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यूपी के इन जिलों से नेताजी को था खास लगाव, लोगों के दिलों पर करते थे राज

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Published : Oct 10, 2022, 4:17 PM IST

Updated : Oct 10, 2022, 11:00 PM IST

समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav Connection) का उत्तर प्रदेश के कई जिलों से गहरा नाता रहा. आइए जानते है उन शहरों के बारे में जहां की जनता के दिलों पर नेताजी ने राज किया...

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लखनऊ (यूपी डेस्क): समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में अपनी आखिरी सांसे ली. उन्होंने अपने जीवन में प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला. वैसे तो मुलायम सिंह यादव ना केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के नेता थे. फिरोजाबाद को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया था. उन्होंने यहां शिकोहाबाद विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. फिरोजाबाद के अलावा ऐसे कई यूपी के कई जिले हैं, जहां से मुलायम सिंह यादव का गहरा नाता (Mulayam Singh Yadav Connection) रहा है. आइए जानते है इन शहरों के बारे में....

सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव जमीन से जुड़े हुए नेता थे इसीलिए उन्हें धरती पुत्र भी कहा जाता है. वे 3 बार यूपी के मुख्यमंत्री बने. वहीं सन् 1996 से 1998 तक देश के रक्षा मंत्री बने रहे. अगर बात करें फिरोजाबाद की, तो यहां से मुलायम सिंह यादव का काफी लगाव रहा. शिकोहाबाद के गांव इटौली से नेता जी का पुराना नाता था. नेता जी के बाबा मेवाराम इसी गांव के रहने वाले थे, जो बाद में सैफई जाकर रहने लगे. मुलायम सिंह यादव के पारवारिक भतीजे उदयराज आज भी इसी गांव में रहते है. यहां के आदर्श कृष्ण महाविद्यालय से नेता जी ने बीटी की पढ़ाई की थी.

शिकोहाबाद से था गहरा लगाव
नेताजी ने शिकोहाबाद को अपनी कर्मभूमि भी बनाया. साल 1993 में 12वीं विधानसभा के चुनावों में वह शिकोहाबाद से जीतकर मुख्यमंत्री भी बने थे. इस जनपद में कई स्थानों पर उनकी नजदीकी रिश्तेदारियां भी है. मुलायम सिंह यादव के विशेष जुड़ाव के कारण ही साल 2009 में अखिलेश यादव ने भी यहीं से लोकसभा का चुनाव लड़े और जीत हासिल की. इसके अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को यहां से चुनाव लड़वाया, लेकिन वे हार गई. जिसके बाद डिंपल के लिए खुद मुलायम यादव चुनावी मैदान में उतरे और उनके लिए वोट मांगे. लेकिन, उन्हें एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा. साल 2014 में मुलायम सिंह यादव के भतीजे और प्रोफेसर राम गोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव भी यहीं से सांसद चुने गए थे. उसके बाद साल 2019 में अक्षय यादव और शिवपाल यादव दोनों ही चुनाव हार गए थे.

नेताजी की CM बनने की राह ऐसी हुई थी आसान

अलीगढ़ में पूर्व सांसद और तीन बार के विधायक रहे चौधरी विजेंद्र सिंह के जीतने पर मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान हुई थी. दरअसल सन् 1989 के विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार विजेंद्र सिंह ने उस समय के ताकतवर नेता चौधरी राजेंद्र सिंह को इगलास विधानसभा सीट पर मात्र 64 वोट से हराया था. राजेंद्र सिंह चौधरी चरण सिंह के राइट हैंड माने जाते थे और 1989 में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन चौधरी राजेंद्र सिंह की हार के बाद मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान हो गई . 5 दिसंबर 1989 को पहली बार मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने थे. इससे पहले सन् 1977 में जनता पार्टी की सरकार में मुलायम सिंह यादव सहकारिता व पशुपालन मंत्री थे. जबकि राजेंद्र सिंह कृषि और सिंचाई मंत्री बने थे.

नेताजी के बारे में बताते पूर्व सांसद चौधरी विजेंद्र सिंह

बदायूं में नेताजी का रिकॉर्ड आज भी कायम
मुलायम सिंह यादव का बदायूं से पुराना रिश्ता रहा है. 1996 में जब वह नेता प्रतिपक्ष बनें, तब वह बदायूं की सहसवान सीट से चुनाव जीते. उसके बाद 2003 में जब वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने तब जनपद की गुन्नौर विधानसभा सीट ( जो अब जनपद संभल में पड़ता है) से 2004 के उपचुनाव में विधायक चुने गए. इस चुनाव में उन्होंने पूरे देश की विधानसभाओं में सबसे अधिक मतों से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड भी बनाया, जो आज तक उनके नाम दर्ज है.

इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में वह दोबारा गुन्नौर से विधायक चुने गए. इस प्रकार देखा जाए तो बदायूं से उनका गहरा रिश्ता रहा. उस रिश्ते को आगे बढ़ाते हुए 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव को बदायूं से लोकसभा का टिकट दिया. यहां से चुनाव जीतने में वे कामयाब रहे और बदायूं से सपा सांसद के रूप में दिल्ली पहुंचे. 2014 के लोकसभा चुनाव में धर्मेंद्र यादव दोबारा बदायूं से सांसद चुने गए. यह नेताजी के बदायूं प्रेम का ही एक उदाहरण था, जिसमें बदायूं को समाजवादियों का गढ़ के रूप में स्थापित किया.

नेताजी ने कहा था, मेरे कार्यकर्ता कभी झूठ नहीं बोल सकते...

वहीं मथुरा से भी नेताजी का गहरा नाता रहा है. 1989 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद नेताजी मुलायम सिंह यादव मथुरा पहुंचे थे और अपने पुराने कार्यकर्ता व पदाधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा करते थे. वर्तमान समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष तनवीर अहमद ने बताया कि मुलायम सिंह यादव सबसे पहले 1989 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. सीएम बनने के बाद वे कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के साथ मिलने के लिए आए थे. शहर के.के. आर. इंटर कॉलेज के मैदान में विशाल जनसभा की गई थी. उन्होंने कहा था कि मैं आपका अध्यापक हूं. आप सब मेरे छात्र हैं. संगठन मजबूत करने में सबसे अहम जिम्मेदारी कार्यकर्ता की होती है. पदाधिकारी एक बार झूठ बोल सकता है, लेकिन मेरे कार्यकर्ता कभी झूठ नहीं बोलते. उन्होंने कार्यकर्ताओं को 'हमेशा अन्याय के साथ लड़ो' का नारा दिया था.

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मथुरा में मुलायम सिंह यादव

इटावा दिल है तो आजमगढ़ धड़कन- मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव कहा करते थे कि इटावा दिल है तो आजमगढ़ धड़कन. आजमगढ़ जिले में विकास की इबादत लिखने का जो काम मुलायम सिंह यादव ने किया है, वह सब जनता की जुबां पर रटा हुआ है. 2015 में मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2008 से बंद पड़ी किसान सहकारी चीनी मिल सठियांव का आधारशिला रखी थी. मिल से ही 15 मेगावाट का विद्युत उत्पादन भी शुरू कराया था. वहीं, सांसद रहते हुए उन्होंने एक साथ 553 करोड़ 99 लाख 16 हजार रुपये की 38 परियोजनाओं का लोकार्पण और 665 करोड़ 83 लाख 16 हजार रुपये की 35 परियोजनाओं का शिलान्यास किया. विकास की अन्य घोषणों के साथ उन्होंने आजमगढ़ को मंडल मुख्यालय बनाने की घोषणा की थी. 15 नवंबर 1994 को उन्होंने कमिश्नरी के गठन की घोषणा के साथ उसे तुरंत क्रियाशील भी करा दिया था, ताकि विधिक शुरुआत हो जाए.

मुलायम सिंह यादव को पसंद था ये ढाबा

कानपुर देहात के इटावा रोड पर मौजूद पहलवान ढाबा हमेशा चर्चाओं में रहता है. यहां पर मुलायम सिंह यादव अक्सर खाना खाने आते थे. ये ढाबा उनके दोस्त मोहम्मद हनीफ का है, जोकि पहलवान ढाबे के नाम से मशहूर है. वे मुलायम के साथ पहलवानी किया करते थे. मुलायम सिंह यादव का सन 1983 से ही इस ढाबे से गहरा नाता रहा है. वहीं निधन की खबर मिलते इटावा के लिए हनीफ का पूरा परिवार निकल गया है.

