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नवरात्रि स्पेशल भजन, इन आरती व मंत्रों से मां दुर्गा होती हैं प्रसन्न - durga mantras

नवरात्रि इस साल 7 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक चलेगी. मान्यता है कि मां दुर्गा भजन कीर्तन मात्र से ही प्रसन्न हो जाती हैं. जानिए इस नवरात्रि पर मां की किस प्रकार से आराधना करें कि उनकी कृपा हम पर बरसने लगे

नवरात्रि स्पेशल भजन.
नवरात्रि स्पेशल भजन.
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Published : Oct 8, 2021, 7:09 AM IST

लखनऊ: नवरात्रि इस साल 7 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक चलेगी. मान्यता है कि मां दुर्गा भजन कीर्तन मात्र से ही प्रसन्न हो जाती हैं. जानिए इस नवरात्रि पर मां की किस प्रकार से आराधना करें कि उनकी कृपा हम पर बरसने लगे

नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की अराधना करते हुए इन भजनों को खूब पसंद किया जाता.

  • तूने मुझे बुलाया शेरावालिए... मैं आया... मैं आया
  • चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है...
  • प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी...
  • मैं बालक तू माता..
  • भोर भयी दिन चढ़ गया मेरी अंबे...
  • दुर्गा है मेरी मां...
  • धरती गगन में होती है...

मां दुर्गा की आरती ह‍िंदी में

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्.वत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

मांग सिंदूर विराजत, टीको जगमद को।

उज्जवल से दो नैना चन्द्रवदन नीको।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।

ओम जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती

कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति।।

ओम जय अम्बे गौरी।

शुंभ निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।

मधु-कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

ब्रम्हाणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शव पटरानी।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

तुम ही जग की माता, तुम ही भरता।

भक्तन की दुख हरता सुख संपत्ति करता।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

ओम जय अम्बे गौरी।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्रीमालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

मां दुर्गा के मंत्र

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

लखनऊ: नवरात्रि इस साल 7 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक चलेगी. मान्यता है कि मां दुर्गा भजन कीर्तन मात्र से ही प्रसन्न हो जाती हैं. जानिए इस नवरात्रि पर मां की किस प्रकार से आराधना करें कि उनकी कृपा हम पर बरसने लगे

नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की अराधना करते हुए इन भजनों को खूब पसंद किया जाता.

  • तूने मुझे बुलाया शेरावालिए... मैं आया... मैं आया
  • चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है...
  • प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी...
  • मैं बालक तू माता..
  • भोर भयी दिन चढ़ गया मेरी अंबे...
  • दुर्गा है मेरी मां...
  • धरती गगन में होती है...

मां दुर्गा की आरती ह‍िंदी में

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्.वत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

मांग सिंदूर विराजत, टीको जगमद को।

उज्जवल से दो नैना चन्द्रवदन नीको।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।

ओम जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती

कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति।।

ओम जय अम्बे गौरी।

शुंभ निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।

मधु-कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

ब्रम्हाणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शव पटरानी।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

तुम ही जग की माता, तुम ही भरता।

भक्तन की दुख हरता सुख संपत्ति करता।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

ओम जय अम्बे गौरी।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्रीमालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे।।

ओम जय अम्बे गौरी।।

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

मां दुर्गा के मंत्र

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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