लखनऊः राजधानी के परिवारिक न्यायालय में हर महीने 800 से 900 केस कोर्ट में दर्ज होते हैं. यहां रिश्ते इगो के चलते टूट रहे हैं. इसमें भी ज्यादा केस युवा जोड़े के होते हैं. जिन्होंने लव मैरिज के बाद में आपस में तालमेल नहीं होने के बाद फैमिली कोर्ट में तलाक का केस फाइल करते हैं. पारिवारिक न्यायालय में दर्ज मामलों के आंकड़ों पर गौर करें तो मार्च 2019 में 971 मामले लंबित हैं.
लव मैरिज केस के 356 मामले लंबित
लंबित मामलों में फेहरिस्त में सबसे ज्यादा भरण-पोषण के मामले लंबित हैं. जबकि, दूसरे पायदान पर लव मैरिज केस के 356 मामले लंबित हैं. वकीलों का कहना है कि, भरण-पोषण के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाली नवविवाहिता से लेकर 70 से 80 वर्ष की महिलाएं भी शामिल है. करीब 300 मामलों में महिलाओं ने अपने नाबालिग बच्चे के लिए भी भरण-पोषण की मांग रखी है.
2017 से बढ़े ऐसे मामले
परिवारिक न्यायालय के वकील घनश्याम यादव ने बताया कि 25 साल से वे पारिवारिक न्यायालय में केस लड़ते हैं. इस दौरान कई तरह के केस देखने को मिलते है. ज्यादातर केस ऐसे आते हैं जिसमें पति और पत्नी में इगो के चलते रिश्ते टूट रहे हैं. हालांकि पहले ऐसे केस नहीं आते थे. लेकिन, साल 2017 से ऐसे केस न्यायालय में बढ़ गए हैं. जहां पति-पत्नी एक दूसरे को समझ नहीं पाते और इगो के चलते रिश्ते टूट रहे हैं.
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वर्तमान में लव मैरिज के ज्यादा केस
उन्होंने ने बताया कि 2017 से लव मैरिज के केस न्यायालय में ज्यादा आ रहे हैं. ऐसी स्थिति में न तो लड़का झुकने के लिए राजी होता है और न ही लड़की. कुछ सालों तक रिलेशनशिप अच्छा चलता है. लेकिन, तीन-चार साल में रिश्ते टूटने के कगार में आ जाते हैं. बाद में पता चलता है कि कभी पति पत्नी की बात नहीं मान रहा, तो कभी पत्नी पति की बात नहीं मानती. न्यायालय में ऐसे केसों की संख्या 500 से ज्यादा है.