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लखनऊ: लंबे इंतजार के बाद उत्तर प्रदेश रोडवेज को मिला नया एमडी

एक अरसे के बाद रोडवेज को उसके नये एमडी आखिरकार मिल ही गये हैं. इसके पहले बहुत बार ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को ही एमडी का कार्यभार संभालना पड़ता था, जिससे कमिश्न्र के हिस्से में वर्कलोड ज्यादा होने से ट्रांसपोर्ट के बहुत से काम शेष रह जाते थे.

नया एमडी मिलने से अब सुधरेगी रोडवेज की छवि
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Published : Jul 13, 2019, 8:07 PM IST

लखनऊ: ढाई साल के लंबे अंतराल के बाद उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को नया मुखिया मिला है. एमडी मृत्युंजय नारायण के बाद अब नए मुखिया के रूप में एमडी राजशेखर कार्यभार ग्रहण करेंगे. अब तक ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को ही रोडवेज का अतिरिक्त एमडी का चार्ज दे दिया जाता था, जिससे काफी काम बाकी पड़े रह जाते थे. अब उम्मीद जताई जा सकती है कि रोडवेज की धूमिल हुई छवि में सुधार हो सकेगा. वहीं जो काम अरसे से रुके पड़े हैं उनको गति मिलेगी.

जानकारी देते संवाददाता.
रोडवेज के नये एमडी-
  • वर्ष 2012 में पहली बार आईएस आलोक कुमार को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के अलावा एमडी का दायित्व सौंपा गया.
  • इसके बाद कई दफा सरकार ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को ही एमडी बना दिया.
  • वर्ष 2016 में आशीष कुमार गोयल को रोडवेज का एमडी बनाया गया था, लेकिन 3 ही महीने में उनकी वापसी हो गई.
  • 23 फरवरी 2019 को धीरज साहू को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ साथ परिवहन निगम का प्रबंधक बनाया गया.
  • 4 आईएएस अलग-अलग समय पर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ-साथ रोडवेज के एमडी का भी दायित्व निभाते रहे.
  • फिलहाल रोडवेज के नये एमडी राजशेखर हैं.

लखनऊ: ढाई साल के लंबे अंतराल के बाद उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को नया मुखिया मिला है. एमडी मृत्युंजय नारायण के बाद अब नए मुखिया के रूप में एमडी राजशेखर कार्यभार ग्रहण करेंगे. अब तक ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को ही रोडवेज का अतिरिक्त एमडी का चार्ज दे दिया जाता था, जिससे काफी काम बाकी पड़े रह जाते थे. अब उम्मीद जताई जा सकती है कि रोडवेज की धूमिल हुई छवि में सुधार हो सकेगा. वहीं जो काम अरसे से रुके पड़े हैं उनको गति मिलेगी.

जानकारी देते संवाददाता.
रोडवेज के नये एमडी-
  • वर्ष 2012 में पहली बार आईएस आलोक कुमार को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के अलावा एमडी का दायित्व सौंपा गया.
  • इसके बाद कई दफा सरकार ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को ही एमडी बना दिया.
  • वर्ष 2016 में आशीष कुमार गोयल को रोडवेज का एमडी बनाया गया था, लेकिन 3 ही महीने में उनकी वापसी हो गई.
  • 23 फरवरी 2019 को धीरज साहू को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ साथ परिवहन निगम का प्रबंधक बनाया गया.
  • 4 आईएएस अलग-अलग समय पर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ-साथ रोडवेज के एमडी का भी दायित्व निभाते रहे.
  • फिलहाल रोडवेज के नये एमडी राजशेखर हैं.
Intro:ढाई साल के लंबे अंतराल के बाद रोडवेज को मिला अपना 'मुखिया', अब सुधरेगी रोडवेज की छवि

लखनऊ। ढाई साल के लंबे अंतराल के बाद उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को नया मुखिया मिला है। एमडी मृत्युंजय नारायण के बाद अब नए मुखिया के रूप में एमडी राजशेखर कार्यभार ग्रहण करेंगे। अब तक ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को ही रोडवेज का अतिरिक्त एमडी का चार्ज दे दिया जाता है था जिससे काफी काम अधर में ही लटके रहे जा रहे थे। अब उम्मीद जताई जा सकती है कि रोडवेज की धूमिल हुई छवि में सुधार हो सकेगा, वहीं जो काम अरसे से रुके पड़े हैं उनको गति मिलेगी।


Body:वर्ष 2012 में पहली बार आईएएस आलोक कुमार को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के अलावा अतिरिक्त कार्यभार के रूप में एमडी का भी दायित्व सौंप दिया गया था। इसके बाद जब भी सरकार को जरूरत महसूस हुई समय-समय पर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर से ही एमडी का काम लिया जाता रहा। आलोक कुमार के बाद के. रविंद्र नायक को 2013 से 2015 तक ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ ही एमडी का कार्यभार दिया गया। इसके बाद 2016 में आशीष कुमार गोयल को एमडी बनाया गया, लेकिन तीन ही महीने में उनकी वापसी हो गई। आईएएस सुधीर गर्ग को चार्ज मिला लेकिन 15 दिन के अंदर ही उनकी विदाई कर दी गई। इसके बाद 28 सितंबर 2016 को मृत्युंजय कुमार नारायण के रूप में रोडवेज को मुखिया मिला था लेकिन तीन माह में कम समय में ही उन्हें भी हटा दिया गया। इसके बाद 26 दिसंबर 2016 को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के रविंद्र नायक को फिर से ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ-साथ एमडी का कार्यभार सौंपा गया। 7 जुलाई 2017 को के. रविंद्र नायक का ट्रांसफर हो गया। इसके बाद पी. गुरुप्रसाद नए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बने और उन्हें भी एमडी का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया। 23 फरवरी 2019 तक पी. गुरुप्रसाद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ एमडी का भी दायित्व निभाते रहे। इसके बाद उनका तबादला हुआ तो 23 फरवरी 2019 को धीरज साहू को ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ-साथ परिवहन निगम का प्रबंध निदेशक बनाया गया। 4 आईएएस अलग-अलग समय पर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ-साथ रोडवेज के एमडी का भी दायित्व निभाते रहे।


Conclusion:अब रोडवेज को पूरी तरह से अपना मुखिया मिला है तो ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को भी अब एमडी के अतिरिक्त कार्यभार से मुक्ति मिली है। लिहाजा, जब दोनों विभागों के मुखिया अलग-अलग हो गए हैं तो कार्यों में तेजी आएगी। रोडवेज के अधिकारी भी मानते हैं कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ-साथ एमडी का दायित्व निभाने से काफी काम पेंडिंग रह जाते थे, क्योंकि दोनों तरफ काम कर पाना एक अधिकारी के लिए संभव ही नहीं होता है। रोडवेज पर अतिरिक्त प्रभार के चलते अधिकारी का ध्यान कम ही रहता है।
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