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NBRI के वैज्ञानिकों ने बनाया वेस्ट मटेरियल से हर्बल सिंदूर का नया फार्मूला - एनबीआरआई चीफ साइंटिस्ट एसके तिवारी

मंदिरों के वेस्ट फ्लावर्स से राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने हर्बल सिंदूर बनाया है. दरअसल, आजकल की महिलाएं लिक्विड सिंदूर लगाना काफी पसंद करती हैं तो इस तरह का भी लिक्विड फॉर्म में एनबीआरआई ने सिंदूर बनाया है जिसे आसानी से महिलाएं अपनी मांग में लगा सकती हैं और खास बात यह है कि इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा.

NBRI के वैज्ञानिकों ने बनाया वेस्ट मटेरियल से हर्बल सिंदूर का नया फार्मूला
NBRI के वैज्ञानिकों ने बनाया वेस्ट मटेरियल से हर्बल सिंदूर का नया फार्मूला
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Published : Jan 9, 2022, 12:20 PM IST

लखनऊ: राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने मंदिरों के वेस्ट फ्लावर्स से हर्बल सिंदूर बनाया है. आजकल महिलाएं लिक्विड सिंदूर लगाना पसंद करती हैं तो इस तरह का भी लिक्विड फॉर्म में एनबीआरआई ने सिंदूर बनाया है जिसे आसानी से महिलाएं अपनी मांग में लगा सकती हैं और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा. आमतौर पर रीति रिवाज के हिसाब से महिलाएं शादी के बाद मांग में सिंदूर जरूर लगाती हैं. ऐसे में बाजार में जो सिंदूर उपलब्ध होते हैं. वह सिंथेटिक होते हैं. दरअसल, सिंथेटिक सिंदूर लगाने से महिलाओं के बाल झड़ते हैं साथ ही स्किन कैंसर जैसे बड़े रोग होने की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

एनबीआरआई के चीफ साइंटिस्ट एसके तिवारी ने बताया कि फ्लोरी कल्चर मिशन के तहत एनबीआरआई के सांइटिस्ट व टीम ने मिलकर मंदिरों के वेस्ट फ्लावर मटेरियल से हर्बल सिंदूर बनाया हैं. फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत कई एक्टिविटीज हम करते रहते हैं. इसमें से एक यह भी है कि वेस्ट फ्लावर्स जो बिक नहीं पाते हैं या मंदिरों से वेस्ट फ्लावर्स को कलेक्ट करके उससे लैब में रंगों को बनाते है. इसी के तहत हर्बल सिंदूर भी इस योजना के तहत बना है. इसमें वैज्ञानिक महेश पाल समेत उनकी टीम का बड़ा योगदान रहा है. लगन के साथ उन्होंने इस पर काम किया है तब जाकर यह परिणाम हमारे समक्ष प्रस्तुत है.

जानकारी देते वैज्ञानिक.
वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. महेश पाल ने बताया कि बेस्ट फ्लावर्स के जरिए इस बार हमने हर्बल सिंदूर बनाया है. क्योंकि यह स्पेशल महिलाओं के लिए हैं तो इसलिए महिलाओं को केंद्रित करते हुए ड्राई और लिक्विड सिंदूर बनाया है ताकि जो आजकल महिलाएं लिक्विड सिंदूर लगाती हैं. उन्हें भी हर्बल लिक्विड सिंदूर मिल सके. आमतौर पर बाजार में सिंथेटिक सिंदूर उपलब्ध होते हैं. क्योंकि आज बाजार में कोई भी चीज ओरिजिनल नहीं रह गई है. उसमें लेड की मात्रा अधिक होती है यही कारण है कि जब एक लंबे समय तक कोई महिला अपने माथे पर सिंदूर लगाती है उनके बाल झड़ने या बाल सफेद होने की समस्या होने लगती है या उस एरिया में बाल सफेद हो जाते हैं या गंजापन होने लगता है. यहां तक कि स्किन कैंसर जैसी बड़ी समस्या होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए सिंथेटिक सिंदूर काफी ज्यादा खतरनाक साबित होता है. क्योंकि जब यह सिंथेटिक सिंदूर माथे पर लगाते हैं तो इसके जो कण होते हैं वह स्किन से ब्लड में चला जाता हैं. जब पूरे शरीर में इसके कण पहुंच जाते हैं तो बच्चे पर घातक प्रभाव छोड़ता हैं. एनबीआरआई का हर्बल सिंदूर जल्दी बाजार में उपलब्ध होगा. जल्द ही यह तकनीक किसी कंपनी के हाथों सौंपी जाएगी. वहीं उन्होंने यह भी बताया कि उनकी स्टूडेंट रिसर्चर आंकाक्षा ने काफी मेहनत की. हम सभी के सहयोग से परिणाम सामने आया है. इसे भी पढे़ं- सालों पुरानी है सिंदूर खेला की परंपरा, यहां मां दुर्गा की खास तरह से होती है विदाई

