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उम्रकैद की सजा काट रहे बंदियों के लिए Good News, अब साल में इतने बार मिलेगी रिहाई

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Published : May 29, 2022, 6:44 PM IST

जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई में उम्र का बंधन बाधा नहीं बनेगा. इसे लेकर संशोधित शासनादेश जारी कर दिया गया है.

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बंदियों की रिहाई में संशोधन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई में उम्र का बंधन बाधा नहीं बनेगी. यहीं नहीं, अब साल में 10 बार बंदियों को अलग-अलग खास दिवसों में रिहाई दी जाएगी. इसमें सिर्फ और सिर्फ आदर्श बंदी ही शामिल है जिसको लेकर संशोधित शासनादेश भी जारी कर दिया गया है.

उम्र का बंधन खत्म : कारागार प्रशासन और सुधार विभाग नए संशोधित शासनादेश के मुताबिक, साल 2018 में उम्र कैद की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई से जुड़ा एक शासनादेश जारी किया गया था. इसे दोबारा साल 2021 में संशोधित कर बंदियों की रिहाई के लिए 60 साल की उम्र पूरी करने की शर्त की गई थी लेकिन अब 2021 के शासनादेश को राज्यपाल की अनुमति के बाद एक बार फिर संशोधित कर उम्र की बाधा को हटा दिया गया है. संशोधित शासनादेश के मुताबिक रिहाई के पात्र ऐसे बंदियों को मौका मिलेगा जो आजीवन कारावास की सजा में बिना किसी छूट के 16 जेल और छूट के 20 साल जेल में बिता चुके हों. ऐसे बंदी रिहाई के लिए आवेदन कर सकेंगे. इसमें बंदी की उम्र को आधार नहीं बनाया जाएगा. हालांकि इसमें सिर्फ आदर्श श्रेणी के बंदियों को ही शामिल किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- सोनभद्र के आदिवासी गांवों में पहुंचा LU का एंथ्रोपोलॉजी विभाग, मानव विज्ञान के कई विषयों पर होगी शोध

कौन नहीं होगा पात्र : डीआईजी जेल शैलेंद्र मैत्रेय ने बताया कि शासनादेश के अनुसार ऐसे बंदी जो जघन्य अपराध के दोषी हों, जो नाबालिग से रेप के मामले में दोषसिद्धि हो चुके हों, राष्ट्रद्रोह के दोष में जेल में निरुद्ध हों या सीबीआई, एनआईए जैसी केंद्रीय एजेंसियों की विशेष अदालत से सजा पाए बंदी रिहाई के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे.

अब साल में 10 बार उम्र कैद की सजा पाए बंदी होंगे रिहा : शैलेंद्र मैत्रेय ने बताया कि अब तक साल में सिर्फ 7 बार ही पात्र बंदियों की रिहाई होती है लेकिन संसोधित शासनादेश के अनुसार अब साल में 10 बार उम्र कैद की सजा काट रहे बंदियों को अनुकंपा के आधार पर रिहा किया जाएगा. इसमे गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), महिला दिवस (8 मार्च), विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल), मजदूर दिवस (1 मई), विश्व योग दिवस (21 जून), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गांधी जयंती (2 अक्टूबर) शामिल थे. शासनादेश में बदलाव के बाद शिक्षक दिवस (5 सितंबर), अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस (16 नवंबर) और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस (10 दिसंबर) को भी शामिल किया गया है. उनके मुताबिक, अब 21 जून को विश्व योग दिवस के मौके पर बंदियों को रिहा किया जाना है.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई में उम्र का बंधन बाधा नहीं बनेगी. यहीं नहीं, अब साल में 10 बार बंदियों को अलग-अलग खास दिवसों में रिहाई दी जाएगी. इसमें सिर्फ और सिर्फ आदर्श बंदी ही शामिल है जिसको लेकर संशोधित शासनादेश भी जारी कर दिया गया है.

उम्र का बंधन खत्म : कारागार प्रशासन और सुधार विभाग नए संशोधित शासनादेश के मुताबिक, साल 2018 में उम्र कैद की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई से जुड़ा एक शासनादेश जारी किया गया था. इसे दोबारा साल 2021 में संशोधित कर बंदियों की रिहाई के लिए 60 साल की उम्र पूरी करने की शर्त की गई थी लेकिन अब 2021 के शासनादेश को राज्यपाल की अनुमति के बाद एक बार फिर संशोधित कर उम्र की बाधा को हटा दिया गया है. संशोधित शासनादेश के मुताबिक रिहाई के पात्र ऐसे बंदियों को मौका मिलेगा जो आजीवन कारावास की सजा में बिना किसी छूट के 16 जेल और छूट के 20 साल जेल में बिता चुके हों. ऐसे बंदी रिहाई के लिए आवेदन कर सकेंगे. इसमें बंदी की उम्र को आधार नहीं बनाया जाएगा. हालांकि इसमें सिर्फ आदर्श श्रेणी के बंदियों को ही शामिल किया जाएगा.

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कौन नहीं होगा पात्र : डीआईजी जेल शैलेंद्र मैत्रेय ने बताया कि शासनादेश के अनुसार ऐसे बंदी जो जघन्य अपराध के दोषी हों, जो नाबालिग से रेप के मामले में दोषसिद्धि हो चुके हों, राष्ट्रद्रोह के दोष में जेल में निरुद्ध हों या सीबीआई, एनआईए जैसी केंद्रीय एजेंसियों की विशेष अदालत से सजा पाए बंदी रिहाई के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे.

अब साल में 10 बार उम्र कैद की सजा पाए बंदी होंगे रिहा : शैलेंद्र मैत्रेय ने बताया कि अब तक साल में सिर्फ 7 बार ही पात्र बंदियों की रिहाई होती है लेकिन संसोधित शासनादेश के अनुसार अब साल में 10 बार उम्र कैद की सजा काट रहे बंदियों को अनुकंपा के आधार पर रिहा किया जाएगा. इसमे गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), महिला दिवस (8 मार्च), विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल), मजदूर दिवस (1 मई), विश्व योग दिवस (21 जून), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गांधी जयंती (2 अक्टूबर) शामिल थे. शासनादेश में बदलाव के बाद शिक्षक दिवस (5 सितंबर), अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस (16 नवंबर) और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस (10 दिसंबर) को भी शामिल किया गया है. उनके मुताबिक, अब 21 जून को विश्व योग दिवस के मौके पर बंदियों को रिहा किया जाना है.

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