लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले की सियासत अब शब्दों की मर्यादा और उनकी बाजीगरी के इर्दगिर्द घूमने लगी है. शायद यही वजह कि राजनेता एक दूसरे पर कुछ चुने हुए तीखे शब्दों से तंज कस रहे हैं.
इस बाजीगरी में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिनका सियासी मतलब तो है ही, पर ये विरोधी के इतिहास-भूगोल की कलई खोलने के साथ ही उसे अंदर तक घायल भी कर रहे हैं. इसके पलटवार में विपक्षी कभी-कभी शब्दों की मर्यादा भी लांघ जाते हैं तो कभी इस 'बाजीगरी' के जवाब में अशिष्ट आचरण तक कर बैठते हैं.
पिछले दिनों एक कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए उनके पिता मुलायम सिंह को "अब्बा जान" कह दिया. इसके बाद अखिलेश यादव ने नाराजगी जताई.
अखिलेश के बयान के बाद योगी सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और अब मोहसिन रजा ने भी अब्बाजान शब्द को लेकर अपनी अपनी टिप्पणी दी है जिनके गहरे सियासी मायने लगाए जा रहे हैं.
दरअसल, सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा मुलायम सिंह को अब्बाजान कहकर तंज कसने के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उनकी (सीएम योगी) भाषा पर सवाल उठाया था.
अखिलेश ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके पिता के बारे में मुख्यमंत्री कुछ कहेंगे तो वह भी उनके पिता के बारे में बहुत कुछ कह सकते है. वहीं, अखिलेश यादव के बयान पर योगी सरकार के एकमात्र मुस्लिम मंत्री मोहसिन रजा ने भी चुटकी ली है.
योगी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव को अब्बाजान शब्द से नाराजगी है या अपने अब्बाजान से जिनको उन्होंने मंच से उतार दिया था.
मोहसिन रजा यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह को तो मुल्ला कहलाने पर भी नाराजगी नहीं होती थी. वह बहुत खुश होते थे. मोहसिन ने कहा कि कहीं ऐसा न हो कि अब्बाजान के फेर में भाईजान नाराज हो जाएं. चुटकी लेते हुए मोहसिन रजा ने कहा कि अगर भाईजान अखिलेश यादव से नाराज हो जाएंगे तो फिर सपा कहां जाएगी.