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जिनके बल पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ कुंभ, उनसे ही होगी वसूली - रोडवेज चालकों से होगी वसूली

कुंभ में रोडवेज ने चालक-परिचालकों को खाने के लिए 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किए थे. लेकिन अब उनके वेतन से कटौती की तैयारी है. इससे चालक-परिचालकों के साथ ही परिवहन निगम की यूनियनों में भी नाराजगी है.

जानकारी देते उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष.
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Published : May 16, 2019, 11:50 AM IST

लखनऊ: प्रयागराज में महाकुंभ समाप्त होने के बाद रोडवेज का नाम पहली बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ. रोडवेज के उच्चाधिकारियों ने माना कि यह ड्राइवर कंडक्टरों की मेहनत का ही नतीजा था कि यूपी रोडवेज विश्व में शिखर पर पहुंच गया, लेकिन अब वही रोडवेज चालक-परिचालकों का कुंभ के दौरान खाने-पीने के लिए दिए गए पैसों को भी वसूलने की तैयारी में जुट गया है.

गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम

  • उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के इतिहास में यह साल स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया.
  • कुंभ में रोडवेज की 500 से ज्यादा बसों ने यात्रियों को सुविधा पहुंचाई.
  • कुंभ में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा लिया.
  • गिनीज बुक में नाम दर्ज होने में सबसे ज्यादा योगदान अगर किसी का रहा तो वह रोडवेज के चालकों और परिचालकों का रहा.
  • रोडवेज चालक-परिचालकों का हर तरह से परिवहन निगम दोहन करने में जुट गया है.

3 साल से नहीं मना रोडवेज का स्थापना:

  • प्रदेश में 2017 से नई सरकार आई, तब से हर साल 1 जून को मनाया जाने वाला रोडवेज का स्थापना दिवस भी 2 सालों से मना नहीं है.
  • स्थापना दिवस के समय रोडवेज कम-से-कम चालक परिचालकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करता था.
  • साथ ही अच्छे चालक-परिचालकों को प्रोत्साहन के तौर पर उपहार भी देता था, लेकिन वह भी चालक परिचालकों को पिछले दो साल से नहीं मिला.
    जानकारी देते उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष.

चालक-परिचालकों के वेतन से होगी कटौती:

  • कुंभ में भी उन्होंने जमकर मेहनत की और पसीना बहाया, लेकिन इसका भी नतीजा यह हो रहा है कि खाने के लिए जो एडवांस में रोडवेज ने चालक-परिचालकों को पैसे दिए थे.
  • उन्हें अब वेतन से कटौती की तैयारी है, जिस पर चालक-परिचालकों के साथ ही परिवहन निगम की यूनियनों में भी नाराजगी के स्वर मुखर होने लगे हैं.
  • रोडवेज ने नियमित चालक परिचालक को 150 रुपये प्रतिदिन और संविदा चालक-परिचालक को 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया था.
  • रोडवेज के अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से पल्ला झाड़ रहे हैं.

रोडवेज चालक-परिचालकों की मेहनत से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज हो गया, लेकिन अब चालकों-परिचालकों से खाने के नाम पर दिए गए 200 रुपये वसूलने की तैयारी हो रही है, जिससे सभी में खासी नाराजगी है. रोडवेज ने चालक-परिचालकों के लिए कुछ भी नहीं किया. पिछले 3 साल से स्थापना दिवस तक नहीं मनाया गया है. परिवहन निगम में उनके लिए कोई नीति ही नहीं है. उन्हें परिवहन मंत्री भी कोरा आश्वासन देते हैं. ड्राइवर कंडक्टर की मेहनत का क्रेडिट अधिकारी ले लेते हैं.
-कौशलेंद्र प्रताप सिंह, क्षेत्रीय अध्यक्ष, संविदा चालक परिचालक कर्मचारी संघ

रजनीश मिश्रा, शाखा अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने बताया कि मेरा मानना है कि स्थापना दिवस जरूर मनाया जाना चाहिए. इससे चालक परिचालक प्रोत्साहित होते हैं और अन्य चालक-परिचालकों में भी प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होती है. लेकिन पिछले कई साल से स्थापना दिवस ही नहीं मनाया जा रहा है. जो चालक-परिचालक दिन रात एक कर निगम का नाम कुंभ में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराते हैं. उन्हीं चालक-परिचालकों को झेलना पड़ रहा है. निगम को इस बारे में जरूर सोचना होगा.

