लखनऊ: चंदन अस्पताल को बिना नीलामी दी गई करोड़ों की जमीन के मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. जांच के बाद आवंटन निरस्त कर नीलामी से जमीने देने का आदेश दे दिया गया, लेकिन हेराफेरी करने वालों तक इसकी आंच तक नहीं पहुंची. एलडीए ने विजयंत खंड योजना में रिक्त पड़ी अपनी जमीन चंदन अस्पताल को दी थी। 15,000 वर्गफुट जमीन को बिना नीलामी के छह करोड़ में बेच दिया था. अस्पताल से सांठगांठ कर बिना विज्ञापन निकाले औने-पौने दाम पर जमीन दे दी गई.
सीएम से भी हुई थी शिकायत
मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत होने के बाद आवंटन निरस्त कर मामले को दबा दिया गया. अब इस भूखंड को नीलामी से बेचने का आदेश जारी किया गया है. आरोप है कि एलडीए प्रशासन से यह साफ हो गया है कि खेल हुआ था, लेकिन अब दोषियों को बचाने का खेल खेला जा रहा है.
कोरोना कर्फ्यू के दौरान हुए काम
एलडीए की जो जमीन अस्पताल को दी गई थी, उस पर पहले अतिक्रमण था. इसके आसपास की जमीन पर भी अतिक्रमण है. एलडीए के साथ मिलकर चंदन हॉस्पिटल ने इस जमीन से अतिक्रमण हटवा दिया. कोरोना कर्फ्यू के दौरान गुपचुप तरीके से चंदन हॉस्पिटल की इस जमीन की कास्टिंग कर दी गई. इस पूरे मामले में अधिकारी सिर्फ लीपापोती ही कर रहे हैं.
12 साल से पेंशन के लिए परेशान हैं रिटायर जेई
वहीं एलडीए में अवर अभियंता रहे जमादार सिंह को पैरालिसिस का अटैक पड़ गया है. प्राधिकरण में 12 साल तक सेवा करने के बाद भी उन्हें पेंशन व अवकाश नकदीकरण अभी नहीं मिल सका है. इस कारण इलाज के लिए परेशान हैं. दरअसल, उन्हें दो साल पहले सेवानिवृत्त हुए थे. तब से देयकों के भुगतान के लिए भटक रहे हैं. अकेले जमादार सिंह ही नहीं कई और इंजीनियर इसी समस्या से जूझ रहे हैं.
खामियाजा भुगत रहे हैं इंजीनियर
लखनऊ विकास प्राधिकरण में प्रतिनियुक्त पर काम करने और वहीं रिटायर होने का खामियाजा ये इंजीनियर भुगत रहे हैं. प्राधिकरण इन लोगों से यह कहकर भुगतान नहीं कर रहा है कि वह नगर निगम सेवा के इंजीनियर हैं. उनका मूल विभाग नगर विकास विभाग है. एलडीए में प्रतिनियुक्ति पर आए थे और यहीं रिटायर हो गए. इसलिए नगर निगम इनके सभी देयकों का भुगतान करे. इस संबंध में निदेशालय से पत्राचार भी हो चुका है. नगर विकास विभाग का कहना है कि यह जहां से रिटायर हुए हैं, वहीं से इनका अवकाश नकदीकरण का भुगतान किया जाना चाहिए.
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स्थानीय निकाय निदेशक ने भी जारी किए आदेश
इस संबंध में पूर्व स्थानीय निकाय निदेशक डॉ. काजल ने आवास विभाग को स्पष्ट निर्देशित भी किया है. इसके बावजूद भुगतान नहीं हो रहा है. जमादार सिंह कहना है कि वह दो वर्षों से अपने भुगतान के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. मुख्यमंत्री के आईजीआरएस पोर्टल पर भी शिकायत की है. बावजूद इसके अभी तक कुछ नहीं हुआ.