लखनऊ: अखिलेश यादव ने 2012 से 2017 तक सरकार चलाई, लेकिन मुसलमानों से किए गए एक भी वादे पूरे नहीं किए गए. 2022 आते-आते तो अखिलेश यादव के मंच से मुसलमान नेताओं को भगाया भी जाने लगा. ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस नेताओं ने फेसबुक लाइव के जरिए होने वाले स्पीक-अप अभियान की 36वीं कड़ी में कहीं.
अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने कहा कि 2012 के चुनावी घोषणापत्र में सपा ने वादा किया था कि आतंकवाद के नाम पर फंसाए गए बेगुनाहों को रिहा करेंगे, लेकिन एक भी बेगुनाह को अखिलेश सरकार ने रिहा नहीं किया. जिनको अदालतों ने बेगुनाह बता कर छोड़ दिया, उसके खिलाफ अखिलेश सरकार ने ऊपरी अदालतों में चुनौती भी दी थी.
शाहनवाज आलम ने कहा कि इसी तरह अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाकों में पुलिस और पीएसी में भर्ती के लिए विशेष भर्ती कैंप लगाने का वादा किया गया था. लेकिन इस वादे को भी पूरा नहीं किया गया. यहां तक कि मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव समेत यादव कुनबे के किसी भी सांसद और विधायक ने एक भी ओएसडी, निजी सचिव या प्रतिनिधि मुस्लिम नहीं रखा.
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इसके साथ ही शाहनवाज आलम ने कहा कि सिर्फ पांच फीसदी आबादी होने के बावजूद 80 फीसदी प्रतिनिधि यादव समाज के ही थे. इससे साबित होता है कि सपा 20 फीसदी आबादी वाले मुसलमानों से वोट तो लेती है, लेकिन फायदा सिर्फ पांच पीसदी वाले सजातीय लोगों को ही मिलता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पिछड़े वर्ग के मुसलमानों के विकास के लिए पसमांदा आयोग गठित करने और शिक्षक एमएलसी की तर्ज पर बुनकर एमएलसी का पद सृजित करने का वादा किया है.
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