लखनऊ: नक्शा और लैंड-यूज के आधार पर अगर अवैध बिल्डिंगों के खिलाफ ऑपरेशन हो तो करीब आधा लखनऊ ध्वस्त हो जाएगा. इस वक्त लखनऊ में अधिकांश आवासीय क्षेत्र कॉमर्शियल बिल्डिंगों में तब्दील हो चुका है. न ही नक्शा पास होता है और न ही एलडीए से किसी तरह की एनओसी ली जाती है. इस तरह राजधानी की सूरत बिगड़ चुकी है. बिल्डर्स और अभियंताओं के गठजोड़ ने लखनऊ के नगर नियोजन का बुरा हाल कर दिया है. इसकी वजह लेवाना अग्निकांड (Hotel Levana Fire Case) जैसी घटनाएं होती हैं.
राजधानी में अवैध निर्माणों के खिलाफ जल्द ही सख्त कार्रवाई शुरू की जाएगी. लखनऊ में करीब 5,000 अवैध निर्माणों के खिलाफ प्रवर्तन कोर्ट में केस चल रहे हैं. अधिकांश पर ध्वस्तीकरण के आदेश भी जारी किए जा रहे हैं. लेवाना अग्निकांड (Hotel Levana Fire Case) के बाद शहर भर के अवैध निर्माणों और घोटालों की जांच हो रही है. जो नतीजे सामने आ रहे हैं, उसमें कम से कम 70 फीसदी निर्माण अवैध पाए जा रहे हैं, जिनमें नक्शा नहीं पास है. अगर नक्शा पास भी है तो लैंड-यूज उसके विपरीत निर्माण किया गया है.
इंदिरा नगर से लेकर चारबाग तक, गोमती नगर से निराला नगर तक, कानपुर रोड से शारदा नगर तक, चौक से अमीनाबाद तक, सीतापुर रोड से बख्शी का तालाब तक, चिनहट से फैजाबाद रोड के आखिर तक और कपूरथला से कुर्सी रोड तक कोई ऐसा इलाका नहीं है जो अछूता रह गया है. जहां आवासीय में कॉमर्शियल निर्माण न किया गया हो. सारे मुख्य मार्ग आवासीय से कॉमर्शियल में तब्दील हो चुके हैं. उसका नतीजा यह है कि आज लखनऊ का नगर नियोजन पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है, जिसमें ध्वस्तीकरण और सीलिंग कर पाना नामुमकिन हो चुका है.
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इस बारे में लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) के उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि कोई भी अवैध निर्माण लखनऊ में छोड़ा नहीं जाएगा. हर ओर सर्वे के साथ सील करने ध्वस्त करने की कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा अवैध निर्माणों को रोकने के लिए भी हरसंभव प्रयास किया जाएगा.
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