लखनऊ. चुनाव अभियान के दौरान एक भूमिका गढ़ी गई कि ब्राह्मण भारतीय जनता पार्टी के विरोध में है. वे अब इस बार भाजपा को वोट नहीं देंगे. मगर यह विचार केवल विचार के स्तर तक ही सीमित रहा. चुनाव परिणाम आने पर परिस्थितियों ठीक विपरीत नजर आ रही है. इस सदन में सबसे अधिक ब्राह्मण विधायक जा रहे हैं, जिनमें सबसे बड़ी संख्या भारतीय जनता पार्टी के पास है.
इस बार के विधानसभा चुनाव में कुल 51 ब्राह्मण विधायक जीते हैं. जिनमें से 46 भाजपा के हैं. दूसरे नंबर पर क्षत्रीय विधायकों की संख्या है और तीसरे नंबर पर मुस्लिम विधायक जीते हैं. मंत्रिमंडल गठन पर भी इन जातीय समीकरणों का सीधा असर पड़ने की उम्मीद जतायी जा रही है. यह दीगर बात है कि 33 मुस्लिम विधायक होने के बावजूद केवल एक ही के मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद है. वह भी एमएलसी होगा. सत्ताधारी गठबंधन से एक भी मुस्लिम ने जीत हासिल नहीं की है. इसलिए एमएलसी को ही मंत्री बनाना होगा.
विकास दुबे एनकाउंटर हो या खुशी दुबे का जेल जाना, ऐसे ही कई अन्य ब्राह्मण माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कार्यवाहक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ब्राह्मणों की खिलाफत का आरोप लगता रहा. विपक्ष इस मुद्दे पर बार-बार सरकार को घेर रहा था. मगर चुनाव के परिणाम आने के बाद हालात कुछ और ही नजर आ रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने जिन ब्राह्मण उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था उनमें से अधिकांश ने जीत हासिल की है. यह भी तथ्य सामने आया कि लगभग 70 फिसदी ब्राह्मण वोटरों ने भारतीय जनता पार्टी को ही चुना है.
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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी प्रियंक पांडेय ने बताया कि ब्राह्मण हमेशा से भाजपा के साथ ही रहा है. इस बार भी बढ़चढ़ कर ब्राह्मणों ने भाजपा को वोट दिया है जबकि सबसे ज्यादा विधायक भी ब्राह्मण ही बने हैं.
इस तरह से जीते अलग-अलग जातियों के विधायक
. कुल 51 ब्राह्मण विधायक जीते जिनमें से 46 भाजपा के और 5 समाजवादी पार्टी के
. कुल 47 राजपूत विधायकों ने जीत हासिल की जिनमें से 43 भाजपा के और चार समाजवादी पार्टी के
. 40 कुर्मी और सैथवार विधायक जीते हैं 27 भाजपा से और 13 सपा से
. 34 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है सभी समाजवादी पार्टी से
. जाटव 29 विधायक जीते हैं जिनमें से 19 भाजपा और 10 समाजवादी पार्टी से
. 26 पासी विधायक बने जिनमें से 18 भारतीय जनता पार्टी से 8 समाजवादी पार्टी
. 27 यादव विधायक बने हैं जिनमें से 24 समाजवादी पार्टी से हो तीन भारतीय जनता पार्टी से
. वॉच और खत्री विधायक 22 बने हैं जिनमें से एक समाजवादी पार्टी और 21 भाजपा से
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. अट्ठारह लोधी विधायक बने हैं जिनमें से 15 भाजपा से होती है समाजवादी पार्टी से
. 15 जाट विधायक बने हैं जिनमें से 8 भाजपा से और 7 सपा गठबंधन से हैं
. मौर्य कुशवाहा शाक्य और सैनी 14 विधायक बने हैं 12 भाजपा से हैं और दो समाजवादी पार्टी से
. अन्य अनुसूचित जाति और जनजाति से 12 विधायक बने हैं जिनमें से 11 भाजपा के एक समाजवादी पार्टी से
. अन्य पिछड़ा वर्ग से 10 विधायक बने हैं जिसमें से सात भाजपा से हो तीन समाजवादी पार्टी
. कोरी समाज के 8 विधायक बने हैं सभी भारतीय जनता पार्टी से
. निषाद कश्यप बिंद समाज से 8 विधायक बने हैं श्री भाजपा से हैं और दो समाजवादी पार्टी से
. कलवार तेली और सोनार जाति से सात विधायक बने हैं जिनमें से 6 भाजपा से हर एक सपा से.
. सात गुर्जर विधायक बने हैं. इनमें पांच भाजपा से और दो समाजवादी पार्टी से.
. पांच विधायक भूमिहार समाज से बने हैं. चार भाजपा से और एक समाजवादी पार्टी से.
. खटीक बिरादरी के 5 विधायक बने हैं. इनमें से चार भाजपा से और एक सपा से.
. राजभर समाज से चार विधायक बने हैं, तीन समाजवादी पार्टी गठबंधन से और एक भाजपा से.
. धोबी समाज से चार विधायक बने हैं सभी भाजपा से हैं.
. एक विधायक बाल्मीकि समाज से हैं वह भाजपा से है.
. एक विधायक सिख समाज से है, वह भाजपा से हैं.
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