लखनऊः हुसैनाबाद ट्रस्ट की कारगुजारी से खुद नवाबीन-ए-अवध अब नाराज हैं. इमामे जुमा मौलाना कल्बे जवाद की हुसैनाबाद ट्रस्ट के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग के बाद अब नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह ने भी ट्रस्ट के काम काज और बदहाल होती ऐतिहासिक इमारतों पर नाराजगी जताई है. हुसैनाबाद ट्रस्ट को लेकर नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह हुसैनाबाद ट्रस्ट से नाखुश
नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला ने कहा कि हुसैनाबाद ट्रस्ट में तकरीबन 23 साल से कोई चुनाव नहीं कराया गया है. इसके चलते यहां पर कोई कमेटी नहीं बनी है. इसके बावाजूद डीएम इसके चेयरमैन बने हुए हैं, जबकि कोई कमेटी ही नहीं है. डीएम शहर के कामों में व्यस्त रहते हैं. इसी के चलते वह अक्सर एडीएम पश्चिम को इसका चार्ज दे देते हैं. वहीं एडीएम इसका चार्ज एसीएम को दे देते हैं. क्योंकि किसी को इसके उत्थान की कोई दिलचस्पी नहीं है. नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह ने कहा कि इमारतों का सही ढंग से रखरखाव नहीं हो रहा है और उसमें मौजूद किराएदार उसको और नुकसान पहुंचा रहे हैं.
कई ऐतिहासिक इमारतों के हिस्से हुए जमींदोज
नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह ने कहा कि इमारतों की बदहाली के चलते सबसे पहले छतर मंजिल का पौर्टिको गिरा. उसके बाद हजरतगंज में स्तिथ सिबतैनाबाद इमामबाड़े का बाहरी गेट गिरा. हाल ही में खदरा स्तिथ गार वाली कर्बला का द्वार जमींदोज हो गया. उसके बाद काले इमामबाड़े के बगल में बनी दुकानें भरभराकर गिर गई. उन्होंने कहा कि न ही ट्रस्ट को कोई दिलचस्पी है और न ही ASI के पास जरिए हैं, जिससे इनकी हिफाजत की जाए.
लखनऊ में 60 संरक्षित इमारते है मौजूद
नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह ने बताया कि लखनऊ शहर में 60 संरक्षित इमारते मौजूद है, जो बेहद अहम है. उन्होंने कहा कि यहां अब न ही कोई अहमियत बची है और न ही इमारतों की देखभाल के लिए प्रशासन का कोई खास तवज्जों है. जिम्मेदार इन जायदाद पैसा खाने और उसके बेचने में ज्यादा इंट्रेस्टेड रहते हैं, और विरासतों को बचाने के लिए कोई ध्यान नहीं दे रहा है. आगे बोलते हुए नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह ने कहा कि आज जरूरत है कि डीएम सख्त हों और हुसैनाबाद ट्रस्ट को लेकर एक्शन लें नहीं तो इसी तरह से सब तबाह और बर्बाद होता जाएगा.