लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अबकी सस्ता घर भी बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है. वहीं, एक बार फिर से सीमेंट, सरिया और मौरंग के दाम में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन गरीबों को दिए जाने वाले अनुदान में राज्य सरकार ने कोई वृद्धि नहीं की है. ऐसे में गरीबों के अपने घर का सपना साकार होने से पहले ही टूटने लगा है.
बताया जाता है कि देश में कोयला संकट का असर स्टील और सीमेंट के उत्पादन पर पड़ रहा है, जिसके चलते स्टील और सीमेंट के दाम तेजी से बढ़ने लगे हैं.
इस कारोबार में लगे लोग बताते हैं कि सरिया के दाम में 5000 से साढ़े 6000 प्रति टन की वृद्धि हुई है. अभी तक सरिया का भाव 57000 प्रति टन था, जो अब 62000 से 64000 प्रति टन तक पहुंच गया है. मौरंग का भाव जो अभी तक 50000 प्रति 1000 घनफुट था, वह अब 55000 तक पहुंच गया है.
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कहने का अर्थ है कि मौरंग के दाम में भी 5000 प्रति टन का उछाल आया है. इसी तरह बालू के दाम 30000 प्रति हजार घनफुट से बढ़कर 31000 से 32000 घनफुट तक पहुंच गई है. बात अगर गिट्टी की करें तो गिट्टी के दाम में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. वहीं, 40 से 45 हजार प्रति घन फुट बिकने वाली गिट्टी अब 50000 से 55000 प्रति घन फुट पहुंच गई है.
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व्यापारियों का कहना है कि चुनाव नजदीक होने के कारण निर्माण कार्य समय से पूरा करने का सरकार का दबाव बढ़ा है. जिस से बंद पड़े सरकारी कार्य तेजी से शुरू हो गए हैं. इस स्थिति के चलते बिल्डिंग मटेरियल की मांग बढ़ी है, जिसका प्रभाव आम जनता पर पड़ना स्वाभाविक है.
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लखनऊ लोहा व्यापार मंडल के अध्यक्ष विशाल अग्रवाल बताते हैं कि लोहे का उत्पादन गिरा है. डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ने के कारण धुलाई की दरें भी बढ़ी हैं. कोयले संकट होने के कारण उत्पादन में अभी और गिरावट की संभावना है. इससे मार्केट में उछाल आना स्वाभाविक है.
सीमेंट व्यापार संघ के अध्यक्ष श्याम मूर्ति गुप्ता ने बताया कि कच्चे माल की आपूर्ति चीन सहित कई अन्य जगहों से होती है. लेकिन कोरोना संक्रमण के घटते प्रभाव के बीच शुरू हुए त्योहारी सीजन में भवन निर्माण में तेजी आई है. इससे आपूर्ति कम और खपत में अचानक तेजी आने से कीमतों में उछाल की स्थिति बनी हुई है.