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इस थाने से थी बड़ी उम्मीद, लेकिन मिली निराशा - top ten police stations of country

देश के टॉप टेन थानों की सूची में राजधानी लखनऊ के कोई भी थाना शामिल नहीं किया जा सका है. अत्याधुनिक संसाधनों से लैस राजधानी पुलिस अभी तक सिर्फ एक बार ही खिताब ले सकी है.

हजरतगंज कोतवाली
हजरतगंज कोतवाली
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Published : Dec 6, 2020, 5:18 PM IST

लखनऊ: देश के टॉप टेन थानों की सूची में राजधानी लखनऊ का कोई भी थाना अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सका. अत्याधुनिक संसाधनों से लैस राजधानी पुलिस अभी तक सिर्फ एक बार ही खिताब ले सकी है. वर्ष 2017 में गुडंबा थाने को देश में तीसरा सबसे अच्छा थाना घोषित किया गया था. हालांकि लखनऊ पुलिस को न तो उससे पहले और ना ही उसके बाद यह पुरस्कार नसीब हुआ. इसका कारण थानों में गंदगी और अनियोजित व्यवस्था है. राजधानी का दिल कहे जाने वाले हजरतगंज कोतवाली का हाल भी खस्ता है. कोतवाली पहुंचने के लिए आपको कड़ी मशक्कत भी करनी पड़ेगी.


स्वच्छता अभियान को दिखा रहा ठेंगा

बाल्मीकि मार्ग पर सड़क वाहनों से पटी रहती है. कार की मरम्मत करने वाले दुकानदार सड़क पर कब्जा जमाए रहते हैं. कोतवाली के गेट पर ही आपको कूड़ा दान रखा मिल जाएगा, जो स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखा रहा है. परिसर के भीतर घुसते ही बेतरतीब खड़ी गाड़ियां नजर आएंगी. पुलिस ने जिन वाहनों को सीज कर रखा है, उनपर धूल की परत जमी हैं. खास बात यह है कि वर्ष 2019 में तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी ने जब्त वाहनों को रखने के लिए कल्ली पश्चिम पुलिस लाइन में पार्किंग की व्यवस्था बनाई थी. हालांकि निजाम के बदलते ही वह व्यवस्था पटरी से उतर गई.


शौचालय की स्थिति बदतर

कोतवाली के भीतर शौचालय की स्थिति भी बदतर है. कोरोना ने अपराध की रफ्तार रोकी है. इस साल पूर्व की अपेक्षा बहुत कम मुकदमें दर्ज हुए हैं, इसका कारण लॉकडाउन और कोरोना वायरस है. वर्ष 2020 में अबतक कुल 355 मुकदमें दर्ज हुए हैं. वहीं वर्ष 2017 में 1062, 2018 में 781 और 2019 में 635 मुकदमें दर्ज हुए थे. इस साल हजरतगंज कोतवाली में करीब 300 विवेचना लंबित हैं, इसके पीछे भी लॉकडाउन को कारण बताया जा रहा है.

लखनऊ: देश के टॉप टेन थानों की सूची में राजधानी लखनऊ का कोई भी थाना अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सका. अत्याधुनिक संसाधनों से लैस राजधानी पुलिस अभी तक सिर्फ एक बार ही खिताब ले सकी है. वर्ष 2017 में गुडंबा थाने को देश में तीसरा सबसे अच्छा थाना घोषित किया गया था. हालांकि लखनऊ पुलिस को न तो उससे पहले और ना ही उसके बाद यह पुरस्कार नसीब हुआ. इसका कारण थानों में गंदगी और अनियोजित व्यवस्था है. राजधानी का दिल कहे जाने वाले हजरतगंज कोतवाली का हाल भी खस्ता है. कोतवाली पहुंचने के लिए आपको कड़ी मशक्कत भी करनी पड़ेगी.


स्वच्छता अभियान को दिखा रहा ठेंगा

बाल्मीकि मार्ग पर सड़क वाहनों से पटी रहती है. कार की मरम्मत करने वाले दुकानदार सड़क पर कब्जा जमाए रहते हैं. कोतवाली के गेट पर ही आपको कूड़ा दान रखा मिल जाएगा, जो स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखा रहा है. परिसर के भीतर घुसते ही बेतरतीब खड़ी गाड़ियां नजर आएंगी. पुलिस ने जिन वाहनों को सीज कर रखा है, उनपर धूल की परत जमी हैं. खास बात यह है कि वर्ष 2019 में तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी ने जब्त वाहनों को रखने के लिए कल्ली पश्चिम पुलिस लाइन में पार्किंग की व्यवस्था बनाई थी. हालांकि निजाम के बदलते ही वह व्यवस्था पटरी से उतर गई.


शौचालय की स्थिति बदतर

कोतवाली के भीतर शौचालय की स्थिति भी बदतर है. कोरोना ने अपराध की रफ्तार रोकी है. इस साल पूर्व की अपेक्षा बहुत कम मुकदमें दर्ज हुए हैं, इसका कारण लॉकडाउन और कोरोना वायरस है. वर्ष 2020 में अबतक कुल 355 मुकदमें दर्ज हुए हैं. वहीं वर्ष 2017 में 1062, 2018 में 781 और 2019 में 635 मुकदमें दर्ज हुए थे. इस साल हजरतगंज कोतवाली में करीब 300 विवेचना लंबित हैं, इसके पीछे भी लॉकडाउन को कारण बताया जा रहा है.

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