मुलायम सिंह यादव को पसंद था ढाबा

अमरोहा के कई सपा नेताओं को सियासी जगत में लाए

मुलायम सिंह यादव का अमरोहा जनपद से भी खास नाता था. सियासी सफर की शुरुआत से ही मुलायम सिंह अमरोहा से गहरे तार जुड़े हैं. अमरोहा के कई सपा नेताओं को सियासी जगत में लाने वाले मुलायम ही थे. उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री कमाल अख्तर को छात्र राजनीति से निकालकर सियासी जगत में लाए और एक नई पहचान दी. वहीं, सपा नेता महबूब अली भी उनकी पार्टी से लगातार पांचवीं बार विधायक बन चुके हैं. महबूब अली 1991 से ही नेताजी के साथ रहे हैं.

नेताजी का बौरी और बिसौरी गांव से खास कनेक्शन

समाजवादी पार्टी के संरक्षक और समाजवादी विचारधारा के पोषक मुलायम सिंह यादव का चन्दौली से गहरा नाता रहा है. जिले के दो गांव से उनका बेहद लगाव था. वो गांव हैं बिसौरी और बौरी. 3 जनवरी सन 1997 में बिसौरी गांव पहुंचकर रक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने अवधेश नारायण सिंह के मूर्ति का अनावरण किया. बताया जाता है कि अवधेश नारायण सिंह मुलायम सिंह यादव के साथ 1977 के आंदोलन में उनके साथ जेल में बंद थे. वह हमेशा अपने संबंधों का निर्वहन ईमानदारी और निष्ठा और विशेष लगाव के साथ किया था. वहीं मुगलसराय के बौरी गांव से भी उनका विशेष लगाव रहा. क्योंकि 1989 में निर्दल विधानसभा जीतकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे गंजी प्रसाद यादव ने उनको समर्थन दिया था.

बुंदेलखंड विकास निधि की स्थापना की थी
मुलायम सिंह यादव की नजर हमेशा बुंदेलखंड के पिछड़ेपन को देखती रहती थी. अपनी पूरी राजनीति यात्रा में उन्होंने बुंदेलखंड पर विशेष ध्यान दिया. मुलायम सिंह यादव जब पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो सबसे पहले वे बुंदेलखंड के झांसी दौरे पर आए थे.

मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद चंद्रपाल सिंह यादव के घर पर शोक सभा का आयोजन किया गया. चंद्रपाल सिंह यादव ने ईटीवी से बात करते हुए कहा कि मुलायम सिंह यादव को मुझसे और बुंदेलखंड से कुछ ज्यादा ही लगाव था. उन्होंने एक बार अपना जन्मदिन झांसी आकर उनके आवास पर मनाया था. मुख्यमंत्री रहते हुए हमारे नेता मुलायम सिंह यादव ने बुंदेलखंड विकास निधि की स्थापना की थी. जिससे सैकड़ों करोड़ों रुपये की विभिन्न सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही योजनाओं का शुभारंभ किया.

पूर्व सांसद ने बताया कि आज जो पैसा मिल रहा है उससे बुंदेलखंड का विकास हो रहा है. बुंदेलखंड में बने कई पुल नेताजी की देन है. गांव से शहरों को जोड़ने वाली सड़कें भी नेताजी की देन है. अस्पताल या स्कूल बनाने में नेताजी मुलायम सिंह जी की अहम भूमिका रही. आज जो बुंदेलखंड का विकास हो रहा है, उसकी शुरुआत मुलायम सिंह यादव ने की थी. उन्होंने बुंदेलखंड की गरीब जनता को ध्यान में रखते हुए मेडिकल कॉलेजों में पर्चा जो 10 रुपए का बनता था, उसको पूरे उत्तर प्रदेश में 1 रुपया करने की घोषणा की थी, जिसका पूरे प्रदेश की गरीब जनता को फायदा हुआ था.

नेताजी के निधन पर फूट-फूटकर रोईं सपा विधायक
सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर मिलते ही प्रयागराज की महिला सपा विधायक विजमा यादव फूट-फूटकर रोने लगी. जिले की प्रतापपुर विधानसभा सीट की महिला विधायक विजमा यादव का कहना है कि मुलायम सिंह यादव उन्हें बेटी की तरह मानते थे और वो नेताजी को अपना अभिभावक मानती थी. 1996 में विजमा यादव के विधायक पति जवाहर यादव उर्फ पंडित की हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद मुलायम सिंह यादव न सिर्फ शोक संवेदना जताने उनके घर आए थे बल्कि उपचुनाव में उन्हें टिकट देकर विधायक भी बनवाया था. नेताजी की वजह से विजमा यादव चार बार विधायक बनी.

