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क्रिकेट खेलते-खेलते कैसे मुख्तार अंसारी ने थामी बंदूक, पूर्वांचल की धरती को कर दिया था रक्तरंजित

बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को अब तक छह मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है. तीन अगस्त 1991 को अवधेश राय की वाराणसी स्थित उनके भाई कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक अजय राय के घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मुख्तार अंसारी ने जब वारदात को अंजाम दिया था, उस दौरान वह विधायक नहीं था. आइए जानते है मुख्तार अंसारी से जुड़े वो तथ्य जिनसे अभी तक आप अनजान हैं.

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Published : Jun 5, 2023, 4:28 PM IST

लखनऊ: मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में बेहद सम्मानित परिवार में हुआ था. मुख्तार अंसारी के दादा कांग्रेस अध्यक्ष, नाना परमवीर चक्र विजेता, चाचा उपराष्ट्रपति लेकिन मुख्तार अपराधी निकल गया. बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर 61 मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें हत्या लूट अपहरण और जमीनों पर कब्जा करने के मामले हैं. लेकिन, कम ही लोगों को पता है की जुर्म की दुनिया का यह माफिया एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखता है जिसका कभी गौरवशाली इतिहास रहा है.

चुनाव के दौरान रोड शो पर निकले मुख्तार अंसारी
चुनाव के दौरान रोड शो पर निकले मुख्तार अंसारी

मुख्तार के दादा थे स्वत्रंता सेनानी, नाना सेना में ब्रिगेडियरः मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी फ्रीडम फाइटर थे. वर्ष 1927 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष बने. यही नहीं दिल्ली की एक सड़क का नाम भी उनके नाम पर है. मुख्तार के नाना भी एक नामचीन हस्ती थे. महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान ने वर्ष 1948 में भारतीय सेना की तरफ से नवशेरा की लड़ाई लड़ी थी. लड़ाई में ब्रिगेडियर उस्मान शहीद होने वाले सेना के सर्वोच्च अधिकारी थे. मरणोपरांत ब्रिगेडियर उस्मान को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.

सोची-समझी रणनीति के तहत अपराध की दुनिया में रखा कदमः इतना ही नहीं पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं. लेकिन, एक ऐसा व्यक्ति जिसको राजनीति विरासत में मिली, जिसके दादा व नाना देश के सम्मानित लोग रहे हैं, वह इस देश में सबसे बड़ा अपराधी बन गया. कहते हैं कि मुख्तार अपने कॉलेज के दिनों में क्रिकेट खेलता था. लेकिन, देखते देखते वह बंदूक से खेलने लगा. लोग मजबूरी में जुर्म का रास्ता चुनते हैं, लेकिन मुख्तार ने सोची-समझी रणनीति के तहत अपराध की दुनिया में कदम रखा.

Mukhtar Ansari और उसका पूरा परिवार
Mukhtar Ansari और उसका पूरा परिवार

आफशा से मुख्तार ने की थी शादीः जिस आफशा अंसारी पर यूपी पुलिस ने 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है, जिसको लेकर लुकआउट नोटिस जारी किया गया, उससे मुख्तार की शादी कैसे हुई ये भी जानना जरूरी है. दरअसल, मुख्तार अंसारी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई युसुफपुर गांव में की. उसके बाद गाजीपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया. स्कूल और कॉलेज के दौरान मुख्तार अक्सर क्रिकेट और फुटबाल खेलता था. वर्ष 1989 में आफशा अंसारी से मुख्तार की शादी हुई, जिनसे दो बेटे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी हुए. अब्बास मौजूदा समय विधायक है और कासगंज जेल में बंद है. जबकि, उमर फिलहाल दिल्ली में है.

मुख्तार पर दर्ज हत्या के मामले
मुख्तार पर दर्ज हत्या के मामले

बृजेश से शुरू हुई मुख्तार की अदावतः 90 के दशक में पूरे पूर्वांचल में मुख्तार के नाम की तूती बोलती थी. एक तरह से मुख्तार का आतंक अपने चरम पर था. लेकिन, तभी पूर्वांचल की जमीन पर बृजेश सिंह का नाम सुनाई देने लगा. जैसे एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती ठीक वैसे ही पूर्वांचल में दो डॉन भी नहीं हो सकते थे. ऐसे में शुरू हुआ पूर्वांचल की जमीन पर गैंगवार. गाजीपुर और मऊ के जिन सरकारी ठेकों पर मुख्तार अंसारी का एकाधिकार था उनको बृजेश सिंह ने कब्जाना शुरू कर दिया. लेकिन, वर्चस्व की लड़ाई का अंजाम क्या होगा, अब तक इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था.

कहानी मुख्तार अंसारी के पक्ष में तब झुक गई जब वह वर्ष 1996 में बसपा के टिकट पर मऊ से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गया. मुख्तार माफिया था लेकिन राजनीति में आने के बाद वह बाहुबली बन गया. इसके बाद मुख्तार ने अपने विरोधियों को रास्ते से हटाने का फैसला शुरू कर दिया. इसी बीच वर्ष 2001 में उसर चट्टी कांड हुआ, जिसमें बृजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग करवाई. बाद में इस मामले बृजेश सिंह को 12 साल तक जेल में रहना पड़ा. इस मामले में बीते साल बृजेश को जेल से सशर्त जमानत देकर रिहा किया गया है.

माफिया से बाहुबली और फिर माननीय बना मुख्तारः मुख्तार अंसारी पूर्वांचल की धरती को कुरुक्षेत्र बना चुका था. जमीन कब्जाना, शराब के ठेके, रेलवे ठेकेदारी, खनन जैसे कई अवैध कामों में उसका कब्जा बढ़ रहा था तो वहीं दूसरी तरफ वो आम जनता की मदद करके अपनी छवि सुधारने का भी काम कर रहा था. ऐसे में मुख्तार अंसारी ने राजनीति में आने का मन बना लिया. मुख्तार अंसारी हर बार मऊ सीट से ही चुनाव लड़ता रहा और लगातार पांच बार विधायक भी चुना गया. 2002 और 2007 में मुख्तार अंसारी ने मऊ से ही निर्दलयी चुनाव लड़ा और उसमें भी जीत हासिल की. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में उसने अपनी राजनीतिक विरासत बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी.

अवधेश राय की घर के बाहर ही करवा दी थी हत्याः तीन अगस्त 1991 को वाराणसी के लहुराबीर में अवधेश राय की उनके घर के बाहर गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. कार सवार हथियारबंद अपराधियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर अवधेश राय को उनके घर के बाहर ही मौत के घाट उतार दिया था. वारदात के वक्त छोटे भाई मौजूदा कांग्रेसी नेता अजय राय भी वहीं थे. अजय राय ने मुख्‍तार अंसारी समेत पूर्व विधायक अब्‍दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज कराई थी.

भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का लगा आरोपः वर्ष 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद की हत्या के आरोप जब मुख्तार अंसारी पर लगे तो ये मामला काफी ज्यादा सुर्खियों में रहा. दरअसल ये किस्सा शुरू होता है मुहम्मदाबाद सीट से, जो वर्ष 1985 से अंसारी परिवार के पास ही रही है और उस वक्त मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजल अंसारी यहां से चुनाव लड़ रहे थे. वर्ष 2002 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय ने अफजल अंसारी को यहां से चुनाव में हरा दिया. ये हार मुख्तार अंसारी को नागवार गुजरी और कृष्णानंद राय, मुख्तार अंसारी के निशाने पर आए गए.

29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद अपने काफिले के साथ गाजीपुर से एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन करके लौट रहे थे. तभी उनके काफिले पर एके 47 से हमला कर दिया गया. कृष्णानंद समेत पांच लोगों को गोलियों से छलनी कर मार दिया गया था. इस हत्याकांड का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा. कहा जाता है कि जेल में रहकर मुख्तार अंसारी ने अपने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी की मदद से कृष्णानंद की हत्या करवाई. यहां तक मुन्ना बजरंगी को मुख्तार ने निर्देश दिए थे कि कृष्णानंद राय की हत्या कर उसकी चोटी भी काट कर ले गए थे.

मुख्तार अंसारी ने खेली खून की होलीः मुख्तार अंसारी पर करीब 18 हत्या के केस दर्ज है. एमपी एमएलए कोर्ट में मुख्तार पर 10 केस चल रहे हैं. 10 मुकदमों में से अकेले 4 गैंगस्टर के हैं. गैंगस्टर के 3 मुकदमे गाजीपुर और एक मऊ का है. करीब 4 मामलों में मुख्तार को सजा हो चुकी है. मुख्तार का अंत क्या होगा यह तो भविष्य के गर्त में छुपा है, लेकिन एक राजनीतिक परिवार का यह लड़का बैड बॉय बन गया.

मुख्तार के काले साम्राज्य को किया खत्मः उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनते ही बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी के साम्राज्य को ढहा दिया गया. साल 2005 से देश की अलग-अलग जेलों में बंद मुख्तार अंसारी के खिलाफ 20 ऐसे केस हैं जो कोर्ट में विचाराधीन हैं. अब तक 5 मामलों में माफिया को सजा सुनाई जा चुकी है. माफिया के सहयोगियों व उसके गुर्गों पर हुई कार्रवाई की बात करें तो अब तक 282 गुर्गों पर यूपी पुलिस कार्रवाई कर चुकी है.

इसमें कुल 143 मुकदमें भी दर्ज किए गए हैं. 176 मुख्तार के गुर्गों और उसके गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है. योगी सरकार की कार्रवाई से दहशत में आकर 15 गुर्गों ने सरेंडर भी किया है. 167 असलहों के लाइसेंस रद किए गए हैं तो 66 के खिलाफ गुंडा एक्ट व 126 के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई है. यही नहीं योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान मुख्तार के 6 गुर्गों पर एनएसए लगाया गया. 70 की हिस्ट्रीशीट खोली गई है तो 40 को जिलाबदर किया गया है. मुख्तार के 5 गुर्गों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है. योगी सरकार ने मुख्तार और उसके कुनबे की लगभग 5 अरब 72 करोड़ की संपत्ति को या तो जब्त किया या फिर बुल्डोजर चलाया गया.

बेटा-बहु जेल में बंद, पत्नी पर इनाम घोषितः मुख्तार अंसारी के किए गए अपराधों की सजा उसका परिवार भी भुगत रहा है. बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में यह सोच कर अपने बड़े बेटे अब्बास को राजनीतिक विरासत सौंपी थी कि वह राजनीति के साथ-साथ उसके काले साम्राज्य को भी आगे बढ़ाएगा. लेकिन, विधायक बनने के बाद से ही उसके दुर्दिन शुरू हो गए. अब्बास अब कासगंज जेल में बंद है, उसकी पत्नी निखत बानो चित्रकूट जेल में है. इसके अलावा मुख्तार की पत्नी आफशा अंसारी पर पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित कर रखा है. उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है.

ये भी पढ़ेंः मुख्तार अंसारी पर उसकी उम्र से ज्यादा दर्ज हैं मुकदमे, माफियागिरी से शुरू हुआ था राजनीतिक सफर

लखनऊ: मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में बेहद सम्मानित परिवार में हुआ था. मुख्तार अंसारी के दादा कांग्रेस अध्यक्ष, नाना परमवीर चक्र विजेता, चाचा उपराष्ट्रपति लेकिन मुख्तार अपराधी निकल गया. बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर 61 मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें हत्या लूट अपहरण और जमीनों पर कब्जा करने के मामले हैं. लेकिन, कम ही लोगों को पता है की जुर्म की दुनिया का यह माफिया एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखता है जिसका कभी गौरवशाली इतिहास रहा है.

चुनाव के दौरान रोड शो पर निकले मुख्तार अंसारी
चुनाव के दौरान रोड शो पर निकले मुख्तार अंसारी

मुख्तार के दादा थे स्वत्रंता सेनानी, नाना सेना में ब्रिगेडियरः मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी फ्रीडम फाइटर थे. वर्ष 1927 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष बने. यही नहीं दिल्ली की एक सड़क का नाम भी उनके नाम पर है. मुख्तार के नाना भी एक नामचीन हस्ती थे. महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान ने वर्ष 1948 में भारतीय सेना की तरफ से नवशेरा की लड़ाई लड़ी थी. लड़ाई में ब्रिगेडियर उस्मान शहीद होने वाले सेना के सर्वोच्च अधिकारी थे. मरणोपरांत ब्रिगेडियर उस्मान को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.