लखनऊ: प्रयागराज में महाकुंभ समाप्त होने के बाद रोडवेज का नाम पहली बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ. रोडवेज के उच्चाधिकारियों ने माना कि यह ड्राइवर कंडक्टरों की मेहनत का ही नतीजा था कि यूपी रोडवेज विश्व में शिखर पर पहुंच गया, लेकिन अब वही रोडवेज चालक-परिचालकों का कुंभ के दौरान खाने-पीने के लिए दिए गए पैसों को भी वसूलने की तैयारी में जुट गया है.

गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम

  • उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के इतिहास में यह साल स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया.
  • कुंभ में रोडवेज की 500 से ज्यादा बसों ने यात्रियों को सुविधा पहुंचाई.
  • कुंभ में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा लिया.
  • गिनीज बुक में नाम दर्ज होने में सबसे ज्यादा योगदान अगर किसी का रहा तो वह रोडवेज के चालकों और परिचालकों का रहा.
  • रोडवेज चालक-परिचालकों का हर तरह से परिवहन निगम दोहन करने में जुट गया है.

3 साल से नहीं मना रोडवेज का स्थापना:

  • प्रदेश में 2017 से नई सरकार आई, तब से हर साल 1 जून को मनाया जाने वाला रोडवेज का स्थापना दिवस भी 2 सालों से मना नहीं है.
  • स्थापना दिवस के समय रोडवेज कम-से-कम चालक परिचालकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करता था.
  • साथ ही अच्छे चालक-परिचालकों को प्रोत्साहन के तौर पर उपहार भी देता था, लेकिन वह भी चालक परिचालकों को पिछले दो साल से नहीं मिला.
    जानकारी देते उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष.

चालक-परिचालकों के वेतन से होगी कटौती:

  • कुंभ में भी उन्होंने जमकर मेहनत की और पसीना बहाया, लेकिन इसका भी नतीजा यह हो रहा है कि खाने के लिए जो एडवांस में रोडवेज ने चालक-परिचालकों को पैसे दिए थे.
  • उन्हें अब वेतन से कटौती की तैयारी है, जिस पर चालक-परिचालकों के साथ ही परिवहन निगम की यूनियनों में भी नाराजगी के स्वर मुखर होने लगे हैं.
  • रोडवेज ने नियमित चालक परिचालक को 150 रुपये प्रतिदिन और संविदा चालक-परिचालक को 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया था.
  • रोडवेज के अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से पल्ला झाड़ रहे हैं.

रोडवेज चालक-परिचालकों की मेहनत से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज हो गया, लेकिन अब चालकों-परिचालकों से खाने के नाम पर दिए गए 200 रुपये वसूलने की तैयारी हो रही है, जिससे सभी में खासी नाराजगी है. रोडवेज ने चालक-परिचालकों के लिए कुछ भी नहीं किया. पिछले 3 साल से स्थापना दिवस तक नहीं मनाया गया है. परिवहन निगम में उनके लिए कोई नीति ही नहीं है. उन्हें परिवहन मंत्री भी कोरा आश्वासन देते हैं. ड्राइवर कंडक्टर की मेहनत का क्रेडिट अधिकारी ले लेते हैं.
-कौशलेंद्र प्रताप सिंह, क्षेत्रीय अध्यक्ष, संविदा चालक परिचालक कर्मचारी संघ

रजनीश मिश्रा, शाखा अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने बताया कि मेरा मानना है कि स्थापना दिवस जरूर मनाया जाना चाहिए. इससे चालक परिचालक प्रोत्साहित होते हैं और अन्य चालक-परिचालकों में भी प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होती है. लेकिन पिछले कई साल से स्थापना दिवस ही नहीं मनाया जा रहा है. जो चालक-परिचालक दिन रात एक कर निगम का नाम कुंभ में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराते हैं. उन्हीं चालक-परिचालकों को झेलना पड़ रहा है. निगम को इस बारे में जरूर सोचना होगा.