फूलन देवी मानती थी नेताजी को अपना

बांदा में मुलायम सिंह यादव के साथ लंबे समय से काम करने वाले पूर्व मंत्री, पूर्व राज्यसभा सांसद और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विशंभर प्रसाद निषाद ने नेताजी के साथ बिताए हुए पलों को ईटीवी भारत से साझा किया. इन्होंने बताया कि नेताजी जमीन से जुड़े हुए नेता थे. वह सबको साथ में लेकर चलने का काम करते थे. चाहे वह विपक्षी दल का नेता ही क्यों ना रहा हो. इन्होंने बताया कि एक बार मैंने नेता जी से आग्रह किया कि हमारे समाज की बेटी फूलन देवी जेल में बंद है और वह बहुत बीमार है उन्हें जेल से रिहा करवा दीजिए. जिसके बाद नेताजी ने फूलन देवी को जेल से रिहा करवाया. अपनी पार्टी से दो बार उन्हें चुनाव भी लड़वाया और वह सांसद भी बनी. फूलन देवी कहती थी कि एक पिता ने तो मुझे जन्म दिया, तो दूसरे पिता (मुलायम सिंह यादव) ने मुझे नर्क से निकालने का काम किया है.

नेताजी की कैबिनेट से पास निर्णय पर नियामक आयोग ने लगा दी थी रोक

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने ऊर्जा क्षेत्र में कई अहम निर्णय लिए थे. उनका एक निर्णय हमेशा प्रदेश के उपभोक्ताओं को याद रहेगा. मामला वर्ष 2006 का है जब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने अपनी कैबिनेट में लेसा लखनऊ के सरोजिनी नगर, काकोरी, माल और मलिहाबाद क्षेत्र को इनपुट बेस्ड फ्रेंचाइजी को सौंप दिया था. पावर कारपोरेशन की तरफ से पांच सितंबर 2006 को एक कार्यक्रम करके पूरा क्षेत्र फ्रेंचाइजी को सौंपा जाना था. उस समय के तत्कालीन ऊर्जा मंत्री शिवपाल सिंह यादव उसके मुख्य अतिथि थे. मंच पर औपचारिकता पूरी हो गई थी तभी मुलायम को पता चला कि अभी-अभी आयोग ने पूरे मामले पर रोक लगा दी है. ये याचिका आयोग में उपभोक्ता परिषद की तरफ से दर्ज की गई थी. इस पर मुलायम सिंह यादव ने उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा को तलब भी कर लिया था.

अपने जन्मदिन पर नाराज हुए थे नेताजी

सपा संस्थापक का जन्मदिन आया, तारीख थी 22 नवंबर 2012 प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का 22 नवंबर 2012 को जन्मदिन प्रदेश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा था, और मुलायम सिंह बेहद खुश नजर आ रहे थे. इसी दौरान पूर्व मुख्यमंत्री को जानकारी हुई कि अलीगढ़ के गांधी पार्क थाना इलाके के माली नगला इलाके में राजेश सैनी नाम के पार्टी कार्यकर्ता ने उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. और ओमप्रकाश पुत्र मोहर सिंह की जमीन पर भूमि पूजन भी हो रहा था, जहां यह मंदिर बनाया जा रहा हैं और उस मंदिर में मुलायम सिंह यादव की मूर्ति लगाई जाएगी. इस जानकारी होने पर मुलायम सिंह यादव का पारा चढ़ गया और बेहद नाराजगी जताई.

इस घटना को लेकर अखिलेश यादव का फोन पार्टी कार्यकर्ता राजेश सैनी पर आ गया और कहा कि तत्काल मंदिर निर्माण का कार्य रुकवा दिया जाए. अखिलेश यादव ने राजेश सैनी से कहा था कि समाजवादी पार्टी में किसी जीवित की मूर्ति नहीं लगा सकते, इस दौरान यह मामला प्रदेश भर में टीवी चैनलों से लेकर अखबारों की सुर्खियां बन गया था. इस घटना के बाद मैनपुरी पहुंचे अखिलेश यादव ने मीडिया के सामने एक शादी समारोह में बयान भी दिया था, इस मंदिर का निर्माण सैनी समाज द्वारा कराया जा रहा था. मंदिर में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की 5 फीट लंबी मूर्ति लगाई जा रही थी. उस वक्त पूर्व मुख्यमंत्री की मूर्ति 42 हजार रुपये में राजस्थान के दौसा में तैयार हो रही थी और 16 हजार रुपये बतौर एडवांस भी पहुंच गया था.