सोची-समझी रणनीति के तहत अपराध की दुनिया में रखा कदमः इतना ही नहीं पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं. लेकिन, एक ऐसा व्यक्ति जिसको राजनीति विरासत में मिली, जिसके दादा व नाना देश के सम्मानित लोग रहे हैं, वह इस देश में सबसे बड़ा अपराधी बन गया. कहते हैं कि मुख्तार अपने कॉलेज के दिनों में क्रिकेट खेलता था. लेकिन, देखते देखते वह बंदूक से खेलने लगा. लोग मजबूरी में जुर्म का रास्ता चुनते हैं, लेकिन मुख्तार ने सोची-समझी रणनीति के तहत अपराध की दुनिया में कदम रखा.

Mukhtar Ansari और उसका पूरा परिवार
Mukhtar Ansari और उसका पूरा परिवार

आफशा से मुख्तार ने की थी शादीः जिस आफशा अंसारी पर यूपी पुलिस ने 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है, जिसको लेकर लुकआउट नोटिस जारी किया गया, उससे मुख्तार की शादी कैसे हुई ये भी जानना जरूरी है. दरअसल, मुख्तार अंसारी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई युसुफपुर गांव में की. उसके बाद गाजीपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया. स्कूल और कॉलेज के दौरान मुख्तार अक्सर क्रिकेट और फुटबाल खेलता था. वर्ष 1989 में आफशा अंसारी से मुख्तार की शादी हुई, जिनसे दो बेटे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी हुए. अब्बास मौजूदा समय विधायक है और कासगंज जेल में बंद है. जबकि, उमर फिलहाल दिल्ली में है.

मुख्तार पर दर्ज हत्या के मामले
मुख्तार पर दर्ज हत्या के मामले

बृजेश से शुरू हुई मुख्तार की अदावतः 90 के दशक में पूरे पूर्वांचल में मुख्तार के नाम की तूती बोलती थी. एक तरह से मुख्तार का आतंक अपने चरम पर था. लेकिन, तभी पूर्वांचल की जमीन पर बृजेश सिंह का नाम सुनाई देने लगा. जैसे एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती ठीक वैसे ही पूर्वांचल में दो डॉन भी नहीं हो सकते थे. ऐसे में शुरू हुआ पूर्वांचल की जमीन पर गैंगवार. गाजीपुर और मऊ के जिन सरकारी ठेकों पर मुख्तार अंसारी का एकाधिकार था उनको बृजेश सिंह ने कब्जाना शुरू कर दिया. लेकिन, वर्चस्व की लड़ाई का अंजाम क्या होगा, अब तक इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था.

कहानी मुख्तार अंसारी के पक्ष में तब झुक गई जब वह वर्ष 1996 में बसपा के टिकट पर मऊ से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गया. मुख्तार माफिया था लेकिन राजनीति में आने के बाद वह बाहुबली बन गया. इसके बाद मुख्तार ने अपने विरोधियों को रास्ते से हटाने का फैसला शुरू कर दिया. इसी बीच वर्ष 2001 में उसर चट्टी कांड हुआ, जिसमें बृजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग करवाई. बाद में इस मामले बृजेश सिंह को 12 साल तक जेल में रहना पड़ा. इस मामले में बीते साल बृजेश को जेल से सशर्त जमानत देकर रिहा किया गया है.

माफिया से बाहुबली और फिर माननीय बना मुख्तारः मुख्तार अंसारी पूर्वांचल की धरती को कुरुक्षेत्र बना चुका था. जमीन कब्जाना, शराब के ठेके, रेलवे ठेकेदारी, खनन जैसे कई अवैध कामों में उसका कब्जा बढ़ रहा था तो वहीं दूसरी तरफ वो आम जनता की मदद करके अपनी छवि सुधारने का भी काम कर रहा था. ऐसे में मुख्तार अंसारी ने राजनीति में आने का मन बना लिया. मुख्तार अंसारी हर बार मऊ सीट से ही चुनाव लड़ता रहा और लगातार पांच बार विधायक भी चुना गया. 2002 और 2007 में मुख्तार अंसारी ने मऊ से ही निर्दलयी चुनाव लड़ा और उसमें भी जीत हासिल की. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में उसने अपनी राजनीतिक विरासत बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी.

अवधेश राय की घर के बाहर ही करवा दी थी हत्याः तीन अगस्त 1991 को वाराणसी के लहुराबीर में अवधेश राय की उनके घर के बाहर गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. कार सवार हथियारबंद अपराधियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर अवधेश राय को उनके घर के बाहर ही मौत के घाट उतार दिया था. वारदात के वक्त छोटे भाई मौजूदा कांग्रेसी नेता अजय राय भी वहीं थे. अजय राय ने मुख्‍तार अंसारी समेत पूर्व विधायक अब्‍दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज कराई थी.

भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का लगा आरोपः वर्ष 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद की हत्या के आरोप जब मुख्तार अंसारी पर लगे तो ये मामला काफी ज्यादा सुर्खियों में रहा. दरअसल ये किस्सा शुरू होता है मुहम्मदाबाद सीट से, जो वर्ष 1985 से अंसारी परिवार के पास ही रही है और उस वक्त मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजल अंसारी यहां से चुनाव लड़ रहे थे. वर्ष 2002 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय ने अफजल अंसारी को यहां से चुनाव में हरा दिया. ये हार मुख्तार अंसारी को नागवार गुजरी और कृष्णानंद राय, मुख्तार अंसारी के निशाने पर आए गए.

29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद अपने काफिले के साथ गाजीपुर से एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन करके लौट रहे थे. तभी उनके काफिले पर एके 47 से हमला कर दिया गया. कृष्णानंद समेत पांच लोगों को गोलियों से छलनी कर मार दिया गया था. इस हत्याकांड का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा. कहा जाता है कि जेल में रहकर मुख्तार अंसारी ने अपने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी की मदद से कृष्णानंद की हत्या करवाई. यहां तक मुन्ना बजरंगी को मुख्तार ने निर्देश दिए थे कि कृष्णानंद राय की हत्या कर उसकी चोटी भी काट कर ले गए थे.

मुख्तार अंसारी ने खेली खून की होलीः मुख्तार अंसारी पर करीब 18 हत्या के केस दर्ज है. एमपी एमएलए कोर्ट में मुख्तार पर 10 केस चल रहे हैं. 10 मुकदमों में से अकेले 4 गैंगस्टर के हैं. गैंगस्टर के 3 मुकदमे गाजीपुर और एक मऊ का है. करीब 4 मामलों में मुख्तार को सजा हो चुकी है. मुख्तार का अंत क्या होगा यह तो भविष्य के गर्त में छुपा है, लेकिन एक राजनीतिक परिवार का यह लड़का बैड बॉय बन गया.

मुख्तार के काले साम्राज्य को किया खत्मः उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनते ही बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी के साम्राज्य को ढहा दिया गया. साल 2005 से देश की अलग-अलग जेलों में बंद मुख्तार अंसारी के खिलाफ 20 ऐसे केस हैं जो कोर्ट में विचाराधीन हैं. अब तक 5 मामलों में माफिया को सजा सुनाई जा चुकी है. माफिया के सहयोगियों व उसके गुर्गों पर हुई कार्रवाई की बात करें तो अब तक 282 गुर्गों पर यूपी पुलिस कार्रवाई कर चुकी है.

इसमें कुल 143 मुकदमें भी दर्ज किए गए हैं. 176 मुख्तार के गुर्गों और उसके गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है. योगी सरकार की कार्रवाई से दहशत में आकर 15 गुर्गों ने सरेंडर भी किया है. 167 असलहों के लाइसेंस रद किए गए हैं तो 66 के खिलाफ गुंडा एक्ट व 126 के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई है. यही नहीं योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान मुख्तार के 6 गुर्गों पर एनएसए लगाया गया. 70 की हिस्ट्रीशीट खोली गई है तो 40 को जिलाबदर किया गया है. मुख्तार के 5 गुर्गों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है. योगी सरकार ने मुख्तार और उसके कुनबे की लगभग 5 अरब 72 करोड़ की संपत्ति को या तो जब्त किया या फिर बुल्डोजर चलाया गया.

बेटा-बहु जेल में बंद, पत्नी पर इनाम घोषितः मुख्तार अंसारी के किए गए अपराधों की सजा उसका परिवार भी भुगत रहा है. बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में यह सोच कर अपने बड़े बेटे अब्बास को राजनीतिक विरासत सौंपी थी कि वह राजनीति के साथ-साथ उसके काले साम्राज्य को भी आगे बढ़ाएगा. लेकिन, विधायक बनने के बाद से ही उसके दुर्दिन शुरू हो गए. अब्बास अब कासगंज जेल में बंद है, उसकी पत्नी निखत बानो चित्रकूट जेल में है. इसके अलावा मुख्तार की पत्नी आफशा अंसारी पर पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित कर रखा है. उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है.

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