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केजीएमयू में नहीं मिल रही हैं मूलभूत सुविधाएं, बिना इलाज लौट रहें मरीज

लखनऊ के केजीएमयू में मरीजों के पास इलाज के पैसे नहीं है, जिस वजह से डॉक्टर उन्हें वापस भेज रहे हैं और मरीजों को रैन बसेरों का सहारा लेना पड़ रहा है.

रैन बसेरों का सहारा लेते मरीज
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Published : Feb 6, 2019, 3:33 PM IST

लखनऊ: राजधानी के अठन्नी केबल अस्पताल में कैंसर के मरीजों को राहत नहीं बल्कि दर्द मिल रहा है. मरीजों के पास इलाज के लिए पैसा न होने के कारण उन्हें वापस लौटना पर रहा है, जिसके चलते उन्हें रैन बसेरों का सहारा लेना पड़ रहा है.

केजीएमयू में कैंसर मरीजों को नहीं मिल रही सुविधाऐं

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मेडिकल कॉलेज में मरीजों के पास इलाज के पैसे नहीं है, जिस वजह से डॉक्टर उन्हें वापस भेज रहे हैं. ऐसा ही एक मामला केजीएमयू से सामने आया है, जब एक पत्नी अपने पति के कैंसर इलाज के लिए अस्पताल में आई. केजीएमयू के डॉक्टरों ने पैसे न होने की वजह से इलाज करने से मना कर दिया, जिसके बाद वह अपने पति को अस्पताल के बाहर ही रैन बसेरे में लेकर रह रही है.

ऐसे ही एक दादा जिन्हें पांच साल से कैंसर है, लेकिन केजीएमयू ने उनका इलाज करने की बजाए बाहर भेज दिया. डाक्टरों ने उनसे कहा पहले पैसे लेकर आओ फिर तुम्हारा इलाज हो पाएगा. ऐसे में उनका कहना है कि अगर उनके पास पैसे नहीं है तो क्या उन्हें जीने का हक नही है. इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या आयुष्मान जैसी प्रभाव योजनाएं भी क्या चुनावी स्टंट बनकर रह गई हैं.

लखनऊ: राजधानी के अठन्नी केबल अस्पताल में कैंसर के मरीजों को राहत नहीं बल्कि दर्द मिल रहा है. मरीजों के पास इलाज के लिए पैसा न होने के कारण उन्हें वापस लौटना पर रहा है, जिसके चलते उन्हें रैन बसेरों का सहारा लेना पड़ रहा है.

केजीएमयू में कैंसर मरीजों को नहीं मिल रही सुविधाऐं

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मेडिकल कॉलेज में मरीजों के पास इलाज के पैसे नहीं है, जिस वजह से डॉक्टर उन्हें वापस भेज रहे हैं. ऐसा ही एक मामला केजीएमयू से सामने आया है, जब एक पत्नी अपने पति के कैंसर इलाज के लिए अस्पताल में आई. केजीएमयू के डॉक्टरों ने पैसे न होने की वजह से इलाज करने से मना कर दिया, जिसके बाद वह अपने पति को अस्पताल के बाहर ही रैन बसेरे में लेकर रह रही है.

ऐसे ही एक दादा जिन्हें पांच साल से कैंसर है, लेकिन केजीएमयू ने उनका इलाज करने की बजाए बाहर भेज दिया. डाक्टरों ने उनसे कहा पहले पैसे लेकर आओ फिर तुम्हारा इलाज हो पाएगा. ऐसे में उनका कहना है कि अगर उनके पास पैसे नहीं है तो क्या उन्हें जीने का हक नही है. इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या आयुष्मान जैसी प्रभाव योजनाएं भी क्या चुनावी स्टंट बनकर रह गई हैं.

Intro:एंकर- मरीजों को कैंसर से ज्यादा दर्द केजीएमयू दे रहा है ऐसा इसलिए क्योंकि राजधानी के इस अस्पताल मे कैंसर के मरीजों के पास इलाज के लिए पैसा न होने के कारण उन्हें वापस लौटना पर रहा है ।जिसके चलते उन्हें रैन बसेरों का सहारा लेना पड़ रहा है।


Body:वी.ओ- राजधानी अठन्नी केबल अस्पताल में मरीजों को 10 राहत दूर बल्कि उन्हें और दर्द मिल रहा है ।ऐसा इसलिए क्योंकि मेडिकल कॉलेज में मरीजों को उनका इलाज पैसे की वजह से नहीं पा रहा मरीजों को कहना है कि इलाज़ कापैसा ना होने की वजह से डॉक्टरों उन्हें वापस भेज रहे हैं। ऐसा ही मामला हमारे सामने आया जब एक पत्नी अपने पति जिसको कैंसर है और उसका इलाज के केजीएमयू के डॉक्टरों ने पैसे ना होने की वजह से करने से मना कर दिया। इसके बाद वह अपने पति को हॉस्पिटल के बाहरी ही रैन बसेरा मे लेकर रह रही है।उसकी पीड़ा को देखकर हर कोई मायूस है बेबस है बाइट- पीड़ित 1 वी.ओ- इनकी बेबसी को देखने के बाद हम थोड़ा आगे बढ़े तो ठीक सामने एक दादा अपनी बीमारी का इलाज खोज रहे थे उनके साथ भी यही समस्या थी ।उन्हें भी पांच साल से कैंसर है। लेकिन केजीएमयू उन्हें इलाज की बजाए बाहर भेज दिया और कहा है पहले पैसे लेकर आओ फिर तुम्हारा इलाज हो पाएगा ऐसे में उनका कहना है कि अगर उनके पास पैसे नहीं है तो क्या उन्हें जीने का हक़ नही है ।उनकी यह बाद सुनकर हर कोई ग़मज़दा हैरान है। बाइट- पीड़ित 2


Conclusion:वी.ओ- कभी पीड़ितों को इलाज नहीं मिल पा रहा है ।सवाल कई है पर सभी के जवाब नदारत है । इन सबके बीच भी बड़ा सवाल है क्या आयुष्मान जैसी प्रभाव योजनाएं भी क्या चुनावी स्टंट बनकर रह गई है?
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