लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक नाबालिग लड़की के मामले में डीजीपी चंडीगढ को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने चंडीगढ़ की बाल कल्याण समिति, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण व बाल सुरक्षा संस्था को भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.
यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने अनूप गुप्ता शीर्षक से दर्ज एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. बाल गृहों के बच्चों के हित से जुड़ी उक्त याचिका पर यह खंडपीठ सुनवाई कर रही है.
दरअसल, पिछली सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अपूर्व तिवारी द्वारा एक प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए न्यायालय के संज्ञान में लाया गया कि सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy) से जूझ रही एक 17 वर्षीय लड़की को चंडीगढ़ की बाल कल्याण समिति के अनुरोध पर यहां लाया गया है व इस समय लड़की को दृष्टि सामाजिक संस्थान में रखा गया है. उसकी मां की मृत्यु हो चुकी है और उसके पिता ने दूसरी शादी करने के बाद उसे त्याग दिया है.
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कहा गया कि लड़की के कुछ रिश्तेदार मेरठ में रहते हैं व उसका पैत्रिक सम्पत्ति में हिस्सा है. उक्त सम्पत्ति उसके पिता के कब्जे में है. एमिकस क्यूरी ने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि लड़की को उक्त सम्पत्ति से वंचित रखने के लिए उसे इस प्रकार लखनऊ भेजा गया है. उन्होंने लड़की के जीवन व सम्पत्ति के अधिकार की सुरक्षा की दलील दी. इस पर न्यायालय ने इस बार की सुनवाई के दौरान डीजीपी, चंडीगढ़ समेत उपरोक्त संस्थाओं को नोटिस जारी करने के आदेश दिए. साथ ही यूपी विधिक सेवा प्राधिकरण को वर्तमान सुनवाई के बावत उपरोक्त संस्थाओं को अवगत कराने के आदेश दिए हैं.
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