लखनऊ : देश में साइबर अपराधी ठगी के लिए हर दिन नए-नए तरीके अपना रहे हैं. कभी इंटरनेट मीडिया पर लुभावने विज्ञापन और ऑफर तो कभी विदेशी रिश्तेदार बनकर ठगी की शिकायतें पुलिस के पास पहुंच रही हैं. इसी तरह क्रेडिट कार्ड बनाने, पैसे दोगुने करने के लिए निवेश और हाेटल कूपन के नाम पर ठगी की जा रही है. अब जालसाजों ने ठगी के लिए एक नया तरीका इजाद किया है. जिसमें वे लोगों को वीडियो लाइक कर न्यूनतम 100 रुपये कमाने का झांसा देने वाला मैसेज भेज रहे हैं. जागरूकता के अभाव भी लोग ऐसे मैसेज के झांसे में आकर अपनी पूंजी गंवा रहे हैं. यूपी के कई शहरों में ऐसी शिकायतें सामने आई हैं.
लखनऊ के हजरतगंज स्थित साइबर सेल में प्रॉपर्टी ब्रोकर वीरेंद्र शर्मा ने शिकायती पत्र दिया था कि 3 जनवरी को उन्हें एक मैसेज मिला जिसमें कहा गया कि वीडियो लाइक करें और कमाएं 100 रुपये. मैसेज में एक लिंक भी दिया गया था. उस लिंक को जैसे ही वीरेंद्र ने खोला उसमें एक अकॉउंट बनाने के लिए निर्देशित किया गया था. उन्होंने उसमें अपनी पर्ननल डिटेल डाली और लाइक करने पर जो पैसे उन्हें मिलने वाले थे उसका भुगतान होने के लिए अपने खाते का विवरण भी दे दिया. तत्काल उनके नंबर पर 2 वीडियो लिंक भेजे गए, जिसे उन्हें खोल कर लाइक कर लिया. उस पर उन्हें पैसे भी दे दिए गए, लेकिन तीन दिन बाद उनके मोबाइल में एक मैसेज आया. जिसे देख उनके होश उड़ गए. पिछले दो साल में प्रॉपर्टी दिलाने के लिए मिले कमीशन के 5 लाख 75 हजार कट गए. बैंक जाकर पता किया तो पता चला कि किसी ने ऑनलाइन कूपन खरीदा है.
साइबर सेल में एक अन्य शिकायत सोमेश रघुवंशी ने की थी. उन्हें भी वीरेंद्र शर्मा जैसे ही मैसेज मिला था. उन्होंने भी ठीक उसी तरह लिंक भेजने वाले के निर्देशों का पालन किया और अपनी पर्सनल व बैंक डिटेल दे दी. हालांकि जब उन्होंने ऐसे फ्रॉड होने की खबरे सुनी तो तत्काल उन्होंने अपने बैंक खाते से पूरे पैसे निकाल लिए.लखनऊ से करीब 1400 किलो मीटर दूर पुणे में भी ऐसा ही फ्रॉड सामने आया था, लेकिन उसमें जालसाजों ने ठगी करने का तरीका बदला हुआ था.
साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे बताते हैं कि यह ठगी सिर्फ लखनऊ में नहीं बल्कि देश के अलग अलग हिस्सों में हो रहा है. पुणे में पीड़ित को एक मैसेज में लिंक मिला था और उन्हें भेजे गए वीडियो को लाइक करने के लिए कहा गया था. इस वीडियो को लिखे करने के एवज में हर वीडियो पर 50 रुपये मिलने का वादा किया गया. पीड़ित ने सबसे पहले जालसाजों के कहने पर लिंक में दिए गए वेब पेज पर अपनी परसनल व बैंक डिटेल शेयर की और वीडियो लाइक करना शुरू कर दिया. उन्होंने पहले तो वहां अपने यूपीआई से एक हजार रुपये को इन्वेस्ट किया और जब पैसे आने लगे तो धीरे धीरे 12 लाख रुपये इन्वेस्ट कर डाले. उसके बाद उन्हें न ही कोई पैसे मिले और न ही उनका वेब पेज ही खुला. वे समझ गए कि वह साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं.
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