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टीले वाली मस्जिद का मामला! सुन्नी वक्फ बोर्ड की निगरानी पोषणीय नहीं

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Published : Jul 2, 2022, 10:09 PM IST

लखनऊ के गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित मस्जिद और लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर प्रकरण में अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी.

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लखनऊ: गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित मस्जिद और लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर प्रकरण में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली सिविल निगरानी याचिका में लार्ड नागेश्वर टीलेश्वर महादेव विराजमान की ओर से अधिवक्ता शेखर निगम ने एक अर्जी दाखिल कर कहा है कि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने निगरानीकर्ता को पद से हटा दिया है. इसलिए निगरानी पोषणीय नहीं है. प्रभारी अपर सत्र न्यायाधीश मोहम्मद गजाली ने मामले को सुनवाई के लिए 16 जुलाई को संबंधित पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किए जाने का निर्देश दिया है.

अदालत में अधिवक्ता शेखर निगम की ओर से दाखिल अर्जी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रोफेसर सैयद शफीक अहमद अशरफ द्वारा जारी पत्र को प्रस्तुत किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से निगरानीकर्ता मौलाना सैय्यद फजलुल मन्नान रहमानी को हटाए जाने की बात कही गई है. कहा गया है कि मुकदमे की पैरवी के लिए नियुक्त मौलाना सैय्यद फजलुल मन्नान को हटा दिया गया है. लिहाजा निगरानीकर्ता के अभाव में प्रस्तुत सिविल निगरानी पोषणीय नहीं है और उसे खारिज कर दिया जाए. इसके पूर्व गत 31 मई को अदालत ने विपक्षीगणों की उस अर्जी को निरस्त कर दिया था, जिसमें टीले वाली मस्जिद के अंदर का सर्वे कराए जाने की मांग निगरानी याचिका में की गई थी.

यह भी पढ़ें- मत्स्य जीवो सहकारी समिति के अध्यक्ष से मांगी 8 लाख की रंगदारी

पत्रावली के अनुसार वर्ष 2013 में लार्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से सिविल जज (जूनियर डिविजन) साउथ लखनऊ की अदालत में नियमित वाद दायर किया गया था, जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य पक्षकार बनाए गए थे. इसी नियमित बाद में अदालत से अनुरोध किया गया था कि टीले वाली मस्जिद के अंदर लॉर्ड शेष नागेश का मंदिर है, जिसको नुकसान पहुंचाया गया है. इस टीले वाले स्थान का मालिकाना हक दिलाया और पूजा अर्चना की अनुमति दिए जाने को कहा गया था. इस नियमित वाद के विरुद्ध आपत्ति दाखिल की गई थी कि वाद काल बाधित है, जिस पर सिविल जज साउथ की अदालत ने 25-9-2017 को एक आदेश पारित कर कहा कि पक्षकारों को सुनने के बाद एवं मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार संपूर्ण वाद को निरस्त नहीं किया जा सकता.

वहीं, इस आदेश के खिलाफ मौलाना सैयद शाह फजलुरहमान की ओर से मौलाना काजी सैयद शाह फजलुर मन्नान द्वारा जिला जज की अदालत में 11 अक्टूबर 2017 को सिविल निगरानी याचिका दाखिल की गई. सिविल निगरानी याचिका में लार्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव, लक्ष्मण टीला शेषनाग तीर्थ भूमि स्थान, वीके श्रीवास्तव एवं नौ अन्य को पक्षकार बनाते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, प्रमुख सचिव, जिलाधिकारी, पुलिस महानिदेशक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी), थाना प्रभारी चौक एवं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाया गया है.

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लखनऊ: गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला स्थित मस्जिद और लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर प्रकरण में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली सिविल निगरानी याचिका में लार्ड नागेश्वर टीलेश्वर महादेव विराजमान की ओर से अधिवक्ता शेखर निगम ने एक अर्जी दाखिल कर कहा है कि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने निगरानीकर्ता को पद से हटा दिया है. इसलिए निगरानी पोषणीय नहीं है. प्रभारी अपर सत्र न्यायाधीश मोहम्मद गजाली ने मामले को सुनवाई के लिए 16 जुलाई को संबंधित पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किए जाने का निर्देश दिया है.

अदालत में अधिवक्ता शेखर निगम की ओर से दाखिल अर्जी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रोफेसर सैयद शफीक अहमद अशरफ द्वारा जारी पत्र को प्रस्तुत किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से निगरानीकर्ता मौलाना सैय्यद फजलुल मन्नान रहमानी को हटाए जाने की बात कही गई है. कहा गया है कि मुकदमे की पैरवी के लिए नियुक्त मौलाना सैय्यद फजलुल मन्नान को हटा दिया गया है. लिहाजा निगरानीकर्ता के अभाव में प्रस्तुत सिविल निगरानी पोषणीय नहीं है और उसे खारिज कर दिया जाए. इसके पूर्व गत 31 मई को अदालत ने विपक्षीगणों की उस अर्जी को निरस्त कर दिया था, जिसमें टीले वाली मस्जिद के अंदर का सर्वे कराए जाने की मांग निगरानी याचिका में की गई थी.

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पत्रावली के अनुसार वर्ष 2013 में लार्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से सिविल जज (जूनियर डिविजन) साउथ लखनऊ की अदालत में नियमित वाद दायर किया गया था, जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य पक्षकार बनाए गए थे. इसी नियमित बाद में अदालत से अनुरोध किया गया था कि टीले वाली मस्जिद के अंदर लॉर्ड शेष नागेश का मंदिर है, जिसको नुकसान पहुंचाया गया है. इस टीले वाले स्थान का मालिकाना हक दिलाया और पूजा अर्चना की अनुमति दिए जाने को कहा गया था. इस नियमित वाद के विरुद्ध आपत्ति दाखिल की गई थी कि वाद काल बाधित है, जिस पर सिविल जज साउथ की अदालत ने 25-9-2017 को एक आदेश पारित कर कहा कि पक्षकारों को सुनने के बाद एवं मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार संपूर्ण वाद को निरस्त नहीं किया जा सकता.

वहीं, इस आदेश के खिलाफ मौलाना सैयद शाह फजलुरहमान की ओर से मौलाना काजी सैयद शाह फजलुर मन्नान द्वारा जिला जज की अदालत में 11 अक्टूबर 2017 को सिविल निगरानी याचिका दाखिल की गई. सिविल निगरानी याचिका में लार्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव, लक्ष्मण टीला शेषनाग तीर्थ भूमि स्थान, वीके श्रीवास्तव एवं नौ अन्य को पक्षकार बनाते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, प्रमुख सचिव, जिलाधिकारी, पुलिस महानिदेशक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी), थाना प्रभारी चौक एवं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाया गया है.

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