वार्ता भी हो चुकी है.
वहीं फायर टेंडर (fire tender) को जाम मुक्त रूट देने के लिए ट्रैफिक विभाग ने भी कमर कस ली है. एडीसीपी अजय कुमार (ADCP Ajay Kumar) ने बताया कि पीक ऑवर में सड़कों पर वाहनों का लोड अधिक होता है. ऐसे में यदि फायर टेंडर गुजरता है तो कभी जाम में उसकी रफ्तार धीमी हो जाती है. क्योंकि हर एक सेकेंड आग लगने की स्थिति में लोगों की जान खतरे में डालता है. ऐसे में जैसे ही फायर विभाग हमें रूट की सूचना देगा उसी वक्त हम उसके लिए बेस्ट रूट बना कर देंगे. दरअसल, फायर सर्विस स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के लिए रिस्पोंस टाइम तय है. इसके अनुसार ग्रामीण इलाकों में अधिकतम 15 मिनट और शहरी क्षेत्र में अधिकतम 7 मिनट का रिस्पांस टाइम सुनिश्चित करना है.
हाल ही में देरी से पहुंची फायर सर्विस : 28 नवंबर 2022 को राज्धानी के विकासनगर सेक्टर 4 में रिटायर्ड शिक्षिका के घर में आग लग गई. जिस इलाके में आग लगी थी वहां से आधे घंटे की दूरी पर इन्दिरानगर फायर स्टेशन था. बावजूद इसके फायर टेंडर मौके पर एक घंटा देरी से पहुंचे. जिसको लेकर गृह विभाग ने डीजी फायर सर्विस को तलब किया था. इस अग्निकांड में समय पर रेस्क्यू न हो पाने पर बुजुर्ग शिक्षिका शशि की मौत हो गई थी. इसी तरह 8 दिसंबर 2022 को चारबाग एक रेस्टोंरेंट में आग लग गई थी. इस अग्निकांड में एक युवक की जान चली गई थी. यहां लगी आग बुझाने के लिए पहले अमीनाबाद फायर स्टेशन से एक गाड़ी मौके के लिए रवाना की गई. इसके बाद हजरतगंज से भी फायर टेंडर को भेजा गया. हालांकि घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने कहा कि दमकल वाहनों को पहुंचने में देरी हुई. जिस कारण जल्द से जल्द आग को बुझाया नहीं जा सका.यह भी पढ़ें : नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर रोक बढ़ी, अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी