हैदराबाद: यूपी विधानसभा चुनाव में अबकी मुस्लिम वोटों का बिखराव तय है, क्योंकि सपा और बसपा ने पहले चरण के प्रत्याशियों की सूची में एक ही सीट से मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. वहीं, खुद को मुस्लिमों का मसीहा बताने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष व हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शेष बची कसर को पूरा करने का काम किया है. खैर, इस बिखराव में किस पार्टी को लाभ होगा और किसे नुकसान यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि अबकी यूपी में किसी भी पार्टी को मुस्लिमों का एक मुश्त वोट मिलता नहीं दिख रहा है.
मेरठ सदर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने रफीक अंसारी को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं, बसपा ने दिलशाद शौकत पर दांव खेला है. वहीं, एआईएमआईएम ने मेरठ की किठौर विधानसभा सीट से तसलीम अहमद को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा है. हालांकि, इस सीट पर सपा ने शाहिद मंजूर को उतारा है. बसपा ने मेरठ की सीवालखास से मुकर्रम अली खां उर्फ नन्हें को टिकट दिया है तो एआईएमआईएम ने यहां से रफत खान को मैदान में उतारा है.
इधर, बसपा ने गाजियाबाद की लोनी सीट से हाजी आदिल चौधरी को उम्मीदवार बनाया है तो एआईएमआईएम ने डॉ. मेहताब को उतारा है. इसके अलावा हापुड़ की गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा सीट से बसपा ने मोहम्मद आरिफ को उतारा है तो एआईएमआईएम ने फुरकान चौधरी पर भरोसा व्यक्त किया है. बात अगर अलीगढ़ की कोल विधानसभा सीट की करें तो यहां बसपा ने मोहम्मद बिलाल को मैदान में उतारा है तो समाजवादी पार्टी ने सलमान सईद को उतार यहां लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है.
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वहीं, समाजवादी पार्टी ने अलीगढ़ विधानसभा सीट से जफर आलम को मैदान में उतारा है तो बसपा ने रजिया खान पर दांव खेला है. इसके इतर हापुड़ की धौलाना विधानसभा सीट से एआईएमआईएम ने हाजी आरिफ को टिकट दिया है तो सपा ने असलम चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है.
खैर, कहा जाता है कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में मुस्लिम मतदाता हमेशा मुस्लिम प्रत्याशियों पर ही भरोसा जाहिर करता है. लेकिन कई बार प्रत्याशी भी फैक्टर करते हैं. हालांकि, अभी कांग्रेस की सूची आनी बाकी है. ऐसे में अगर कांग्रेस भी इन सीटों से मुस्लिम प्रत्याशी देती है तो फिर मुस्लिम वोटों के बिखराव के आसार अधिक होंगे.
किस विधानसभा में कितने मुस्लिम विधायक
वर्ष | मुस्लिम विधायक |
1951-52 | 41 |
1957 | 37 |
1962 | 30 |
1967 | 23 |
1969 | 29 |
1974 | 25 |
1977 | 49 |
1991 | 17 |
1993 | 28 |
1996 | 38 |
2002 | 64 |
2007 | 54 |
2012 | 68 |
2017 | 23 |
वहीं, पश्चिम उत्तर प्रदेश में 9 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मुस्लिम वोटर्स करते हैं. यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 55 फीसद के आसपास है. इन 7 सीटों में मेरठ सदर, रामपुर सदर, संभल, मुरादाबाद ग्रामीण, कुंदरकी, अमरोहा नगर, धौलाना, सहारनपुर की बेहट और सहारनपुर देहात सीट शामिल हैं.
इन जिलों में अधिक है मुस्लिम आबादी
जिला | मुस्लिम आबादी (%) |
रामपुर | 50.57 |
श्रावस्ती | 30.79 |
सुलतानपुर | 20.92 |
मुरादाबाद | 47.12 |
मेरठ | 34.43 |
मुजफ्फरनगर | 41.3 |
अमरोहा | 40.78 |
गाजियाबाद | 25.35 |
बिजनौर | 43.04 |
बरेली | 34.54 |
अलीगढ़ | 19.85 |
बलरामपुर | 37.51 |
बहराइच | 37.51 |
कुल मिलाकर यूपी में 143 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं. इसके अलावा सूबे की करीब 70 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 से 30 फीसद के बीच है. इतना ही नहीं 43 ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम आबादी 30 फीसद से कुछ अधिक है तो वहीं, 36 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम प्रत्याशी अपने बल बूते जीत हासिल करने में सक्षम हैं. इधर, सूबे की 107 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम जीत हार तय करते हैं.
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