यह भी पढ़ें: क्या था मुलायम सिंह का पॉलिटकल फॉर्मूला, नेता जी के करीबी रहे शतरुद्र प्रकाश से जानिए

लखनऊ (यूपी डेस्क): समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में अपनी आखिरी सांसे ली. उन्होंने अपने जीवन में प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला. वैसे तो मुलायम सिंह यादव ना केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के नेता थे. फिरोजाबाद को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया था. उन्होंने यहां शिकोहाबाद विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. फिरोजाबाद के अलावा ऐसे कई यूपी के कई जिले हैं, जहां से मुलायम सिंह यादव का गहरा नाता (Mulayam Singh Yadav Connection) रहा है. आइए जानते है इन शहरों के बारे में....

सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव जमीन से जुड़े हुए नेता थे इसीलिए उन्हें धरती पुत्र भी कहा जाता है. वे 3 बार यूपी के मुख्यमंत्री बने. वहीं सन् 1996 से 1998 तक देश के रक्षा मंत्री बने रहे. अगर बात करें फिरोजाबाद की, तो यहां से मुलायम सिंह यादव का काफी लगाव रहा. शिकोहाबाद के गांव इटौली से नेता जी का पुराना नाता था. नेता जी के बाबा मेवाराम इसी गांव के रहने वाले थे, जो बाद में सैफई जाकर रहने लगे. मुलायम सिंह यादव के पारवारिक भतीजे उदयराज आज भी इसी गांव में रहते है. यहां के आदर्श कृष्ण महाविद्यालय से नेता जी ने बीटी की पढ़ाई की थी.

शिकोहाबाद से था गहरा लगाव
नेताजी ने शिकोहाबाद को अपनी कर्मभूमि भी बनाया. साल 1993 में 12वीं विधानसभा के चुनावों में वह शिकोहाबाद से जीतकर मुख्यमंत्री भी बने थे. इस जनपद में कई स्थानों पर उनकी नजदीकी रिश्तेदारियां भी है. मुलायम सिंह यादव के विशेष जुड़ाव के कारण ही साल 2009 में अखिलेश यादव ने भी यहीं से लोकसभा का चुनाव लड़े और जीत हासिल की. इसके अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को यहां से चुनाव लड़वाया, लेकिन वे हार गई. जिसके बाद डिंपल के लिए खुद मुलायम यादव चुनावी मैदान में उतरे और उनके लिए वोट मांगे. लेकिन, उन्हें एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा. साल 2014 में मुलायम सिंह यादव के भतीजे और प्रोफेसर राम गोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव भी यहीं से सांसद चुने गए थे. उसके बाद साल 2019 में अक्षय यादव और शिवपाल यादव दोनों ही चुनाव हार गए थे.

नेताजी की CM बनने की राह ऐसी हुई थी आसान

अलीगढ़ में पूर्व सांसद और तीन बार के विधायक रहे चौधरी विजेंद्र सिंह के जीतने पर मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान हुई थी. दरअसल सन् 1989 के विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार विजेंद्र सिंह ने उस समय के ताकतवर नेता चौधरी राजेंद्र सिंह को इगलास विधानसभा सीट पर मात्र 64 वोट से हराया था. राजेंद्र सिंह चौधरी चरण सिंह के राइट हैंड माने जाते थे और 1989 में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन चौधरी राजेंद्र सिंह की हार के बाद मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान हो गई . 5 दिसंबर 1989 को पहली बार मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने थे. इससे पहले सन् 1977 में जनता पार्टी की सरकार में मुलायम सिंह यादव सहकारिता व पशुपालन मंत्री थे. जबकि राजेंद्र सिंह कृषि और सिंचाई मंत्री बने थे.

नेताजी के बारे में बताते पूर्व सांसद चौधरी विजेंद्र सिंह

बदायूं में नेताजी का रिकॉर्ड आज भी कायम
मुलायम सिंह यादव का बदायूं से पुराना रिश्ता रहा है. 1996 में जब वह नेता प्रतिपक्ष बनें, तब वह बदायूं की सहसवान सीट से चुनाव जीते. उसके बाद 2003 में जब वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने तब जनपद की गुन्नौर विधानसभा सीट ( जो अब जनपद संभल में पड़ता है) से 2004 के उपचुनाव में विधायक चुने गए. इस चुनाव में उन्होंने पूरे देश की विधानसभाओं में सबसे अधिक मतों से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड भी बनाया, जो आज तक उनके नाम दर्ज है.

इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में वह दोबारा गुन्नौर से विधायक चुने गए. इस प्रकार देखा जाए तो बदायूं से उनका गहरा रिश्ता रहा. उस रिश्ते को आगे बढ़ाते हुए 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव को बदायूं से लोकसभा का टिकट दिया. यहां से चुनाव जीतने में वे कामयाब रहे और बदायूं से सपा सांसद के रूप में दिल्ली पहुंचे. 2014 के लोकसभा चुनाव में धर्मेंद्र यादव दोबारा बदायूं से सांसद चुने गए. यह नेताजी के बदायूं प्रेम का ही एक उदाहरण था, जिसमें बदायूं को समाजवादियों का गढ़ के रूप में स्थापित किया.

नेताजी ने कहा था, मेरे कार्यकर्ता कभी झूठ नहीं बोल सकते...

वहीं मथुरा से भी नेताजी का गहरा नाता रहा है. 1989 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद नेताजी मुलायम सिंह यादव मथुरा पहुंचे थे और अपने पुराने कार्यकर्ता व पदाधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा करते थे. वर्तमान समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष तनवीर अहमद ने बताया कि मुलायम सिंह यादव सबसे पहले 1989 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. सीएम बनने के बाद वे कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के साथ मिलने के लिए आए थे. शहर के.के. आर. इंटर कॉलेज के मैदान में विशाल जनसभा की गई थी. उन्होंने कहा था कि मैं आपका अध्यापक हूं. आप सब मेरे छात्र हैं. संगठन मजबूत करने में सबसे अहम जिम्मेदारी कार्यकर्ता की होती है. पदाधिकारी एक बार झूठ बोल सकता है, लेकिन मेरे कार्यकर्ता कभी झूठ नहीं बोलते. उन्होंने कार्यकर्ताओं को 'हमेशा अन्याय के साथ लड़ो' का नारा दिया था.

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मथुरा में मुलायम सिंह यादव

इटावा दिल है तो आजमगढ़ धड़कन- मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव कहा करते थे कि इटावा दिल है तो आजमगढ़ धड़कन. आजमगढ़ जिले में विकास की इबादत लिखने का जो काम मुलायम सिंह यादव ने किया है, वह सब जनता की जुबां पर रटा हुआ है. 2015 में मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2008 से बंद पड़ी किसान सहकारी चीनी मिल सठियांव का आधारशिला रखी थी. मिल से ही 15 मेगावाट का विद्युत उत्पादन भी शुरू कराया था. वहीं, सांसद रहते हुए उन्होंने एक साथ 553 करोड़ 99 लाख 16 हजार रुपये की 38 परियोजनाओं का लोकार्पण और 665 करोड़ 83 लाख 16 हजार रुपये की 35 परियोजनाओं का शिलान्यास किया. विकास की अन्य घोषणों के साथ उन्होंने आजमगढ़ को मंडल मुख्यालय बनाने की घोषणा की थी. 15 नवंबर 1994 को उन्होंने कमिश्नरी के गठन की घोषणा के साथ उसे तुरंत क्रियाशील भी करा दिया था, ताकि विधिक शुरुआत हो जाए.

मुलायम सिंह यादव को पसंद था ये ढाबा

कानपुर देहात के इटावा रोड पर मौजूद पहलवान ढाबा हमेशा चर्चाओं में रहता है. यहां पर मुलायम सिंह यादव अक्सर खाना खाने आते थे. ये ढाबा उनके दोस्त मोहम्मद हनीफ का है, जोकि पहलवान ढाबे के नाम से मशहूर है. वे मुलायम के साथ पहलवानी किया करते थे. मुलायम सिंह यादव का सन 1983 से ही इस ढाबे से गहरा नाता रहा है. वहीं निधन की खबर मिलते इटावा के लिए हनीफ का पूरा परिवार निकल गया है.

मुलायम सिंह यादव को पसंद था ढाबा

अमरोहा के कई सपा नेताओं को सियासी जगत में लाए

मुलायम सिंह यादव का अमरोहा जनपद से भी खास नाता था. सियासी सफर की शुरुआत से ही मुलायम सिंह अमरोहा से गहरे तार जुड़े हैं. अमरोहा के कई सपा नेताओं को सियासी जगत में लाने वाले मुलायम ही थे. उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री कमाल अख्तर को छात्र राजनीति से निकालकर सियासी जगत में लाए और एक नई पहचान दी. वहीं, सपा नेता महबूब अली भी उनकी पार्टी से लगातार पांचवीं बार विधायक बन चुके हैं. महबूब अली 1991 से ही नेताजी के साथ रहे हैं.

