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‘मदरसों में बच्चों को समुचित और व्यापक शिक्षा नहीं’ -राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने हाईकोर्ट में दिया हलफनामा - education of children in madrasas

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक शपथ पत्र देकर कहा कि मदरसों में बच्चों को मिलने वाली शिक्षा समुचित और व्यापक नहीं है. यहां दूसरे स्कूलों के बच्चों की तरह आधुनिक शिक्षा नहीं मिल पाती है.

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Published : May 17, 2023, 9:55 PM IST


लखनऊ: राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में विचाराधीन एक मामले में हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. साथ ही एक शपथ पत्र के माध्यम से कहा है कि मदरसों में बच्चों को मिलने वाली शिक्षा समुचित और व्यापक नहीं है. इसके आभाव में मदरसों में शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन हो रहा है. शपथ पत्र में मदरसों में सरकारी खर्चे पर मजहबी शिक्षा दिए जाने का भी विरोध किया है. न्यायालय ने एनसीपीसीआर के उक्त प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए सुनवाई का अवसर देने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 30 मई को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने एजाज अहमद की याचिका में दाखिल उपरोक्त हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र पर पारित किया है. एनसीपीसीआर के प्रमुख निजी सचिव विजय कुमार अदेवा द्वारा दाखिल शपथ पत्र में आगे कहा गया है कि दूसरे स्कूलों के बच्चों को जिस प्रकार से आधुनिक शिक्षा मिलती है. मदरसे के बच्चे उससे वंचित रह जाते हैं. यह भी कहा गया है कि ये संस्थान गैर मुस्लिम बच्चों को भी इस्लामिक शिक्षा देते हैं. जो संविधान के प्रावधानाओं का स्पष्ट उल्लंघन है. एनसीपीसीआर की ओर से आगे कहा गया है कि ऐसी तमाम शिकायतें मिलती हैं कि मदरसों को मनमाने तरीके से चलाया जाता है. जिससे किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों का भी उल्लंघन होता है.

उल्लेखनीय है कि सेवा सम्बंधी एक मामले की सुनवाई करते हुए 27 मार्च को न्यायालय ने केंद्र व राज्य सरकार से मदरसों में मजहबी शिक्षा दिए जाने के सम्बंध में पूछा है कि सरकारी धन से चलाने वाले मदरसों में मजहबी शिक्षा कैसे दी जा सकती है. न्यायालय ने यह भी बताने को कहा है कि क्या यह संविधान में प्रदत्त तमाम मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है.


यह भी पढ़ें- खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मशाल रैली पहुंची सुलतानपुर, राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी का छलका दर्द


लखनऊ: राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में विचाराधीन एक मामले में हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. साथ ही एक शपथ पत्र के माध्यम से कहा है कि मदरसों में बच्चों को मिलने वाली शिक्षा समुचित और व्यापक नहीं है. इसके आभाव में मदरसों में शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन हो रहा है. शपथ पत्र में मदरसों में सरकारी खर्चे पर मजहबी शिक्षा दिए जाने का भी विरोध किया है. न्यायालय ने एनसीपीसीआर के उक्त प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए सुनवाई का अवसर देने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 30 मई को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने एजाज अहमद की याचिका में दाखिल उपरोक्त हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र पर पारित किया है. एनसीपीसीआर के प्रमुख निजी सचिव विजय कुमार अदेवा द्वारा दाखिल शपथ पत्र में आगे कहा गया है कि दूसरे स्कूलों के बच्चों को जिस प्रकार से आधुनिक शिक्षा मिलती है. मदरसे के बच्चे उससे वंचित रह जाते हैं. यह भी कहा गया है कि ये संस्थान गैर मुस्लिम बच्चों को भी इस्लामिक शिक्षा देते हैं. जो संविधान के प्रावधानाओं का स्पष्ट उल्लंघन है. एनसीपीसीआर की ओर से आगे कहा गया है कि ऐसी तमाम शिकायतें मिलती हैं कि मदरसों को मनमाने तरीके से चलाया जाता है. जिससे किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों का भी उल्लंघन होता है.

उल्लेखनीय है कि सेवा सम्बंधी एक मामले की सुनवाई करते हुए 27 मार्च को न्यायालय ने केंद्र व राज्य सरकार से मदरसों में मजहबी शिक्षा दिए जाने के सम्बंध में पूछा है कि सरकारी धन से चलाने वाले मदरसों में मजहबी शिक्षा कैसे दी जा सकती है. न्यायालय ने यह भी बताने को कहा है कि क्या यह संविधान में प्रदत्त तमाम मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है.


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