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नाइजीरियन गैंग चला रहा साइबर फ्रॉड की पाठशाला, दी जाती है ठगी की ट्रेनिंग

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Published : Apr 19, 2023, 4:50 PM IST

साइबर फ्रॉड के मास्टर माइंड सिर्फ देश में ही नहीं विदेश से भी गैंग चला रहे हैं. विदेशी नाइजीरियन गैंग तो ठगी के लिए पेड ट्रेनिंग भी कराता है. साइबर टीम द्वारा पकड़े गए नाइजीरियन नागरिक एसोवाने एमेका ने कुछ ऐसे ही खुलासे किए थे.

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लखनऊ : नाइजीरियन गैंग पहले स्टूडेंट वीजा पर जालसाजी करने में एक्सपर्ट्स युवाओं को भारत भेजते हैं. यहां वे राजधानी दिल्ली में घूम घूम कर किसी भी हाल में पैसा कमाने की चाहत रखने वाले युवाओं का रिक्रूटमेंट करते हैं. इसके बाद शुरू करते हैं देश भर में लोगों को ठगने का खेल. इस फ्राॅड के जरिए करीब हर साल 1000 करोड़ से भी अधिक की रकम ठगने पर नाइजीरिया भेज दिया जाता है. यह गैंग न ही किसी भी प्रकार की हैकिंग करता है और न ही साइबर फ्रॉड.

डेढ़ करोड़ की ठगी के बाद नाइजीरियन गैंग के पीछे लगी साइबर टीम

करीब आठ माह पहले लखनऊ के एक मोटिवेशनल स्पीच देने वाले प्रोफसर के साथ फ्रॉड हुआ. जिसमें उनके यूट्यूब चैनल के कॉमेंट बॉक्स में उनकी तारीफ की गई और उन्हें महंगा गिफ्ट देने को कहा गया. तारीफ करने वाले ने खुद को पोलैंड देश का निवासी बताया था. कमेंट करने वाले के झांसे में प्रोफेसर इस कदर फंसे कि उन्होंने गिफ्ट की चाहत में तीन बैंकों से लोन लेकर डेढ़ करोड़ रुपये जालसाज को दे दिए. जालसाजी का पता चलने पर उन्होंने पुलिस की शरण ली. इसके बाद राजधानी की साइबर सेल ने उप निरक्षक सौरभ मिश्रा के नेतृत्व में टीम बनाई. कड़ी मशक्कत के बाद बीते 9 अप्रैल को साइबर टीम ने नाइजीरियन नागरिक एसोवाने एमेका को पश्चिम बंगाल और सिक्किम के रहने वाले साथियों के साथ गिरफ्तार किया.

भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश में एक्टिव है नाइजीरियन गैंग

