लखनऊ: एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने राजधानी की एक निष्क्रांत जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर मकान का निर्माण कराने के मामले में निरुद्ध अभियुक्त अब्बास अंसारी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के अपराध को अत्यंत गम्भीर करार दिया है. अभियुक्त अब्बास अंसारी मऊ से विधायक है व विगत 22 दिसम्बर 2022 से अभियुक्त इस मामले में न्यायिक हिरासत में निरुद्ध है.
अभियुक्त की ओर से अपने बचाव में कहा गया कि जिस शत्रु सम्पत्ति को धोखाधड़ी से अपने नाम कराने का आरोप उस पर है. वह उसके जन्म से भी पहले उसके पूर्वजों के नाम हस्तांतरित हो चुकी थी. वहीं, सरकारी वकील ने जमानत का विरोध किया. अभियोजन पक्ष का कहना था कि मामले की रिपोर्ट लेखपाल सुरजन लाल ने 27 अगस्त 2020 को थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी.
जिसमें आरोप लगाया गया था कि मुख्तार अंसारी व उसके बेटों अब्बास अंसारी और उमर अंसारी ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर सरकारी निष्क्रांत भूमि पर अपराधिक साजिश के तहत एलडीए से नक्शा पास करा के कब्जा कर लिया तथा उक्त भूमि पर अवैध निर्माण भी कर लिया गया है. आरोप लगाया गया कि जियामऊ स्थित जमींन मोहम्मद वसीम के नाम से दर्ज थी जो बाद में पाकिस्तान चला गया. लिहाजा जमीन निष्क्रांत सम्पत्ति के रूप में निहित हो गई थी.
आरोप है कि बाद में उक्त जमीन बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के लक्ष्मी नारायण के नाम दर्ज हो गई और उसके बाद कृष्ण कुमार के नाम दर्ज हो गई. आरोप है कि अभियुक्त उमर अंसारी, अब्बास अंसारी और मुख़्तार अंसारी ने उक्त ज़मीन को हड़पने के लिए एक पूर्व नियोजित अपराधिक योजना के तहत इस काम को अंजाम दिया. अभियोजन द्वारा आरोप लगाया गया है कि मामले में माफिया मुख्तार अंसारी ने अनुचित दबाव डालकर अपने व अपने बेटों के नाम से शत्रु सम्पत्ति को दर्ज करा लिया है.