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UP Legislative Council में पक्ष और विपक्ष के नेता हुए एक, यह थी वजह

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Published : Mar 1, 2023, 3:29 PM IST

Updated : Mar 1, 2023, 3:46 PM IST

14:40 March 01

लखनऊ : जनता से जुड़े मुद्दे पर आमतौर से एक दूसरे से लड़ने मारने पर आतुर रहने वाले विधान परिषद के सदस्य बुधवार को अपने अधिकारों के लिए एक होते हुए नजर आए. प्रश्नकाल 12:00 बजे तक होता है, लेकिन 12:15 बजे तक विधान परिषद के सदस्यों को विधान सभा के सदस्यों की तरह समान भाव से देखे जाने को लेकर लंबी चर्चा होती रही. हर मुद्दे पर सभी सदस्य एकमत नजर आए. सदस्यों की मांग थी कि जिलों में जिस तरह का सम्मान विधानसभा के सदस्यों को मिलता है, वैसा विधान परिषद को नहीं मिलता है. विधान परिषद के सदस्यों के साथ में पक्षपात किया जाता है. त्वरित कार्यों के लिए उनको बजट उपलब्ध नहीं होता. जिला योजना समिति की बैठकों में उनके प्रस्तावों को अनुमोदन नहीं मिलता. इसके अलावा उनके निर्वाचन के जिलों में होने वाले विकास कार्यों की जिला पट्टी का ऊपर उनके नाम का उल्लेख भी नहीं किया जाता है.

इस मुद्दे पर सभी सदस्य एकमत रहे. जबकि सभापति के निर्देश पर नेता सदन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि निश्चित तौर पर सदन की भावना को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाएगा. विधानसभा हो या विधान परिषद सभी सदस्यों को एक जैसा सम्मान मिले यह सुनिश्चित किया जाएगा. प्रश्नकाल में वाराणसी से समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री बताएंगे कि वाराणसी चंदौली गाजीपुर बलिया जौनपुर भदोही मिर्जापुर सोनभद्र जनपदों में जिला योजना समिति की आखिरी बैठक कब हुई. इसका जवाब नेता सदन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दिया. यहां से विधान परिषद के सदस्यों के सम्मान का मुद्दा सदन में गूंजने लगा.

शिक्षक एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि आमतौर से शिला पट्टों पर एमएलसी का नाम नहीं लिखा जाता. विधान सभा के सदस्यों और विधान परिषद के सदस्यों में भेदभाव होता है. त्वरित कार्यों के बजट के लिए भी यह भेदभाव नजर आता है. जिस पर सभापति को और मानवेंद्र सिंह ने नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य को कहा कि वे सुनिश्चित कराएं कि इस तरह का भेदभाव उत्तर प्रदेश में कहीं भी ना हो. दोनों सदनों के विधायक एक जैसे हैं. जिस पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा निश्चित तौर पर वह मुख्यमंत्री से त्वरित निर्माण कार्यों के बजट की बात करेंगे. बाकी विधान परिषद के सदस्यों में कहीं कोई भेदभाव ना हो इसका पूरा प्रयास सरकार करेगी.


इसी बीच एक विधायक ने पांच करोड़ रुपये विधायक निधि मिलने की बात कही. जिस पर 18% जीएसटी को छोड़ने की मांग की. जिस पर सभापति ने साफ इंकार कर दिया. समाजवादी पार्टी ने कहा कि यह विधायक निधि कब मिल रही है, एक झूठ है. जिस पर सभापति ने उनको जमकर डांटा और कहा कि निश्चित तौर पर समय आने पर 5 करोड़ रुपये विधायक निधि मिलेगी. जिसके बाद में एक-एक करके कई एमएलसी ने एमएलसी अधिकारों की बात करना शुरू कर दिया. जिससे प्रश्नकाल 12:00 बजे के बजाए 12:15 बजे तक चलता रहा. आखिरकार सभापति ने सभी एमएलसी को उनका बराबर हक देने का आश्वासन और सरकार तक बात पहुंचाने की बात कही.