लखनऊ: राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने मंदिरों के वेस्ट फ्लावर्स से हर्बल सिंदूर बनाया है. आजकल महिलाएं लिक्विड सिंदूर लगाना पसंद करती हैं तो इस तरह का भी लिक्विड फॉर्म में एनबीआरआई ने सिंदूर बनाया है जिसे आसानी से महिलाएं अपनी मांग में लगा सकती हैं और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा. आमतौर पर रीति रिवाज के हिसाब से महिलाएं शादी के बाद मांग में सिंदूर जरूर लगाती हैं. ऐसे में बाजार में जो सिंदूर उपलब्ध होते हैं. वह सिंथेटिक होते हैं. दरअसल, सिंथेटिक सिंदूर लगाने से महिलाओं के बाल झड़ते हैं साथ ही स्किन कैंसर जैसे बड़े रोग होने की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

एनबीआरआई के चीफ साइंटिस्ट एसके तिवारी ने बताया कि फ्लोरी कल्चर मिशन के तहत एनबीआरआई के सांइटिस्ट व टीम ने मिलकर मंदिरों के वेस्ट फ्लावर मटेरियल से हर्बल सिंदूर बनाया हैं. फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत कई एक्टिविटीज हम करते रहते हैं. इसमें से एक यह भी है कि वेस्ट फ्लावर्स जो बिक नहीं पाते हैं या मंदिरों से वेस्ट फ्लावर्स को कलेक्ट करके उससे लैब में रंगों को बनाते है. इसी के तहत हर्बल सिंदूर भी इस योजना के तहत बना है. इसमें वैज्ञानिक महेश पाल समेत उनकी टीम का बड़ा योगदान रहा है. लगन के साथ उन्होंने इस पर काम किया है तब जाकर यह परिणाम हमारे समक्ष प्रस्तुत है.

जानकारी देते वैज्ञानिक.
वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. महेश पाल ने बताया कि बेस्ट फ्लावर्स के जरिए इस बार हमने हर्बल सिंदूर बनाया है. क्योंकि यह स्पेशल महिलाओं के लिए हैं तो इसलिए महिलाओं को केंद्रित करते हुए ड्राई और लिक्विड सिंदूर बनाया है ताकि जो आजकल महिलाएं लिक्विड सिंदूर लगाती हैं. उन्हें भी हर्बल लिक्विड सिंदूर मिल सके. आमतौर पर बाजार में सिंथेटिक सिंदूर उपलब्ध होते हैं. क्योंकि आज बाजार में कोई भी चीज ओरिजिनल नहीं रह गई है. उसमें लेड की मात्रा अधिक होती है यही कारण है कि जब एक लंबे समय तक कोई महिला अपने माथे पर सिंदूर लगाती है उनके बाल झड़ने या बाल सफेद होने की समस्या होने लगती है या उस एरिया में बाल सफेद हो जाते हैं या गंजापन होने लगता है. यहां तक कि स्किन कैंसर जैसी बड़ी समस्या होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए सिंथेटिक सिंदूर काफी ज्यादा खतरनाक साबित होता है. क्योंकि जब यह सिंथेटिक सिंदूर माथे पर लगाते हैं तो इसके जो कण होते हैं वह स्किन से ब्लड में चला जाता हैं. जब पूरे शरीर में इसके कण पहुंच जाते हैं तो बच्चे पर घातक प्रभाव छोड़ता हैं. एनबीआरआई का हर्बल सिंदूर जल्दी बाजार में उपलब्ध होगा. जल्द ही यह तकनीक किसी कंपनी के हाथों सौंपी जाएगी. वहीं उन्होंने यह भी बताया कि उनकी स्टूडेंट रिसर्चर आंकाक्षा ने काफी मेहनत की. हम सभी के सहयोग से परिणाम सामने आया है. इसे भी पढे़ं- सालों पुरानी है सिंदूर खेला की परंपरा, यहां मां दुर्गा की खास तरह से होती है विदाई
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