लखनऊ : कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने लोकसभा चुनावों से पहले यूपी कांग्रेस को नया अध्यक्ष दिया है. पूर्वांचल में दबंग छवि रखने वाले भूमिहार नेता अजय राय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया है. पांच बार विधायक रह चुके अजय राय 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतरे थे. अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अजय राय ने कहा था कि 'राहुल गांधी एक बार फिर अमेठी से चुनाव मैदान में उतरेंगे. वहीं यदि प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव लड़ना चाहेंगी, तो वह प्रियंका को जिताने के लिए जी जान से जुटेंगे.' अजय राय के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी में उत्साह देखा जा रहा है. यह बात और है कि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन होने के बाद समाजवादी पार्टी प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के लिए कितनी सीटें छोड़ती है, लेकिन एक बात तो तय मानी जा रही है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले चुनाव के मुकाबले बेहतर होगा.
बीते दिनों अजय राय तब चर्चा में आए थे, जब उनके बड़े भाई अवधेश राय की हत्या के आरोपी माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. अजय राय और मुख्तार की अदावत जगजाहिर है. उनके खिलाफ वाराणसी के विभिन्न थाना क्षेत्रों के साथ ही राजधानी लखनऊ और भदोही जिलों में गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं, वह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में जेल भी जा चुके हैं. कहा जाता है कि अजय राय और बाहुबली ब्रजेश सिंह में निकट संबंध रहे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि ऐसी छवि के नेता पर दांव लगाकर आखिर कांग्रेस को क्या हासिल होगा? स्वाभाविक है कि कांग्रेस ने हर एक नफा-नुकसान पर मंथन करने के बाद ही अजय राय के नाम पर मुहर लगाई होगी. पूर्वांचल में अजय राय किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. वह आर्थिक रूप से समृद्ध हैं और उनके साथ लोगों का अच्छा समर्थन भी है. वह एक बार निर्दलीय रूप से विधानसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि वह पार्टी के लिए निडर होकर काम कर पाएंगे और युवाओं को पार्टी से जोड़ने में कामयाब रहेंगे. पूर्वांचल के वाराणसी, बलिया, गाजीपुर और मऊ जैसे जिलों में भूमिहारों की अच्छी-खासी तादाद है. ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि अजय राय इस क्षेत्र में पार्टी को बढ़त दिला पाने में कामयाब होंगे.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति | |
लोकसभा सीटें | 01 |
विधानसभा सीटें | 02 |
उप्र से राज्यसभा की सीटें | 00 |
विधान परिषद की सीटें | 00 |
यदि अजय राय के राजनीतिक इतिहास की बात करें, तो वह 1996 में पहली बार भाजपा के टिकट पर वाराणसी की कोलअसला विधानसभा सीट से चुने गए थे. इसके बाद 2007 तक वह तीन बार भाजपा विधायक बने. इसके बाद उन्होंने भाजपा छोड़ सपा के टिकट पर मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया, किंतु उन्हें परायज का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद हुए उपचुनाव में वह एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कोलअसला सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. 2012 के विधानसभा चुनावों में वह कांग्रेस के टिकट पर पिंडरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और उन्हें सफलता भी मिली. इसके बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किस्मत आजमाई पर उन्हें सफलता नहीं मिली. वह 2017 का विधानसभा चुनाव भी पिंडरा सीट से लड़े, लेकिन फिर पराजित हुए.
ऐसे में कांग्रेस को अजय राय से बड़ी उम्मीदें हैं. माना जा रहा है कि इस बार गांधी परिवार से राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा दोनों उत्तर प्रदेश से चनाव मैदान में उतरेंगे. सपा से गठबंधन की स्थिति में कांग्रेस को मुस्लिम और यादव समाज का वह वोट भी मिल सकता है, जो कई दशक से कभी कांग्रेस की ओर नहीं गया. कांग्रेस पार्टी यह भी सोचती है कि राष्ट्रीय स्तर पर बन रहे गठजोड़ का भी उसे अच्छाखासा लाभ मिलेगा और पार्टी उत्तर प्रदेश में अपना प्रदर्शन सुधारने में कामयाब होगी. राजनीतिक विश्लेषक डॉ आलोक राय कहते हैं कि 'प्रदेश में लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की सीटें भले ही उतनी न बढ़े, जिसकी पार्टी को उम्मीद है, लेकिन इसमें कई शंका नहीं है कि कांग्रेस का मत प्रतिशत जरूर सुधरेगा.'