नाइजीरियन गैंग चला रहा साइबर फ्रॉड की पाठशाला, दी जाती है ठगी की ट्रेनिंग
नाइजीरियन गैंग चला रहा साइबर फ्रॉड की पाठशाला, दी जाती है ठगी की ट्रेनिंग
साइबर टीम के सामने जब नाइजीरियन नागरिक एसोवाने एमेका ने खुलासे किए तो सभी हैरान थे. नाइजीरियन गैंग के ठगी के तरीके, उनकी कमाई गई रकम की संख्या और उनके गैंग की सभी जानकारियां चौंकाने वाली थीं. साइबर सब इंस्पेक्टर सौरभ मिश्रा कहते हैं कि नाइजीरियन गैंग के सदस्य न ही किसी का फोन हैक करते है और न ही कोई फिशिंग लिंक भेज कर खाता खाली करते. ये लोग अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में लोगों को फंसाते हैं और एक मोटी रकम वसूल लेते हैं. इसके लिए उन्हें नाइजीरिया में बैठे उनके आका इंस्ट्रक्शन देते हैं. दरअसल, नाइजीरिया में एक खास तरह के ठगी और जालसाजी की ट्रेनिंग दी जाती है. वहां के गरीब लड़कों को पहले ढूंढ कर पैसे कमाने का लालच दिया जाता है. फिर उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है. जैसे एशियन लोगों से बातचीत करने का तरीका, एशियन देश खासतौर पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत के विषय में कुछ खास जानकारियां दी जाती हैं. जब गैंग के आका को लग जाता है कि उनके नाइजीरियन लड़के तैयार हैं तब उन्हें भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश स्टडी वीजा दिलाकर भेज दिया जाता है. गैंग बकायदा उनका स्कूलों और कॉलेजों में दाखिला भी करवाता है. गरीबों के बैंक खाता लाने के लिए मिडिल मैन की भर्तीसब इंस्पेक्टर सौरभ मिश्रा के मुताबिक नाइजीरियन गैंग के सदस्य भारत में सबसे अधिक दिल्ली को अपना ठिकाना बनाते हैं. यहां सबसे पहले वे ऐसे लड़कों को तलाश करते हैं, जिन्हे पैसों को जरूरत होती है. खासतौर पर ऐसे लड़के जो गांव के रहने वाले होते हैं. इन लड़कों से गांव के लोगों का बैंक खाता लाने के लिए कहा जाता है. दरअसल, इन लड़कों को मिडिल मैन कहा जाता है. जिनका काम गांव में रहने वाले ऐसे लोगों के खातों के एटीएम कार्ड, बैंक में लिंक सिम और उनकी पासबुक लानी होती है जो गरीब होते हैं. ये लड़के अकाउंट में जमा पैसों के बदले दोगुनी रकम देकर उनके बैंक खाते से जुड़े सभी जरूरी दस्तावेज ले लेते हैं और नाइजीरियन को सौंप देते हैं.नाइजीरियन लड़के ही ढूंढते हैं शिकारशिकार ढूंढने से लेकर उन्हें अपने झांसे में फंसाने का काम नाइजीरियन गैंग के लड़के और लड़कियां ही करते हैं. ये जालसाज फेमस लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स, जैसे यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर नजर रखते हैं और उन्हें गिफ्ट देने, राजाओं के गुप्त खजाना देने या फिर प्रेम जाल में फंसाने के लिए मैसेज करते हैं. जब एक बार कोई शिकार उनके झांसे में फंसता है तब वे उनसे पहले चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं और फिर उन्हें गिफ्ट और खजाना या बैंक में जमा पैसा भेजने को बात कहते हैं. इसके बाद एक बार फिर उन मिडिल मैन भारतीय लड़कों का काम शुरू होता है. ये लड़के शिकार को कॉल कर खुद को कभी कस्टम अधिकारी, कभी सीमा शुल्क अधिकारी और कभी आयकर अधिकारी बता कर कॉल करते हैं और उनसे टैक्स भरने के नाम पर लाखों रुपये वसूलते हैं. हर साल हजार करोड़ ठग भेजे जाते हैं नाइजीरियाराजधानी के साइबर प्रभारी सतीश साहू बताते हैं कि शिकार से ठगा गया पैसा उन्हीं अकाउंट्स में मंगाए जाते हैं जो उनके मिडिल मैन गांव के लोगों से लाते हैं. कई अकाउंट्स में पैसा इकट्ठा होता है और फिर नाइजीरिया में मौजूद अपने आका के निर्देश पर पैसा जेनिथ बैंक के एकाउंट में भेजा जाता है. जिसका इस्तेमाल अलग अलग अपराधों के लिए किया जाता है. जिस नाइजीरियन सदस्य एसोवाने एमेका को गिरफ्तार किया गया था वह बीते पांच साल में 150 करोड़ से अधिक की ठगी कर चुका है. पूछताछ में सामने आया है कि इन नाइजीरियन ग्रुप के सभी सदस्य सिर्फ भारत में लोगों को ठग कर बीते एक साल में एक हजार करोड़ से अधिक की ठगी कर चुके हैं. भारतीय लड़कों की नाइजीरिया में कराई जाती है पेड ट्रेनिंग साइबर प्रभारी सतीश साहू कहते है कि नाइजीरियन ग्रुप इस तरह की ठगी करने की ट्रेनिंग कैंप भी चलाते हैं. इसके लिए कुछ ट्रेनिंग भारत में बैठे उनके नाइजीरियन लड़के देते हैं तो बाकी ट्रेनिंग नाइजीरिया में दी जाती है. उन्होंने बताया कि जो लड़के ट्रेनिंग करना चाहते हैं, उनसे तीन लाख रुपये फीस के तौर पर लिए जाते हैं. सतीश साहू के मुताबिक अभी इस बात की जांच की जा रही है कि वो कौन कौन से लड़के हैं जो नाइजीरिया जाकर ट्रेनिंग ले कर वापस आए हैं.