नेताजी का बौरी और बिसौरी गांव से खास कनेक्शन

समाजवादी पार्टी के संरक्षक और समाजवादी विचारधारा के पोषक मुलायम सिंह यादव का चन्दौली से गहरा नाता रहा है. जिले के दो गांव से उनका बेहद लगाव था. वो गांव हैं बिसौरी और बौरी. 3 जनवरी सन 1997 में बिसौरी गांव पहुंचकर रक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने अवधेश नारायण सिंह के मूर्ति का अनावरण किया. बताया जाता है कि अवधेश नारायण सिंह मुलायम सिंह यादव के साथ 1977 के आंदोलन में उनके साथ जेल में बंद थे. वह हमेशा अपने संबंधों का निर्वहन ईमानदारी और निष्ठा और विशेष लगाव के साथ किया था. वहीं मुगलसराय के बौरी गांव से भी उनका विशेष लगाव रहा. क्योंकि 1989 में निर्दल विधानसभा जीतकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे गंजी प्रसाद यादव ने उनको समर्थन दिया था.

बुंदेलखंड विकास निधि की स्थापना की थी
मुलायम सिंह यादव की नजर हमेशा बुंदेलखंड के पिछड़ेपन को देखती रहती थी. अपनी पूरी राजनीति यात्रा में उन्होंने बुंदेलखंड पर विशेष ध्यान दिया. मुलायम सिंह यादव जब पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो सबसे पहले वे बुंदेलखंड के झांसी दौरे पर आए थे.

मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद चंद्रपाल सिंह यादव के घर पर शोक सभा का आयोजन किया गया. चंद्रपाल सिंह यादव ने ईटीवी से बात करते हुए कहा कि मुलायम सिंह यादव को मुझसे और बुंदेलखंड से कुछ ज्यादा ही लगाव था. उन्होंने एक बार अपना जन्मदिन झांसी आकर उनके आवास पर मनाया था. मुख्यमंत्री रहते हुए हमारे नेता मुलायम सिंह यादव ने बुंदेलखंड विकास निधि की स्थापना की थी. जिससे सैकड़ों करोड़ों रुपये की विभिन्न सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही योजनाओं का शुभारंभ किया.

पूर्व सांसद ने बताया कि आज जो पैसा मिल रहा है उससे बुंदेलखंड का विकास हो रहा है. बुंदेलखंड में बने कई पुल नेताजी की देन है. गांव से शहरों को जोड़ने वाली सड़कें भी नेताजी की देन है. अस्पताल या स्कूल बनाने में नेताजी मुलायम सिंह जी की अहम भूमिका रही. आज जो बुंदेलखंड का विकास हो रहा है, उसकी शुरुआत मुलायम सिंह यादव ने की थी. उन्होंने बुंदेलखंड की गरीब जनता को ध्यान में रखते हुए मेडिकल कॉलेजों में पर्चा जो 10 रुपए का बनता था, उसको पूरे उत्तर प्रदेश में 1 रुपया करने की घोषणा की थी, जिसका पूरे प्रदेश की गरीब जनता को फायदा हुआ था.

नेताजी के निधन पर फूट-फूटकर रोईं सपा विधायक
सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर मिलते ही प्रयागराज की महिला सपा विधायक विजमा यादव फूट-फूटकर रोने लगी. जिले की प्रतापपुर विधानसभा सीट की महिला विधायक विजमा यादव का कहना है कि मुलायम सिंह यादव उन्हें बेटी की तरह मानते थे और वो नेताजी को अपना अभिभावक मानती थी. 1996 में विजमा यादव के विधायक पति जवाहर यादव उर्फ पंडित की हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद मुलायम सिंह यादव न सिर्फ शोक संवेदना जताने उनके घर आए थे बल्कि उपचुनाव में उन्हें टिकट देकर विधायक भी बनवाया था. नेताजी की वजह से विजमा यादव चार बार विधायक बनी.

