लखनऊ: राजधानी में आवारा जानवरों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले हफ्ते इंदिरा नगर के वसुंधरा एंक्लेव में सांड ने एक मासूम को पटक-पटक कर मार डाला था. वहीं 2 दिन पहले एक जुलूस के दौरान सांड ने कई लोगों को घायल कर दिया था. इन घटनाओं के बावजूद अधिकारियों की कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है और आवारा पशु राजधानी के कई इलाकों में चहल कदमी करते दिखाई दे रहे हैं.
शहर में बढ़ती आवारा पशुओं की संख्या को देखते हुए लगता है कि स्थिति जस की तस बनी हुई है और कोई कार्रवाई नहीं हुई है. आवारा पशुओं ने आसपास के चौराहों पर डेरा डाल रखा है. आने जाने वाले राहगीर कभी भी इनका शिकार हो जाते हैं. इन जानवरों को देखकर लगता है कि नगर निगम प्रशासन कितना 'लेजी' है और आवारा पशु कितने 'एक्टिव'.
हर माह जा रही दो की जान
• तारीख 4 मई 2019, बीकेटी के नंद गांव के पास मवेशी को बचाने के चक्कर में डीसीएम चालक ने ब्रेक लगाई. डीसीएम पर लदी टीन की चादरें अंदर बैठे मजदूरों पर गिरीं. इससे राकेश केशव की मौत हो गई थी जबकि 6 घायल हो गए थे.
• तारीख 22 अप्रैल 2019, पीजीआई क्षेत्र की वृंदावन कॉलोनी में सांड ने मनोज पाल को पटक पटक कर मार डाला था.
• तारीख 10 जनवरी 2019, काकोरी के कुशमोरा गांव में सांड के साथ टकराने से बचने के चक्कर में अनियंत्रित कार डिवाइडर से टकराकर पलट गयी थी. हादसे में सुरेंद्र यादव की मौत हो गई थी जबकि साथी संजय घायल हुआ था.
• 14 सितंबर 2018, मलिहाबाद के एक गांव में सांड के हमले में किसान की मौत.
• 2 सितंबर 2018, माल क्षेत्र के एक गांव में किसान को पटक पटक कर मार डाला था.
• 15 जून 2018, चिनहट में सांड के हमले में निजी कंपनी के कर्मी रामचंद्र की मौत.
• 23 मई 2019, इंदिरा नगर में सांड ने मासूम को पटक-पटक कर मार डाला.
वहीं पश्चिम विधानसभा के विधायक सुरेश श्रीवास्तव का कहना है कि जब से विधायक बना हूं, नगर निगम और सदन दोनों जगह यह मुद्दा उठा चुका हूं. आज भी सौ-सौ आवारा पशु एक जगह एकत्रित हो जाते हैं. ये जानवर कई लोगों की जान भी ले चुके हैं. नगर निगम की कार्रवाई संतोषजनक नहीं है.