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लखनऊ : नाइजीरियन गैंग पहले स्टूडेंट वीजा पर जालसाजी करने में एक्सपर्ट्स युवाओं को भारत भेजते हैं. यहां वे राजधानी दिल्ली में घूम घूम कर किसी भी हाल में पैसा कमाने की चाहत रखने वाले युवाओं का रिक्रूटमेंट करते हैं. इसके बाद शुरू करते हैं देश भर में लोगों को ठगने का खेल. इस फ्राॅड के जरिए करीब हर साल 1000 करोड़ से भी अधिक की रकम ठगने पर नाइजीरिया भेज दिया जाता है. यह गैंग न ही किसी भी प्रकार की हैकिंग करता है और न ही साइबर फ्रॉड.

डेढ़ करोड़ की ठगी के बाद नाइजीरियन गैंग के पीछे लगी साइबर टीम

करीब आठ माह पहले लखनऊ के एक मोटिवेशनल स्पीच देने वाले प्रोफसर के साथ फ्रॉड हुआ. जिसमें उनके यूट्यूब चैनल के कॉमेंट बॉक्स में उनकी तारीफ की गई और उन्हें महंगा गिफ्ट देने को कहा गया. तारीफ करने वाले ने खुद को पोलैंड देश का निवासी बताया था. कमेंट करने वाले के झांसे में प्रोफेसर इस कदर फंसे कि उन्होंने गिफ्ट की चाहत में तीन बैंकों से लोन लेकर डेढ़ करोड़ रुपये जालसाज को दे दिए. जालसाजी का पता चलने पर उन्होंने पुलिस की शरण ली. इसके बाद राजधानी की साइबर सेल ने उप निरक्षक सौरभ मिश्रा के नेतृत्व में टीम बनाई. कड़ी मशक्कत के बाद बीते 9 अप्रैल को साइबर टीम ने नाइजीरियन नागरिक एसोवाने एमेका को पश्चिम बंगाल और सिक्किम के रहने वाले साथियों के साथ गिरफ्तार किया.

भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश में एक्टिव है नाइजीरियन गैंग

