लखनऊ: कोविड-19 महामारी के दौरान जहां एक ओर बीमारी का डर है तो वहीं गरीबों के लिए यह दौर दोहरी मार लेकर आया है. राजधानी लखनऊ में जिला प्रशासन, एलडीए और नगर निगम लोगों को खाना और राशन उपलब्ध कराने के तमाम दावे कर रहा है. दावे किए गए कि लखनऊ के 10 कम्युनिटी किचन में 70,000 से भी अधिक लोगों के लिए खाना बनता है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. यहां पर तमाम ऐसे परिवार हैं जो सिर्फ एक टाइम का खाना खाकर जीवन यापन कर रहे हैं. इन्हें अभी तक राशन नहीं उपलब्ध कराया गया है, और ना ही कोई आर्थिक मदद दी गई है.
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ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि गोमतीनगर जैसे पॉश इलाके में रहने वाला एक परिवार पिछले कई हफ्तों से सिर्फ एक टाइम के थोड़े से खाने से जीवन यापन कर रहा है. इस परिवार के पास घर में खाने को कुछ भी नहीं है. कई दिनों से भूखी 2 बच्चों की मां उत्तरा जायसवाल ने बताया कि उनका परिवार कई दिनों से भूखा है.
उन्होंने बताया कि नगर निगम की गाड़ी कभी-कभी एक टाइम का खाना उपलब्ध करा देती है, लेकिन एक टाइम के खाने से क्या होगा. पति का कामकाज ठप है लिहाजा कहीं से कोई आमदनी भी नहीं हो रही है, खाने पीने की काफी दिक्कत है.
ईटीवी भारत के माध्यम से उत्तरा जायसवाल और उनके पति मनीराम ने लखनऊ के जिम्मेदार अधिकारी और सरकार से गुहार की है कि उन्हें लॉकडाउन के दौरान राशन उपलब्ध कराया जाए, जिससे वह अपना और अपने परिवार का पेट भर सकें.
परिवार की स्थिति और राशन न मिलने के बारे में जब लखनऊ नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह प्रवासी मजदूर हैं. इनके बारे में नगर निगम को जानकारी नहीं हुई और इन्होंने राशन के लिए प्रयास नहीं किए होंगे. इन्हें जल्द से जल्द राशन पहुंचाया जाएगा. क्षेत्रीय नगर निगम के जिम्मेदार कर्मचारियों से इस बारे में सवाल भी किए जाएंगे कि यह परिवार कैसे छूट गया.