लखनऊ: कोरोना काल में जब पिता के आम के बाग से आमदनी न हो सकी, स्कूल-कॉलेज में पढ़ाई ठप ही रही तो घर पर ही रहकर मलिहाबाद के निलांश ने कमाल कर दिया. अपने पिता के आम के बाग में मशरूम की खेती शुरू की. नतीजा भी जल्द ही आ गया और आमदनी इतनी होने लगी कि घर के हालात सुधरने लगे. आय बढ़ी तो और लोग भी प्रेरित होने लगे. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट में आपदा को अवसर बनाने वाले लखनऊ के निलांश की सफलता की कहानी सुनिए.
साल में 2 बार कर सकते हैं मशरूम की खेती
सितंबर से ही मशरूम की बिजाई का सीजन शुरू हो जाता है. साल में 2 बार इसकी फसल ली जा सकती है. तुड़ी के कंपोस्ट में फंगस मिला कर खेती को तैयार किया जाता है. खेती के ऊपर सैड डाला जाता है. ताकि धूप से मशरूम की बीजाई को बचाया जा सके.
आमदनी का बेहतर जरिया
पिछले कुछ वर्षों में किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा है. मशरूम की खेती बेहतर आमदनी का जरिया साबित हो रहा है. साथ ही स्थानीय बाजारो में मशरूम की उचित कीमत भी किसानों को मिल रही है. अलग-अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. कम जगह और कम समय के साथ ही इसकी खेती में लागत भी बहुत कम लगती है, जबकि मुनाफा लागत से कई गुना ज्यादा मिल जाता है. मशरूम की खेती के लिए किसान किसी भी कृषि विज्ञान केंद्र या फिर कृषि विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण ले सकते हैं.
हजारों वर्षों से विश्वभर में मशरूमों की उपयोगिता भोजन और औषधि दोनों ही रूपों में रही है. ये पोषण का भरपूर स्रोत हैं और स्वास्थ्य खाद्यों का एक बड़ा हिस्सा बनाते हैं. मशरूमों में वसा की मात्रा बिल्कुल कम होती है. विशेषकर प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की तुलना में और इस वसायुक्त भाग में मुख्यतया लिनोलिक अम्ल जैसे असंतप्तिकृत वसायुक्त अम्ल होते हैं. ये स्वस्थ हृदय और हृदय संबंधी प्रक्रिया के लिए आदर्श भोजन हो सकता है.
मशरूम की खेती से आय दोगुनी कर रहे किसान
मशरूम की खेती कर रहे मलिहाबाद के सहिलामऊ गांव निवासी किसान नीलांश यादव ने बताया कि वह छात्र हैं. लॉकडाउन के चलते उनकी पढ़ाई बंद हो गई. उनके पिता पेशे से किसान हैं. घर की आय का एकमात्र स्रोत आम का एक एकड़ का बाग है. लॉकडाउन के वक्त उन्हें किसी ने बताया कि केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में मशरूम की खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है. तब वहां पहुंच कर मशरूम की खेती के बारे में प्रशिक्षण लिया. उसके बाद एक एकड़ के बाग में अक्टूबर में मशरूम की खेती शुरू कर दी. मात्र दो महीने में ही मशरूम तैयार होने लगे. अब हर रोज करीब 1 हजार रुपये मशरूम से कमा लेते हैं. बागों में आम की फसल लगाने के बाद अब मशरूम की खेती कर अपनी आय दोगुनी कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री की किसानों की आय दोगुनी करने की योजना आई तो हमारे संस्थान के ऊपर जिम्मेदारी आई कि कैसे किसानों की आय दोगुनी की जाए. इसके चलते मुझे मशरूम उत्पादन के लिए जिम्मेदारी दी गई. मैंने सोचा कि किसानों की आय दोगुनी कैसे की जाए. इसके लिए हमने बाग के ही अंदर एक झोपड़ी बना कर मशरूम की खेती शुरू की, जिससे कई किसान सामने निकल कर आए. इसमें सहिलामऊ के एक किसान निशांत ने अपने बाग में मशरूम का अच्छा उत्पादन किया है. वह हर माह 10-15 हजार रुपये कमा रहे हैं. ये गर्मियों में दूधिया मशरूम उगाएगा और बीच के सीजन में थिंगरी मशरूम. कुल मिलाकर ये साल भर मशरूम की खेती कर लाखों रुपये कमा लेगा.
प्रभात कुमार शुक्ल, प्रधान वैज्ञानिक