फूलन देवी मानती थी नेताजी को अपना

बांदा में मुलायम सिंह यादव के साथ लंबे समय से काम करने वाले पूर्व मंत्री, पूर्व राज्यसभा सांसद और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विशंभर प्रसाद निषाद ने नेताजी के साथ बिताए हुए पलों को ईटीवी भारत से साझा किया. इन्होंने बताया कि नेताजी जमीन से जुड़े हुए नेता थे. वह सबको साथ में लेकर चलने का काम करते थे. चाहे वह विपक्षी दल का नेता ही क्यों ना रहा हो. इन्होंने बताया कि एक बार मैंने नेता जी से आग्रह किया कि हमारे समाज की बेटी फूलन देवी जेल में बंद है और वह बहुत बीमार है उन्हें जेल से रिहा करवा दीजिए. जिसके बाद नेताजी ने फूलन देवी को जेल से रिहा करवाया. अपनी पार्टी से दो बार उन्हें चुनाव भी लड़वाया और वह सांसद भी बनी. फूलन देवी कहती थी कि एक पिता ने तो मुझे जन्म दिया, तो दूसरे पिता (मुलायम सिंह यादव) ने मुझे नर्क से निकालने का काम किया है.

नेताजी की कैबिनेट से पास निर्णय पर नियामक आयोग ने लगा दी थी रोक

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने ऊर्जा क्षेत्र में कई अहम निर्णय लिए थे. उनका एक निर्णय हमेशा प्रदेश के उपभोक्ताओं को याद रहेगा. मामला वर्ष 2006 का है जब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने अपनी कैबिनेट में लेसा लखनऊ के सरोजिनी नगर, काकोरी, माल और मलिहाबाद क्षेत्र को इनपुट बेस्ड फ्रेंचाइजी को सौंप दिया था. पावर कारपोरेशन की तरफ से पांच सितंबर 2006 को एक कार्यक्रम करके पूरा क्षेत्र फ्रेंचाइजी को सौंपा जाना था. उस समय के तत्कालीन ऊर्जा मंत्री शिवपाल सिंह यादव उसके मुख्य अतिथि थे. मंच पर औपचारिकता पूरी हो गई थी तभी मुलायम को पता चला कि अभी-अभी आयोग ने पूरे मामले पर रोक लगा दी है. ये याचिका आयोग में उपभोक्ता परिषद की तरफ से दर्ज की गई थी. इस पर मुलायम सिंह यादव ने उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा को तलब भी कर लिया था.

अपने जन्मदिन पर नाराज हुए थे नेताजी

सपा संस्थापक का जन्मदिन आया, तारीख थी 22 नवंबर 2012 प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का 22 नवंबर 2012 को जन्मदिन प्रदेश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा था, और मुलायम सिंह बेहद खुश नजर आ रहे थे. इसी दौरान पूर्व मुख्यमंत्री को जानकारी हुई कि अलीगढ़ के गांधी पार्क थाना इलाके के माली नगला इलाके में राजेश सैनी नाम के पार्टी कार्यकर्ता ने उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. और ओमप्रकाश पुत्र मोहर सिंह की जमीन पर भूमि पूजन भी हो रहा था, जहां यह मंदिर बनाया जा रहा हैं और उस मंदिर में मुलायम सिंह यादव की मूर्ति लगाई जाएगी. इस जानकारी होने पर मुलायम सिंह यादव का पारा चढ़ गया और बेहद नाराजगी जताई.

इस घटना को लेकर अखिलेश यादव का फोन पार्टी कार्यकर्ता राजेश सैनी पर आ गया और कहा कि तत्काल मंदिर निर्माण का कार्य रुकवा दिया जाए. अखिलेश यादव ने राजेश सैनी से कहा था कि समाजवादी पार्टी में किसी जीवित की मूर्ति नहीं लगा सकते, इस दौरान यह मामला प्रदेश भर में टीवी चैनलों से लेकर अखबारों की सुर्खियां बन गया था. इस घटना के बाद मैनपुरी पहुंचे अखिलेश यादव ने मीडिया के सामने एक शादी समारोह में बयान भी दिया था, इस मंदिर का निर्माण सैनी समाज द्वारा कराया जा रहा था. मंदिर में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की 5 फीट लंबी मूर्ति लगाई जा रही थी. उस वक्त पूर्व मुख्यमंत्री की मूर्ति 42 हजार रुपये में राजस्थान के दौसा में तैयार हो रही थी और 16 हजार रुपये बतौर एडवांस भी पहुंच गया था.

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Last Updated : Oct 10, 2022, 11:00 PM IST
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