लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड-19 से बचाव और उपचार की व्यवस्थाओं को प्रभावी ढंग से जारी रखने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि देश के कई राज्यों में कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस से संक्रमित मरीज मिले हैं, इसलिए प्रदेश में विशेष सतर्कता बरती जाए. मुख्यमंत्री सोमवार को अपने सरकारी आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि डेल्टा प्लस वैरिएंट के संबंध में विभिन्न राज्यों से मिले फीडबैक का अध्ययन किया जाए.
जीनोम सिक्वेंसिंग से आसान होगा डेल्टा प्लस वैरिएंट से बचाव
मुख्यमंत्री ने जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा को लगातार सुदृढ़ करने पर बल दिया, ताकि डेल्टा प्लस वैरिएंट से बचाव एवं उपचार का बेहतर प्रबंधन हो सके. बीएचयू (वाराणसी), केजीएमयू (लखनऊ), सीडीआरआई ( लखनऊ) और आईजीआईबी (दिल्ली) के सहयोग से जीनोम परीक्षण कराया जा रहा है. बैठक में मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 190 नए मामले उत्तर प्रदेश में मिले हैं, जबकि 261 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया. वर्तमान में संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या 3,046 है.
उत्तर प्रदेश में सोमवार तक पांच करोड़ 73 लाख टेस्ट हुए
अधिकारियों को मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 24 घंटों में कुल 2,63,033 कोरोना टेस्ट किए गए हैं. अभी तक कुल 5 करोड़ 73 लाख 48 हजार 462 कोविड टेस्ट किए गए हैं. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रिकवरी दर 98.5 प्रतिशत है. सीएम ने प्रदेश में 11 नई आरटीपीसीआर टेस्टिंग लैब शुरू करने के निर्देश दिए. इनके शुरू होने के बाद प्रदेश के 45 जनपदों में आरटीपीसीआर टेस्टिंग लैब एक्टिव हो जाएंगी.
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पीकू और नीकू वॉर्ड बनाने के निर्देश दिए
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) तथा निओनेटल आईसीयू (नीकू) के निर्माण को प्राथमिकता दी जाए. बैठक में सीएम को बताया गया कि प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में 5900 से अधिक पीडियाट्रिक आईसीयू बेड लगाए जा चुके हैं. इस दौरान मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य केन्द्रों की साफ-सफाई और कर्मचारियों की उपलब्धतता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए.
प्रदेश में 118 ऑक्सीजन प्लांट हैं संचालित
मुख्यमंत्री को बताया गया कि प्रदेश में 118 ऑक्सीजन प्लांट एक्टिव हैं. राज्य में ऑक्सीजन का पर्याप्त बैकअप भी उपलब्ध है. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि गो-आश्रय स्थलों को सुचारु एवं व्यवस्थित ढंग से संचालित किया जाए. गायों के लिए चारे, पेयजल आदि आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए. साथ ही पशुपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को गो-आश्रय स्थलों का निरीक्षण करने की सलाह दी.