नाइजीरियन गैंग चला रहा साइबर फ्रॉड की पाठशाला, दी जाती है ठगी की ट्रेनिंग
नाइजीरियन गैंग चला रहा साइबर फ्रॉड की पाठशाला, दी जाती है ठगी की ट्रेनिंग
साइबर टीम के सामने जब नाइजीरियन नागरिक एसोवाने एमेका ने खुलासे किए तो सभी हैरान थे. नाइजीरियन गैंग के ठगी के तरीके, उनकी कमाई गई रकम की संख्या और उनके गैंग की सभी जानकारियां चौंकाने वाली थीं. साइबर सब इंस्पेक्टर सौरभ मिश्रा कहते हैं कि नाइजीरियन गैंग के सदस्य न ही किसी का फोन हैक करते है और न ही कोई फिशिंग लिंक भेज कर खाता खाली करते. ये लोग अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में लोगों को फंसाते हैं और एक मोटी रकम वसूल लेते हैं. इसके लिए उन्हें नाइजीरिया में बैठे उनके आका इंस्ट्रक्शन देते हैं. दरअसल, नाइजीरिया में एक खास तरह के ठगी और जालसाजी की ट्रेनिंग दी जाती है. वहां के गरीब लड़कों को पहले ढूंढ कर पैसे कमाने का लालच दिया जाता है. फिर उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है. जैसे एशियन लोगों से बातचीत करने का तरीका, एशियन देश खासतौर पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत के विषय में कुछ खास जानकारियां दी जाती हैं. जब गैंग के आका को लग जाता है कि उनके नाइजीरियन लड़के तैयार हैं तब उन्हें भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश स्टडी वीजा दिलाकर भेज दिया जाता है. गैंग बकायदा उनका स्कूलों और कॉलेजों में दाखिला भी करवाता है. गरीबों के बैंक खाता लाने के लिए मिडिल मैन की भर्तीसब इंस्पेक्टर सौरभ मिश्रा के मुताबिक नाइजीरियन गैंग के सदस्य भारत में सबसे अधिक दिल्ली को अपना ठिकाना बनाते हैं. यहां सबसे पहले वे ऐसे लड़कों को तलाश करते हैं, जिन्हे पैसों को जरूरत होती है. खासतौर पर ऐसे लड़के जो गांव के रहने वाले होते हैं. इन लड़कों से गांव के लोगों का बैंक खाता लाने के लिए कहा जाता है. दरअसल, इन लड़कों को मिडिल मैन कहा जाता है. जिनका काम गांव में रहने वाले ऐसे लोगों के खातों के एटीएम कार्ड, बैंक में लिंक सिम और उनकी पासबुक लानी होती है जो गरीब होते हैं. ये लड़के अकाउंट में जमा पैसों के बदले दोगुनी रकम देकर उनके बैंक खाते से जुड़े सभी जरूरी दस्तावेज ले लेते हैं और नाइजीरियन को सौंप देते हैं.नाइजीरियन लड़के ही ढूंढते हैं शिकारशिकार ढूंढने से लेकर उन्हें अपने झांसे में फंसाने का काम नाइजीरियन गैंग के लड़के और लड़कियां ही करते हैं. ये जालसाज फेमस लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स, जैसे यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर नजर रखते हैं और उन्हें गिफ्ट देने, राजाओं के गुप्त खजाना देने या फिर प्रेम जाल में फंसाने के लिए मैसेज करते हैं. जब एक बार कोई शिकार उनके झांसे में फंसता है तब वे उनसे पहले चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं और फिर उन्हें गिफ्ट और खजाना या बैंक में जमा पैसा भेजने को बात कहते हैं. इसके बाद एक बार फिर उन मिडिल मैन भारतीय लड़कों का काम शुरू होता है. ये लड़के शिकार को कॉल कर खुद को कभी कस्टम अधिकारी, कभी सीमा शुल्क अधिकारी और कभी आयकर अधिकारी बता कर कॉल करते हैं और उनसे टैक्स भरने के नाम पर लाखों रुपये वसूलते हैं. हर साल हजार करोड़ ठग भेजे जाते हैं नाइजीरियाराजधानी के साइबर प्रभारी सतीश साहू बताते हैं कि शिकार से ठगा गया पैसा उन्हीं अकाउंट्स में मंगाए जाते हैं जो उनके मिडिल मैन गांव के लोगों से लाते हैं. कई अकाउंट्स में पैसा इकट्ठा होता है और फिर नाइजीरिया में मौजूद अपने आका के निर्देश पर पैसा जेनिथ बैंक के एकाउंट में भेजा जाता है. जिसका इस्तेमाल अलग अलग अपराधों के लिए किया जाता है. जिस नाइजीरियन सदस्य एसोवाने एमेका को गिरफ्तार किया गया था वह बीते पांच साल में 150 करोड़ से अधिक की ठगी कर चुका है. पूछताछ में सामने आया है कि इन नाइजीरियन ग्रुप के सभी सदस्य सिर्फ भारत में लोगों को ठग कर बीते एक साल में एक हजार करोड़ से अधिक की ठगी कर चुके हैं. भारतीय लड़कों की नाइजीरिया में कराई जाती है पेड ट्रेनिंग साइबर प्रभारी सतीश साहू कहते है कि नाइजीरियन ग्रुप इस तरह की ठगी करने की ट्रेनिंग कैंप भी चलाते हैं. इसके लिए कुछ ट्रेनिंग भारत में बैठे उनके नाइजीरियन लड़के देते हैं तो बाकी ट्रेनिंग नाइजीरिया में दी जाती है. उन्होंने बताया कि जो लड़के ट्रेनिंग करना चाहते हैं, उनसे तीन लाख रुपये फीस के तौर पर लिए जाते हैं. सतीश साहू के मुताबिक अभी इस बात की जांच की जा रही है कि वो कौन कौन से लड़के हैं जो नाइजीरिया जाकर ट्रेनिंग ले कर वापस आए हैं.


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