Intro:ड्राइवर-कंडक्टरों की मेहनत से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ कुंभ, अब अधिकारी कर रहे खाने का पैसा डकारने की तैयारी

लखनऊ। हाल ही में प्रयागराज में जब महाकुंभ समाप्त हुआ तो ड्राइवर और कंडक्टरों की मेहनत साफ तौर पर दिखी जब रोडवेज का नाम पहली बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। रोडवेज के उच्चाधिकारियों ने माना कि यह ड्राइवर कंडक्टरों की मेहनत का ही नतीजा था कि यूपी रोडवेज विश्व में शिखर पर पहुंच गया, लेकिन अब वही रोडवेज ड्राइवर कंडक्टरों का कुंभ के दौरान खाने पीने के लिए दिए गए पैसों को भी डकारने की तैयारी में जुट गया है। बताया जा रहा है कि खाने के लिए रोडवेज ने चालक परिचालकों को जो ₹200 प्रतिदिन के हिसाब से दिए थे अब उनके वेतन से कटौती की तैयारी है, जबकि यूनियन के नेताओं का कहना है कि इससे पहले भी अर्ध कुंभ और कुंभ आयोजित हुआ, रोडवेज की बसें भी चलीं, खाने के पैसे भी दिए गए, लेकिन वसूली नहीं की गई। इस बार जब रोडवेज गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया तो खाने के पैसे भी वसूलने की तैयारी हो रही है।


Body:उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के इतिहास में यह साल उस वक्त स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया जब महाकुंभ में रोडवेज की 500 से ज्यादा बसों ने यात्रियों को यातायात की सुविधा उपलब्ध कराकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा लिया। गिनीज बुक में नाम दर्ज होने में सबसे ज्यादा योगदान अगर किसी का रहा तो वह रोडवेज के चालकों और परिचालकों का, लेकिन रोडवेज के चालक-परिचालकों का हर तरह से परिवहन निगम दोहन करने में जुट गया है। प्रदेश में 2017 से नई सरकार आई तब से हर साल 1 जून को मनाया जाने वाला रोडवेज का स्थापना दिवस भी 2 सालों से मना ही नहीं। स्थापना दिवस के समय रोडवेज कम-से-कम चालक परिचालकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करता था साथ ही अच्छे चालक- परिचालकों को प्रोत्साहन के तौर पर उपहार भी देता था, लेकिन वह भी चालक परिचालकों को पिछले दो साल से नहीं मिला और अब कुंभ में भी उन्होंने जमकर मेहनत की, पसीना बहाया लेकिन इसका भी नतीजा यह हो रहा है कि खाने के लिए जो एडवांस में रोडवेज ने चालक-परिचालकों को पैसे दिए थे उन्हें अब वेतन से कटौती की तैयारी है, जिस पर चालक-परिचालकों के साथ ही परिवहन निगम की यूनियनों में भी नाराजगी के स्वर मुखर होने लगे हैं। बता दें कि रोडवेज ने नियमित चालक परिचालक को 150 रुपए प्रतिदिन और संविदा चालक-परिचालक को ₹200 प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया था। रोडवेज के अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से पल्ला झाड़ रहे हैं।


Conclusion:बाइट
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुंभ मेले में 500 से ज्यादा रोडवेज बसें चलवाई थीं रोडवेज चालक- परिचालकों की मेहनत से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज हो गया, लेकिन अब चालकों- परिचालकों से खाने के नाम पर दिए गए ₹200 वसूलने की तैयारी हो रही है जिससे सभी में खासी नाराजगी है। रोडवेज ने चालक- परिचालकों के लिए कुछ भी नहीं किया। पिछले 3 साल से स्थापना दिवस तक नहीं मनाया गया है। परिवहन निगम में उनके लिए कोई नीति ही नहीं है। उन्हें परिवहन मंत्री भी कोरा आश्वासन देते हैं। ड्राइवर कंडक्टर की मेहनत का क्रेडिट अधिकारी ले लेते हैं।

कौशलेंद्र प्रताप सिंह: क्षेत्रीय अध्यक्ष, संविदा चालक परिचालक कर्मचारी संघ


बाइट

मेरा मानना है कि स्थापना दिवस जरूर मनाया जाना चाहिए। इससे चालक परिचालक प्रोत्साहित होते हैं और अन्य चालक परिचालकों में भी प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होती है। लेकिन रोडवेज पिछले कई साल से स्थापना दिवस ही नहीं मनाया जा रहा है। जो चालक-परिचालक दिन रात एक कर निगम को कुंभ में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा देते हैं उन्हीं चालक परिचालकों को झेलना पड़ रहा है। इस भीषण गर्मी में भी पसीना बहाते हैं लेकिन इंटरसेप्टर लेकर उनकी चेकिंग की जाती है और उनसे अधिकारी वसूली कर लेते हैं, जो बिल्कुल भी सही नहीं है। निगम को इस बारे में जरूर सोचना होगा।

रजनीश मिश्रा: शाखा अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद
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