यह भी पढ़ें : Kanpur Viral Video: तानशाही करते वायरल हुआ था कोटेदार का वीडियो, जिलापूर्ति अधिकारी ने सिखाया सबक

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लखनऊ : जनता से जुड़े मुद्दे पर आमतौर से एक दूसरे से लड़ने मारने पर आतुर रहने वाले विधान परिषद के सदस्य बुधवार को अपने अधिकारों के लिए एक होते हुए नजर आए. प्रश्नकाल 12:00 बजे तक होता है, लेकिन 12:15 बजे तक विधान परिषद के सदस्यों को विधान सभा के सदस्यों की तरह समान भाव से देखे जाने को लेकर लंबी चर्चा होती रही. हर मुद्दे पर सभी सदस्य एकमत नजर आए. सदस्यों की मांग थी कि जिलों में जिस तरह का सम्मान विधानसभा के सदस्यों को मिलता है, वैसा विधान परिषद को नहीं मिलता है. विधान परिषद के सदस्यों के साथ में पक्षपात किया जाता है. त्वरित कार्यों के लिए उनको बजट उपलब्ध नहीं होता. जिला योजना समिति की बैठकों में उनके प्रस्तावों को अनुमोदन नहीं मिलता. इसके अलावा उनके निर्वाचन के जिलों में होने वाले विकास कार्यों की जिला पट्टी का ऊपर उनके नाम का उल्लेख भी नहीं किया जाता है.

इस मुद्दे पर सभी सदस्य एकमत रहे. जबकि सभापति के निर्देश पर नेता सदन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि निश्चित तौर पर सदन की भावना को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाएगा. विधानसभा हो या विधान परिषद सभी सदस्यों को एक जैसा सम्मान मिले यह सुनिश्चित किया जाएगा. प्रश्नकाल में वाराणसी से समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री बताएंगे कि वाराणसी चंदौली गाजीपुर बलिया जौनपुर भदोही मिर्जापुर सोनभद्र जनपदों में जिला योजना समिति की आखिरी बैठक कब हुई. इसका जवाब नेता सदन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दिया. यहां से विधान परिषद के सदस्यों के सम्मान का मुद्दा सदन में गूंजने लगा.

शिक्षक एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि आमतौर से शिला पट्टों पर एमएलसी का नाम नहीं लिखा जाता. विधान सभा के सदस्यों और विधान परिषद के सदस्यों में भेदभाव होता है. त्वरित कार्यों के बजट के लिए भी यह भेदभाव नजर आता है. जिस पर सभापति को और मानवेंद्र सिंह ने नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य को कहा कि वे सुनिश्चित कराएं कि इस तरह का भेदभाव उत्तर प्रदेश में कहीं भी ना हो. दोनों सदनों के विधायक एक जैसे हैं. जिस पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा निश्चित तौर पर वह मुख्यमंत्री से त्वरित निर्माण कार्यों के बजट की बात करेंगे. बाकी विधान परिषद के सदस्यों में कहीं कोई भेदभाव ना हो इसका पूरा प्रयास सरकार करेगी.


इसी बीच एक विधायक ने पांच करोड़ रुपये विधायक निधि मिलने की बात कही. जिस पर 18% जीएसटी को छोड़ने की मांग की. जिस पर सभापति ने साफ इंकार कर दिया. समाजवादी पार्टी ने कहा कि यह विधायक निधि कब मिल रही है, एक झूठ है. जिस पर सभापति ने उनको जमकर डांटा और कहा कि निश्चित तौर पर समय आने पर 5 करोड़ रुपये विधायक निधि मिलेगी. जिसके बाद में एक-एक करके कई एमएलसी ने एमएलसी अधिकारों की बात करना शुरू कर दिया. जिससे प्रश्नकाल 12:00 बजे के बजाए 12:15 बजे तक चलता रहा. आखिरकार सभापति ने सभी एमएलसी को उनका बराबर हक देने का आश्वासन और सरकार तक बात पहुंचाने की बात कही.

यह भी पढ़ें : Kanpur Viral Video: तानशाही करते वायरल हुआ था कोटेदार का वीडियो, जिलापूर्ति अधिकारी ने सिखाया सबक

Last Updated : Mar 1, 2023, 3:46 PM IST
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